Budget 2024 : बजट में PF खाताधारकों को मिलेगा ये बड़ा तेहफा
पीएफ (PF) यानी प्रोविडेंट फंड एक सरकारी योजना है। इस योजना का मकसद कर्मचारियों को आर्थिक रूप से मजूबत करना है। कर्मचारियों को हर महीने मिलने वाली सैलरी में से कुछ पैसे काटे जाते हैं और वह पीएफ में जमा हो जाते हैं। हाल ही में पीएफ खाताधारकों के लिए एक अपडेट सामने आया है। दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस महीने में 2024 बजट पेश करेंगी। बजट में पीएफ यानी प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) के खाताधारकों के लिए बड़ा ऐलान हो सकता है। आइए जानते हैं -

HR Breaking News (ब्यूरो)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 23 जुलाई को मोदी 3.0 का पहला और अपना लगातार सातवां केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इस बजट से हर कोई बड़ी आस लगाए बैठा है, खासकर नौकरीपेशा लोग। उन्हें उम्मीद है कि सरकार बजट में प्रोविडेंट फंड (PF) के तहत सैलरी लिमिट को बढ़ा सकती है। इसमें आखिरी बार बदलाव एक दशक पहले हुआ था, जब लिमिट को बढ़ाकर 15 हजार रुपये किया गया था।
क्या होता है प्रोविडेंट फंड?
पीएफ यानी प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) एक सरकारी योजना है। इसका मकसद कर्मचारियों को वित्तीय तौर पर सशक्त बनाकर सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना है। अगर किसी कंपनी के पास 20 या इससे अधिक कर्मचारी हैं, तो उसे एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (EPF) में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। फिर मूल वेतन और महंगाई भत्ते समेत 15,000 रुपये महीना कमाने वाले वेतनभोगी कर्मचारियों को फंड में12 फीसदी का योगदान करना होता है। उनकी कंपनी भी इस फंड में बराबर ही योगदान करती है।
कर्मचारी का योगदान पूरी तरह से पीएफ में जाता है। वहीं, नियोक्ता यानी कंपनी या संगठन के 12 फीसदी योगदान का 3.67 फीसदी ईपीएफ और 8.33 फीसदी ईपीएस यानी एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम में जाता है।
लिमिट में कब और कितना बदलाव हुआ
साल | सैलरी लिमिट |
1 नवंबर 1952 से 31 मई 1957 | 300 रुपये |
1 जून 1957 से 30 दिसंबर 1962 | 500 रुपये |
31 दिसं बर 1962 से 10 दिसंबर 1976 | 1000 रुपये |
11 दिसंबर 1976 से 31 अगस्त 1985 |
1600 रुपये |
1 सितंबर से 1985 से 31 अक्टूबर 1990 |
2500 रुपये |
1 नवंबर 1990 से 30 सितंबर 1994 |
3500 रुपये |
1 अक्टूबर 1994 से 31 मई 2011 |
5000 रुपये |
1 जून 2001 से 31 अगस्त 2014 |
6500 रुपये |
1 सितंबर 2014 से वर्तमान |
15000 रुपये |
प्रोविडेंट फंड के फायदे क्या हैं?
प्रोविडेंट फंड का मकसद रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को वित्तीय तौर पर आत्मनिर्भर रखना होता है, ताकि उसे किसी के आगे हाथ न पसारना पड़े। लेकिन, आप रिटायरमेंट से पहले कुछ खास जरूरतों के लिए पीएफ से निकासी कर सकते हैं। जैसे कि घर खरीदना या बनवाना, बच्चों की पढ़ाई या फिर इलाज का खर्च। कोरोना के बाद से महामारी से जुड़े खर्चों के लिए भी धन निकालने की अनुमति है।
प्रोविडेंट फंड से जुड़े कर्मचारियों को अपनी बचत पर सालाना चक्रवृद्धि ब्याज भी मिलता है। इसका मतलब कि ब्याज की रकम भी मूलधन में जुड़ जाती है और फिर उस पर भी ब्याज मिलता है। इससे लंबी अवधि में कर्मचारियों के हाथ एकमुश्त बड़ी रकम आती है।
PF के पैसे कौन मैनेज करता है?
प्रोविडेंट फंड की देखरेख ट्रस्टीज का एक बोर्ड करता है, जिसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज कहा जाता है। इसमें केंद्र और राज्य सरकार के साथ नियोक्ता और कर्मचारियों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह बोर्ड देश में संगठित क्षेत्रों काम करने वाले कर्मचारियों के लिए अंशदायी भविष्य निधि, पेंशन योजना और बीमा योजना का प्रबंधन करता है।
इस बोर्ड की मदद एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) करता है, जिसके देशभर में 120 से अधिक दफ्तर हैं। यह वित्तीय लेन-देन की मात्रा के हिसाब से दुनिया के सबसे बड़े संगठनों में से एक है। EPFO भारत सरकार श्रम और रोजगार मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है।
क्या होगी नई पीएफ लिमिट
पीएफ लिमिट में आखिरी बार बदलाव सितंबर 2014 में हुआ था। उस वक्त इसे साढ़े 6 हजार से बढ़ाकर 15 हजार रुपये किया गया था। अगर कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) की बात करें, तो वहां 2017 से ही 21,000 रुपये की उच्च वेतन सीमा है। सरकार के भीतर रजामंदी है कि दो सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत वेतन सीमा को एक जैसा होना चाहिए। EPFO और ESIC दोनों श्रम और रोजगार मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने पीएफ लिमिट में बदलाव का एक प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें पीएफ लिमिट 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रुपये की जा सकती है। अभी 15,000 रुपये से अधिक वेतन वाले कर्मचारियों के लिए पीएफ का विकल्प चुनना स्वैच्छिक है। हालांकि, अगर आगामी बजट में मौजूदा लिमिट बढ़ती है, तो इस योजना के तहत आने वाले नए कर्मचारियों को अपने सैलरी स्ट्रक्चर में कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है।
पीएफ लिमिट बढ़ने से फायदा
पीएफ के तहत सैलरी लिमिट बढ़ने का सीधा मतलब है कि आपके पीएफ अकाउंट और पेंशन खाते में अधिक रकम जाएगी। इसमें आपका योगदान तो बढ़ेगा ही, साथ आपके नियोक्ता को भी योगदान बढ़ाना होगा।पीएफ के तहत वेतन सीमा बढ़ने पर लाखों कर्मचारियों को फायदा मिलेगा, क्योंकि अभी अधिकतर राज्यों में न्यूनतम मजदूरी 18,000 से 25,000 रुपये के बीच है। इस लिमिट को बढ़ाने से सरकार और निजी क्षेत्र दोनों पर भारी वित्तीय प्रभाव पड़ेगा।