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Budget 2024 : अंतरिम बजट में सरकारी कर्मचारियों को मिलेंगे ये तीन बड़े तोहफे

Budget 2024 Latest Update - 1 फरवरी 2024 को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने कार्यकाल का छठा बजट संसद में पेश करेंगी। बजट पेश करने की सभी तैयारियां हो गई हैं। वैसे तो हमेशा ही बजट को लेकर सभी वर्गों की अलग-अलग उम्मीदें होती हैं। लेकिन इस बार सरकारी कर्मचारियों को तीन बड़े तोहफे मिलने वाले हैं। सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी हो सकती है या 18 महीने के डीए एरियर (dearness allowance hike) को लेकर भी बड़ी घोषणा की जा सकती है। चलिए नीचे खबर में विस्तार से जानते हैं-
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HR Breaking News (ब्यूरो)। भारत का बजट 2024 पेश होने में अब करीब दो दिन का ही समय बचा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अंतरिम बजट 2024 से सरकारी कर्मचारी खास उम्मीदें लगाए बैठें हैं। देश में कुछ ही महीने में चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़े ऐलान कर सकती है।

सरकार सरकारी कर्मचारियों के लिए बजट में वेतन को लेकर लोकलुभावन घोषणाएं हो सकती है। कर्मचारी उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार सैलरी को लेकर उनकी मांगे मान सकती है। अब देखना होगा कि सरकार बजट 2024 में फिटमेंट फैक्टर बढ़ाने, 8वें वेतन आयोग लाने और 18 महीने के डीए एरियर को लेकर घोषणा करेगी या नहीं?

 

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1 फरवरी को वित्तमंत्री करेंगी ये 3 ऐलान?

 

1 फरवरी को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय कर्मचारियों के लिए सैलरी बढ़ाने की घोषणा कर सकती है। सरकारी कर्मचारी काफी लंबे समय से सैलरी रिवाइज करने की मांग कर रहे हैं। इस मामले में सरकारी कर्मचारियों की एसोसिएशन के साथ कई बार चर्चा भी हो चुकी है। सरकार बजट में फिटमेंट फैक्टर बढ़ाने की करेगी तो कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 18,000 रुपये से बढ़कर 26,000 रुपये हो जाएगी।


8वें वेतन आयोग को लेकर करेगी ऐलान?

यूनियन बजट 2024 में 8th Pay Commission को लेकर सरकार ऐलान कर सकती है। सरकार ऐसा करती है छोटे पदों पर काम कर रहे सरकारी कर्मचारियों की सैलरी भी बढ़ जाएगी। हालांकि, सरकार पहले कह चुकी है कि वह आठवां वेतन आयोग लाने का फिलहाल विचार नहीं कर रही है। लेकिन ये चुनावी साल है, तो सरकार इस मौके पर कर्मचारियों को खुशखबरी सुना सकती है।

18 महीने का डीए एरियर

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केंद्र सरकार एक साल में 2 बार जनवरी और जुलाई में केंद्रीय कर्मचारियों का डीए बढ़ाती लेकिन कोविड के समय में सरकार ने जनवरी 2020 से जून 2021 तक कोई भी महंगाई भत्ता नहीं बढ़ाया। इसके बाद सरकार ने 1 जुलाई 2021 को महंगाई भत्ते में सीधे 11 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी। उससे पहले के तीन बार नहीं बढ़ाए गए डीए पर कुछ भी नहीं कहा गया।

हालांकि, तब महंगाई भत्ता 17 फीसदी था, जिसे 11 फीसदी बढ़ाकर 28 फीसदी कर दिया गया। तभी से केंद्रीय कर्मचारियों को सरकार से इस 18 महीने के डीए एरियर की मिलने की उम्मीद कर रहा है। हालांकि, सरकार कई बार कह चुकी है कि उसका 18 महीने क पेंडिग एरियर देने को कोई विचार नहीं है।


 

NPS पर समाने आया बड़ा फैसला- 

केंद्र सरकार नेशनल पेंशन स्कीम में जल्द संशोधन कर सकती है, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मचारियों को रिटायरमेंट भुगतान के तौर पर उनकी अंतिम सैलरी का कम के कम 40-45 फीसदी मिले. इसकी सिफारिश हाई-लेवल पैनल ने की थी. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले से जुड़ी 2 लोगों ने बताया कि फिलहाल इस मामले पर विचार किया जा रहा है।

क्या हो सकता है बदलाव-


नेशनल पेंशन स्कीम में सरकार कुछ बदलाव कर सकती है. संशोधित पेंशन योजना मार्केट रिटर्न से जुड़ी रहेगी. लेकिन सरकार कर्मचारी की आखिरी सैलरी का कम से कम 40 फीसदी देने के सिस्टम पर काम कर सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी का कहना है कि सरकार एक आधार राशि सुनिश्चित कर सकती है. इसका मतलब है कि अगर भुगतान आधार राशि से कम है तो सरकार को पेंशन में कमी को पूरा करने के लिए हस्तक्षेप करना होगा. फिलहाल कर्मचारी औसतन 36 फीसदी से 38 फीसदी के बीच रिटर्न अर्जित करते हैं।

एनपीएस पर क्यों है विवाद-


पुरानी पेंशन स्कीम के तहत पेंशनभोगियों को रिटायरमेंट के समय मिले वेतन का 50 फीसदी मासिक लाभ मिलता था. साल 2004 में शुरू की गई मौजूदा मार्केट-लिंक्ड पेंशन प्लान ऐसी कोई गारंटीड आधार रकम प्रदान नहीं करती है. नए पेंशन प्लान में एक और विवाद है. एनपीएस में कर्मचारी की सैलरी का 10 फीसदी योगदान होता है और सरकार 14 फीसदी का योगदान देती है. जबकि ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी का कोई योगदान नहीं होता है. इसके अलावा एनपीएस पेंशनर्स को रिटायरमेंट के समय कोष का 60 फीसदी टैक्स फ्री और 40 फीसदी हिस्सा कर भुगतान के योग्य होता है।

एनपीएस में किसका कितना है योगदान-


राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत 87 लाख केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 फीसदी योगदान देते हैं. जबकि सरकार 14 फीसदी का भुगतान करती है। अंतिम भुगतान उस फंड पर रिटर्न पर निर्भर करता है, जिसे ज्यादातर सरकारी ऋण निवेश किया जाता है।