Supreme Court ने बताया- इस स्थिति में बेटियों को नहीं मिलेगा पिता की संपत्ति में हिस्सा

HR Breaking News - (ब्यूरो)। जब बात प्रॉपर्टी में अधिकार (Property Rights) की आती है तो भारतीय कानून में बेटियों को संपत्ति में बेटों के बराबर का हक दिया गया है। लेकिन माता-पिता को भी संपत्ति बटवारे का पूरा अधिकार दिया गया है। कई बार देखने को मिलता है कि औलाद माता-पिता की सेवा नहीं करती है तो उन्हें प्रॉपर्टी से बेदखल कर दिया जाता है। एक ऐसे ही मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है कोर्ट ने कहा है कि जो बेटी अपने पिता से रिश्ता नहीं रखना चाहती, उसे अपने पिता की संपत्ति में अधिकार मांगने का भी कोई हक नहीं है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच तलाक के मामले की सुनवाई कर रही थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पति-पत्नी और पिता-पुत्री के रिश्तों में सुलह की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनने पर ये अहम फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात -
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की दो जजों की बेंच ने मामले की सुवाई करते हुए कहा कि, जो बेटी अपने पिता से कोई संबंध नहीं रखना चाहती, उसे अपने पिता की जमीन-जायदाद में हिस्सा मांगने का भी कोई अधिकार नहीं है। इसके साथ ही बेटी अपनी पढ़ाई, शादी और अन्य खर्च के लिए भी पिता से किसी प्रकार की सहायता नहीं मांग सकती है।
जानिये क्या है पूरा मामला -
पति ने अपने वैवाहिक अधिकारों को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) में याचिका दायर की थी। जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार नहीं किया। जिसके बाद पति ने सुप्रीम कोर्ट में तलाक की गुहार लगाई जिसमें सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पति-पत्नी और पिता-पुत्री के रिश्तों में सुलह कराने की कोशिश की। लेकिन दोनों ही पक्षों ने ऐसा करने से मना कर दिया। बता दें कि मामले में बेटी बचपन से ही अपनी मां के साथ रहती है और अब वह 20 वर्ष की हो चुकी है। और वह अपने पिता की शक्ल तक नहीं देखना चाहती।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कही ये बात –
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में कहा कि, बेटी बालिग है और वह 20 साल की हो चुकी है। और वह अपने सभी फैसले स्वतंत्र रुप से खुद ले सकती है। यदि बेटी पिता के साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती है तो वह अपने पिता से धन-संपत्ति में किसी तरह की मदद की भी मांग नहीं कर सकती। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पति को पत्नी को 8 हजार रुपये मासिक या एकमुश्त 10 लाख रुपये का गुजारा भत्ता (alimony) देने का निर्देश दिया।
पिता-पुत्री के रिश्ते पर कानून –
2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act 2005) 1956 में बदलाव करके बेटियों को पिता की प्रॉपर्टी में बराबर का हक दिया गया था। लेकिन कानून के मुताबिक बेटी अपने पिता से रिश्ता नहीं रखती है तो उसको प्रॉपर्टी में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा और ना ही वह अन्य खर्चों के लिए पिता से मदद मांग सकती है। वहीं, पिता अपनी बेटी से रिश्ता नहीं तोड़ सकता और अपनी जिम्मेदारियों से दूर भाग सकता है। उसे यह रिश्ता निभाना होगा बेशक चाहे बेटी उससे दूर जाना चाहती हो।