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Supreme Court ने अपने फैसले में किया साफ, जिसका जमीन पर इतने साल से कब्जा वही होगा मालिक

Supreme Court :देश में संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। परंतु संपत्ति के अधिकार को संवैधानिक माना जाता है। संपत्ति को लेकर अकसर विवाद सामने आते रहते हैं। कहीं, कोई प्रोपर्टी पर कब्जा भी कर लेता है तो कहीं कोई प्रोपर्टी नाम कराने में फ्रॉड कर देता है। फिर ऐसे ही मामले निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक में पहुंच जाते हैं। ऐसे ही मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला आया है।

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Supreme Court ने अपने फैसले में किया साफ, जिसका जमीन पर इतने साल से कब्जा वही होगा मालिक

HR Breaking News (Supreme Court Decision) संपत्ति का विवाद वर्षों से चला आता रहा है। रामायण महाभारत काल में भी जमीन को लेकर विवाद होते थे और आज भी होत हैं। परंतु, जमीन के विवाद को सुलझाने के लिए समय समय पर कानून बदलते आए हैं। संपत्ति पर कोई कब्जा कर लेता है तो वह उसी की हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इसपर कानून को विस्तार से समझाया है। 

 


कब्जे को हटाने में न करें देरी
 

अगर आपकी जमीन पर किसी ने कब्जा कर लिया है तो उसे हटाने में लेट लतीफी न करें, नहीं तो जमीन से कब्जा खो बैठोगे। आप की संपत्ति पर किसी ने कब्जा कर लिया और आने उस संपत्ति से अवैध कब्जे को हटाने के लिए चुनौती देने में देरी की तो आपके हाथ से आपकी संपत्ति निकल जाएगी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस संबंध में फैसला दिया है। 

 


तय समय से अधिक कब्जा हो जाता है तो खो बैठेंगे संपत्ति 
 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला दिया कि अगर को जमीन का मालिक अपनी अचल संपत्ति को दूसरे के कब्जे को चेलेंज करने में तय समय से अधिक देरी कर देता है तो फिर उसे पाने के लिए वह तरस जाएगा। वह संपत्ति उसको वापस नहीं मिलेगी। समयसीमा के अंदर कदम उठाना होगा। ऐसा न करने पर उनका मालिकाना हक खत्म हो जाएगा। 

कब्जा करने वाला ही हो जाएगा संपत्ति का मालिक
 

जमीन पर तय समय सीमा से ज्यादा कब्जा रहता है तो कानूनी तौर पर मालिकाना हक उसे ही दे दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण इस दायरे में नहीं आता है। सरकारी जमीन पर कब्जा कानूनी रूप से मान्य नहीं होगा। 

जजों ने बताया पूरा कानून
 

निजी अचल संपत्ति पर कब्जे का मामला लिमिटेशन ऐक्ट 1963 के अधिन आता है। इसमें कब्जा करने के लिए वैधानिक अवधि तय की गई है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बताया कि जमीन का मामला निजी और सरकारी संपत्ति पर अलग अलग है। यह मियाद कब्जे के दिन से शुरू होती है। सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कानून के प्रावधानों की व्याख्या की है। 

इतने साल के कब्जे पर जमीन कब्जा करने वाले की
 

सुप्रीम कोर्ट (supreme court) की बैंच ने कहा कि कानून उस व्यक्ति के साथ है जिसने अचल संपत्ति पर 12 साल से अधिक कब्जा कर रखा है। 12 साल बाद कब्जा करने वाले को कानूनी रूप से वहां से हटाया नहीं जा सकता। अगर हटाया गया तो वह दौबारा संपत्ति पर अधिकार लेने के लिए कानून की शरण ले सकता है। वहीं, सरकारी अचल संपत्ति के मामले में 30 वर्ष की मियाद है। 


सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
 

सुप्रीम कोर्ट (supreme court) की बैंच ने कहा कि हमारा फैसला है कि संपत्ति पर जिसका कब्जा है, उसे अन्य व्यक्ति बिन उचित कानूनी प्रक्रिया के हटा नहीं सकता। किसी व्यक्ति ने 12 साल से अवैध कब्जा (Property Rights) किया हुआ है तो कानूनी मालिक भी उस कब्जे को नहीं हटा सकता है।

अवैध कब्जे वाला ही कानूनी अधिकार के तहत मालिक बन जाएगा। एक बार अधिकार मिलने पर उसे वादी कानून के अनुच्छेद 65 के दायरे में तलवार की तरह प्रयोग कर सकता है। प्रतिवादी के लिए ये सुरक्षा कवच होगा। अगर अवैध कब्जे (property knowledge) वाले को कानूनी अधिकार मिल जाता है तो उसे कोई जबरदस्ती हटाता है तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। 


12 साल बाद संपत्ति हाथ से चली जाएगी
 

सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के फैसले में स्पष्ट हो गया है कि 12 साल तक अवैध कब्जा किसी जमीन पर रहता है तो उसके बाद उसे कानून के तहत मालिकाना हक मिल जाएगा और असली मालिक भी उसे नहीं हटा सकता। 12 साल के बाद अगर कोई जबरदस्ती कब्जा भी हटवाता है तो असली मालिक के खिलाफ भी केस दर्ज किया जा सकता है। वह उसको पाने के लिए दावा कर सकता है।