home page

FD में निवेश करने वाले हो जाएं सावधान, पैसा लगाने से पहले जान लें 9 जरूरी बातें

Bank FD News - आजकल SIP यानी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान की चर्चा हो रही है, लेकिन बाजार में अस्थिरता के कारण यह निवेश जोखिम भरा हो सकता है. ऐसे में, इमरजेंसी फंड के लिए म्यूचुअल फंड (mutual fund) की बजाय फिक्स डिपॉजिट (FD) बेहतर विकल्प है, क्योंकि यह गारंटीड रिटर्न प्रदान करता है... लेकिन पैसा लगाने से पहले इन 9 बातों को जरूर जान लें- 

 | 
FD में निवेश करने वाले हो जाएं सावधान, पैसा लगाने से पहले जान लें 9 जरूरी बातें

HR Breaking News, Digital Desk- आजकल SIP यानी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान की चर्चा हो रही है, लेकिन बाजार में अस्थिरता के कारण यह निवेश जोखिम भरा हो सकता है. ऐसे में, इमरजेंसी फंड के लिए म्यूचुअल फंड (mutual fund) की बजाय फिक्स डिपॉजिट (FD) बेहतर विकल्प है, क्योंकि यह गारंटीड रिटर्न प्रदान करता है और आवश्यकतानुसार निवेश निकालने में कोई परेशानी नहीं होती. यदि एसआईपी (SIP) में निवेश किया गया पैसा तुरंत चाहिए, तो निकालने में दिक्कतें आ सकती हैं. इसलिए, सुरक्षा के लिए FD अधिक उचित है.

एसआईपी (Systematic Investment plan) एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है, लेकिन इसमें लगाए गए पैसे की सुरक्षा निश्चित नहीं है। जितनी जल्दी आप एसआईपी के तहत निवेश करते हैं, उतनी जल्दी आपको इसके फायदे मिलते हैं। लेकिन अगर बाजार गिर जाए, तो आपको बेहतर रिटर्न के मुकाबले पैसे कम हो सकते हैं। इसलिए, FD (fixed deposit) एक सुरक्षित विकल्प है जो आपके इमर्जेंसी फंड (emergency fund) को बनाने और हर महीने सैलरी के रूप में ब्याज कमाने में मदद करता है.

हालांकि एफडी करते समय भी कुछ बातों का खास ध्यान देना पड़ता है. यदि इन बातों का ध्यान नहीं दिया तो फायदे की जगह नुकसान हो सकता है. ये भी हो सकता है कि फायदा कम हो. एक संभावना ये भी है कि आपका पैसा डूब जाए. 

1. पहले ब्याज दरों की करें तुलना-

एफडी (Fixed Deposit) करने से पहले विभिन्न बैंकों की ब्याज दरों की तुलना करना आवश्यक है. यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप अपने पूंजी को कम ब्याज दर वाली एफडी में लगा सकते हैं, जिससे आपको कम रिटर्न मिल सकता है. ध्यान रखें कि सरकारी और निजी बैंकों के ब्याज दरों में भिन्नता होती है, इसलिए सही चुनाव करें.

2. FD के लिए लॉकिंग पीरियड-

FD का लॉकिंग पीरियड (locking period) अलग-अलग होता है. यदि लॉकिंग पीरियड से पहले पैसों की जरूरत पड़ जाए और उसे निकालना पड़े तो आपको पेनल्टी भी भरनी पड़ेगी.

यानी फायदा लेने गए और उठा लिया नुकसान. इसलिए पैसों की जरूरत के हिसाब से लॉकिंग पीरियड का चुनाव करें.

3. टैक्स को इग्नोर न करें-

यदि आप ये सोच रहे हैं कि FD पर आपको पूरा ब्याज मिलेगा, तो जरा सावधान हो जाइए.

यदि आपकी FD से सालाना ब्याज 40,000 रुपए (निजी बैंकों में) और 50,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए) से ज्यादा होगी तो उसपर 10% की दर से TDS (Tax Deducted at Source) लगेगा.

यदि आपने बैंक को अपना PAN नहीं दिया है, तो ये दर 20 फीसदी हो जाएगी.

इसके अलावा यदि आपकी कुल सालाना आय टैक्सेबल नहीं है, तो आप फॉर्म 15G (नॉन-सीनियर सिटीजन) या 15H (सीनियर सिटीजन) भरकर बैंक को दे सकते हैं. इससे बैंक आपका टीडीएस नहीं काटेगा.

4. FD में एकमुश्त निवेश करना ठीक होगा?

अक्सर लोग एक ही बैंक में एकमुश्त राशि की एफडी (lump sum FD in bank) कर देते हैं. वहीं जरूरत पड़ने पर पूरी FD तोड़नी पड़ती है, जिससे ब्याज का नुकसान हो जाता है.

पैसों का हिस्सा कर अलग-अलग एफडी अलग-अलग अवधि के लिए करें ताकि जरूरत पड़ने पर यदि तोड़ें भी तो पूरे फंड पर ब्याज का नुकसान न हो.

5. ऑटो-रिन्यूअल पर रखें नजर-

एफडी की अवधि खत्म हो जाने पर वो पुराने ब्याज दर के तहत ऑटोरिन्यू (Autorenew under old interest rate) हो जाती है. ऐसे में ब्याज दर बढ़ने के बाद भी आपको कम रिटर्न मिलता है. ऐसे में ऑटोरिन्यू का ध्यान रखें.

एफडी की मैच्योरिटी (maturity) होते ही उसे नए और बढ़े हुए ब्याज दर पर निवेश करें ताकि ज्यादा रिटर्न मिल सके.

6. सबसे महत्वपूर्ण, बैंक या वित्तीस संस्था की करें जांच-

आमतौर पर देखा जाता है कि कई वित्तीय संस्थान या निजी बैंक (private bank) ज्यादा रिटर्न का लालच देकर आपसे एफडी (fd) करा लेते हैं.

ऐसे जोखिम वाले वित्तीय संस्थानों (financial institutions) में पैसे लगाना रिस्की हो सकता है.

हमेशा RBI द्वारा अनुमोदित बैंक या डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (Bank or Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) के तहत आने वाले बैंकों को ही FD या किसी अन्य निवेश के लिए चुनें. DICGC 5 लाख रुपए तक की जमा राशि पर बीमा भी देता है.

7. नॉमिनी का चुनाव-

एफडी करने से पहले नॉमिनी को जरूर जोड़ें. अन्यथा अपके बाद पैसा बैंक में फंस सकता है. उसे लेने में कई कानूनी अड़चने आएंगी. (nominee selection)

8. समय से पहले FD न तोड़े-

कई बार पैसों की जरूरत पड़ने पर लोग बिना सोचे-समझे एफडी तोड़ देते हैं.

इसपर पेनल्टी (penalty) लग जाती है और ब्याज का भी नुकसान हो जाता है.

9. सीनियर सिटीजन की एफडी में ये जरूर देखें-

60 साल से ज्यादा उम्र वालों को बैंक FD पर 0.25% से 0.75% तक अधिक ब्याज देते हैं.

ऐसे में इन बातों का ध्यान जरूर रखें-

एफडी (Fixed Deposit) एक सुरक्षित और लाभकारी निवेश विकल्प हो सकता है, यदि सही प्लानिंग की जाए। इसमें आपका मूलधन सुरक्षित रहता है और आपको आकर्षक रिटर्न भी मिलते हैं। सही समय पर एफडी करने से आप टीडीएस (TDS) कटने से भी बच सकते हैं. इस विकल्प का उपयोग लोग इमर्जेंसी फंड (Emergency fund) बनाने के लिए करते हैं, जो एक समझदारी भरा निर्णय माना जाता है.  इसलिए, एफडी को एक सुनिश्चित आर्थिक योजना के रूप में देखा जा सकता है.