करोड़ों PPF खाताधरकों को बड़ी राहत, अब नहीं लगेगा ये चार्ज
PPF Update - पीपीएफ खाताधारकों के लिए खुशखबरी. दरअसल केंद्र सरकार ने पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) खाताधारकों के लिए इस सेवा को मुफ्त कर दिया है. इसकी जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने एक्स अकाउंट पर साझा की... आइए नीचे खबर में जान लेते है इस अपडेट से जुड़ी पूरी जानकारी-

HR Breaking News, Digital Desk- (PPF Account) सरकार ने पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) खाताधारकों के लिए नॉमिनी डिटेल अपडेट करने की सेवा को मुफ्त कर दिया है. इससे खाताधारक आसानी से अपने पीपीएफ खाते में नॉमिनी की जानकारी को अपडेट या संशोधित कर सकते हैं, बिना किसी चार्ज के. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी अपने एक्स अकाउंट पर साझा की.
फ्री हुई ये सर्विस -
पीपीएफ खातों में ‘नॉमिनी’ से जुड़ी जानकारी में बदलाव के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. नॉमिनी बनाने या उसमें कोई बदलाव करने पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा क्योंकि सरकार ने अधिसूचना के जरिये आवश्यक बदलाव किए हैं. नॉमिनी के पास मूल खाताधारक की राशि पर कानूनी अधिकार होता है.
पीपीएफ खातों में नॉमिनी से जुड़ी जानकारी में बदलाव करने पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. सरकार ने अधिसूचना जारी करके स्पष्ट किया है कि नॉमिनी बनाने या उसमें बदलाव करने के लिए खाताधारक से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. यह बदलाव नॉमिनी के कानूनी अधिकार (Legal rights of the nominee) को सुनिश्चित करता है.
उन्होंने कहा कि पीपीएफ खातों (ppf accounts) के लिए ‘नॉमिनी’ से जुड़ी जानकारी में बदलाव पर किसी भी शुल्क को हटाने के लिए दो अप्रैल 2025 के राजपत्र अधिसूचना के जरिये सरकारी बचत संवर्धन सामान्य नियम 2018 में आवश्यक बदलाव किए गए हैं.
सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से लघु बचत योजनाओं (small saving schemes) के लिए नामांकन रद्द या उसमें बदलाव करने के लिए 50 रुपये का शुल्क समाप्त कर दिया है. इसके साथ ही, हाल ही में पारित बैंकिंग संशोधन विधेयक 2025 के अंतर्गत जमाकर्ताओं के पैसे, सुरक्षित अभिरक्षा में रखे गए सामान और सुरक्षा लॉकर (Luggage and safety lockers) के लिए अधिकतम चार नॉमिनी बनाने की अनुमति दी गई है. यह कदम ग्राहकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है.
विधेयक में एक और बदलाव बैंक में किसी व्यक्ति के पर्याप्त कर शब्द को फिर से परिभाषित करने से संबंधित है। इस सीमा को मौजूदा पांच लाख रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये करने का प्रावधान है. मौजूदा दर को लगभग छह दशक पहले तय किया गया था. कानून में सहकारी बैंकों (co-operative banks) में निदेशकों (चेयरमैन एवं पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) के कार्यकाल को आठ वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने की बात भी की गई है, ताकि संविधान (97वां संशोधन) अधिनियम 2011 के साथ तालमेल बैठाया जा सके.