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Cooking Oils Rates: अब नहीं रुलाएगा रसोई का तेल, रेट हुए बेहद कम

Edible Oils Rates Down: अब रसोई का तेल आपको नहीं रुलाएगा। दरअसल, खाद्य तेलों की दरें कम हुई है। प्रमुख खाद्य तेल ब्रांडों ने एमआरपी में कीमतों में 10-15 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है। पढ़िए पूरी खबर...
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Cooking Oils Rates: अब नहीं रुलाएगा रसोई का तेल, रेट हुए बेहद कम

HR Breaking News, New Delhi: अब रसोई के बजट में खाद्य तेल बेहद प्रभाव डालता है। इससे बजट बिगड़ भी जाता है। लेकिन अब इससे निजात मिलेगी। दरअसल, खाद्य तेलों की दरें कम हुई है। यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों में हुई कमी की वजह से कीमतों में प्रभाव पड़ा हैं।

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खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने बुधवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय दरों में नरमी और सरकार के समय पर हस्तक्षेप के कारण खुदरा बाजार में खाद्य तेल की कीमतें कम आने लगी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस महीने की शुरुआत से देश भर में मूंगफली के तेल को छोड़कर, डिब्बाबंद खाद्य तेलों की औसत खुदरा कीमतों में थोड़ी कमी आई है और यह 150 से 190 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बनी हुई है।

पांडे ने कहा कि न केवल खाद्य तेल, खुदरा गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतें भी स्थिर हैं, उन्होंने कहा कि घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए नियम उपयोगी रहे हैं। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रमुख खाद्य तेल ब्रांडों ने एमआरपी को चरणबद्ध तरीके से कम किया है और हाल ही में उन्होंने कीमतों में 10-15 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है।


उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, मूंगफली तेल (पैक) की औसत खुदरा कीमत 21 जून को 188.14 रुपये प्रति किलोग्राम, जबकि एक जून को यह 186.43 रुपये प्रति किलोग्राम थी। सरसों के तेल की कीमत एक जून के 183.68 रुपये प्रति किलो से मामूली गिरावट के साथ 21 जून को 180.85 रुपये प्रति किलो रह गई है। वनस्पति की कीमत 165 रुपये प्रति किलो पर अपरिवर्तित है।

सोया तेल की कीमत 169.65 रुपये से मामूली घटकर 167.67 रुपये रह गई, जबकि सूरजमुखी की कीमत 193 रुपये प्रति किलो से थोड़ी घटकर 189.99 रुपये रह गई। पाम तेल का भाव एक जून के 156.52 रुपये से घटकर 21 जून को 152.52 रुपये प्रति किलो रह गया। विभाग चावल, गेहूं, आटा, कुछ दाल जैसे 22 आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर नजर रखता है।

फॉर्च्यून रिफाइंड सूरजमुखी अब 210 रुपये लीटर


अडानी विल्मर ने अपने एक लीटर फॉर्च्यून रिफाइंड सूरजमुखी तेल पैक की कीमत 220 रुपये से घटाकर 210 रुपये कर दी है। वहीं फॉर्च्यून सोयाबीन और फॉर्च्यून कच्ची घानी सरसों का तेल की कीमत 205 रुपये से घटाकर 195 रुपये प्रति लीटर कर दी है। अडानी विल्मर के एमडी और सीईओ अंगशु मलिक ने कहा कि ग्राहकों को कम लागत का लाभ मिले इसके लिए कंपनी गंभीरता से काम कर रही है।

 

पतंजलि आयुर्वेद ने खाद्य तेल की कीमतों में सात से 10 फीसदी की कमी की है और कंपनी खाद्य तेलों की पूरी रेंज में कीमतों में कटौती की है। नई दिल्ली स्थित दुग्ध सहकारी मदर डेयरी ने हाल ही में खाद्य तेलों की अधिकतम खुदरा कीमतों (एमआरपी) में 15 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है। इमामी और अन्य कंपनियों ने भी कीमतों में कमी की है।


आयात शुल्क घटने से ऐसा पड़ता है असर

देश में खाद्य तेल की कुल खपत का करीब 50 फीसदी आयात होता है। भारत हर साल लगभग 1.4 करोड़ मीट्रिक टन वनस्पति तेलों का आयात करता है। इसमें पाम तेल की हिस्सेदारी लगभग 60 फीसदी है। जबकि आयात में सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल के की हिस्सेदारी 40 फीसदी है। आयात शुल्क घटने से कंपनियों की लागत कम होती है जिसका फायदा वह उपभोक्ताओं को कीमत घटाकर देती हैं।

सस्ते उत्पाद को पसंद कर रहे उपभोक्ता

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि जब खाद्य तेल की कीमतें ऊंची थीं तो उपभोक्ताओं ने सस्ते उत्पाद को तरजीह देना शुरू कर दिया। ब्रांडेड खाद्य तेल कारोबार से जुड़ी कंपनियों को उपभोक्ताओं के इस रुख ने दाम घटाने को मजबूर कर दिया। वहीं जिन कंपनियों ने कीमतों में कोई कटौती नहीं की है वह अब दाम घटाने या आकर्षक पेशकश करने को मजबूर हो गई हैं। वे खाद्य तेलों पर प्रचार की पेशकश कर सकती हैं। ऐसा नहीं होने पर उपभोक्ता उनसे दूर हो सकते हैं।

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मानसून बेहतर रहने भी कम रहेंगे दाम

मानसून की स्थिति पर रिजर्व बैंक सहित एफएमसीजी कंपनियों की नजर भी टिकी है। एफएमसीजी कंपनियों का कहना है कि मानसून बेहतर रहता है तो ग्रामीण क्षेत्रों में आमदनी बढ़ने से उनके उत्पाद की खपत बढ़ेगी। ऐसे में उन्हें कीमतों में कटौती की भरपाई हो जाएगी। साथ ही फसल अच्छी होने से दाम और बढ़ाने के लिए भी मजबूर नहीं होना पड़ेगा। वहीं आरबीआई का मानना है कि मानसून बेहतर रहा तो अनाज की कीमतें नरम होंग, जिससे महंगाई घटेगी।