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Anil Ambani : इन 5 गलतियों ने डुबो दी अनिल अम्बानी की ज़िंदगी भर की कमाई ​​​​​​​

Business News : मुकेश अम्बानी के भाई अनिल अम्बानी आज दिवालिया हो गए हैं उनके ऊपर कई हज़ार करोड़ का कर्ज़ा है और इसकी वजह से इनकी कम्पनी भी बिकने को त्यार है . आइये समझते है अनिल अम्बानि की क्या थी गलतियां 

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HR Breaking News, New Delhi : क्या आपको लगता है कि 42 अरब डॉलर की संपत्ति खोना संभव है? हालांकि अनिल अंबानी के साथ ऐसा हो चुका है. अनिल अंबानी कभी दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे लेकिन अब वो अमीरों की लिस्ट से काफी दूर हैं. पिछले कुछ सालों में अनिल अंबानी यकीनन काफी सारा पैसा डूबा देने में कामयाब रहे. अपनी संपत्ति और रिलायंस एडीएजी के अध्यक्ष के बाद अनिल अंबानी कभी दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे.

रिलायंस

समूह का गठन करने वाली कुछ प्रमुख कंपनियों में रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस पावर, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस नेवल आदि शामिल हैं. अंबानी परिवार की संपत्ति उनके पिता धीरूभाई अंबानी के साथ शुरू हुई थी. हालांकि बाद में जब चीजें अनिल अंबानी के हाथ में आई तो सब खत्म होता चला गया.

रिलायंस ग्रुप

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दरअसल, 1958 में धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस ग्रुप की शुरुआत की थी. वहीं 2002 में धीरूभाई अंबानी की मौत हो गई. जिसके बाद उनके बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच कारोबार का बंटवारा हुआ. बंटवारे में मुकेश अंबानी को पेट्रोकेमिकल, टेक्सटाइल और रिफाइनरी का कारोबार मिला. वहीं दूसरी तरफ अनिल अंबानी को टेलीकॉम, फाइनेंस औ एनर्जी का कारोबार मिला.

कंपनी हुई दिवालिया
उस वक्त माना जा रहा था अनिल अंबानी के पास नए जाने के सेक्टर आए हैं लेकिन अनिल अंबानी उनमें सफल नहीं हो पाए और आज उनकी कई कंपनियां दिवालियापन का सामना कर रही है. हालांकि अनिल अंबानी ने कई गलतियां की, जिसके कारण उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा.

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ये थी वो गलतियां...
- उन्होंने सटीक प्लानिंग के बिना कारोबार को आगे बढ़ाने की जल्दबाजी की. बिना तैयारी के एक के बाद एक नए प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाया.
- अनुमान से ज्यादा लागत आने के कारण उन्हें नुकसान झेलना पड़ा.
- ज्यादा लागत आने के कारण उन्हें कर्ज लेना पड़ा और कर्ज के जाल में फंस गए.
- एक कारोबार पर फोकस नहीं किया. अलग-अलग प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की और पैसा अटकता चला गया.
- ज्यादातर फैसले महत्वाकांक्षाओं के कारण लिए गए, जिसके कारण कर्ज बढ़ता चला गया और साल 2008 की मंदी में उन्हें बड़ा झटका लगा.

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