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बैंक अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखने को लेकर RBI ने बनाए नए नियम, 1 तारीख से होंगे लागू

Minimum Balance -भारतीय रिजर्व बैंक लोगों के हित में समय-समय पर फैसला लेता रहता है। हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने खातों में मिनिमम बैलेंस को लेकर बड़ा बदलाव किया है। अगर आपका बैंक में खाता है और अपने पिछले दो साल से खाते में कोई लेन देन नहीं किया है। इसके साथ ही खाता निष्क्रिय या बंद (Account Closed) हो गया तो अब ऐसे में बैंक मिनिमम बैलेंस (Minimum Balance)  न रखने पर जुर्माना नहीं लगा सकते। अगर फिर भी बैंक मिनिमम बैलेंस न रखने पर जुर्माना लगाता है तो आइए नीचे खबर में जानते हैं आपको क्या कहना चाहिए- 

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HR Breaking News, Digital Desk- Reserve Bank of India: बैंक में खाता रखने वालों के लिए जरूरी खबर है। अगर आपका भी किसी भी बैंक में अकाउंट है और वह निष्क्रिय यानी बंद पड़ा हुआ है। तो अब रिजर्व बैंक ने बड़ी राहत दे दी है। रिजर्व बैंक (Reserve Bank) ने कहा है कि अब से बैंक निष्क्रिय पड़े खातों (inoperative accounts) पर मिनिमम बैलेंस (Minimum Balance) न रखने पर कोई भी जुर्माना नहीं लगा सकते हैं। 

रिजर्व बैंक ने कहा है कि अगर आपने अपने खाते से लगातार 2 सालों तक कोई भी लेनदेन नहीं किया है। इसके साथ ही वह खाता अब निष्क्रिय हो गया है तो इस पर किसी भी तरह का मिनिमम बैलेंस (Minimum Balance) न रखने का चार्ज बैंक नहीं लगा सकते हैं। 

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स्कॉलरशिप खातों पर भी नहीं लगेगा चार्ज

इसके साथ ही रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि बैंक स्कॉलरशिप राशि या फिर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के लिए बनाए गए खातों पर भी किसी तरह का मिनिमम बैलेंस चार्ज (minimum balance charge) नहीं लगा सकते हैं। चाहे भले ही इन खातों का 2 सालों से ज्यादा समय तक इस्तेमाल नहीं किया गया हो। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को यह हिदायत दी है।

हमेशा मिलता रहेगा ब्याज

एक रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों को सेविंग अकाउंट (savings account) पर हमेशा ब्याज देते रहना होगा चाहे वह फिर निष्क्रिय ही क्यों न हो। सरकारी स्कीम वाले खातों में जीरो बैलेंस है तो भी उन्हें निष्क्रिय नहीं माना जाएगा। साथ ही मिनिमम बैलेंस पेनाल्टी (Minimum Balance Penalty) भी नहीं लगेगी।  


लावारिस राशि को कम करने में मिलेगी मदद

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रिजर्व बैंक (RBI) के इस कदम से बैंकों में लावारिस पड़े खातों और बिना दावे वाली राशि को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है। आरबीआई (RBI update) ने अपने सर्कुलर में कहा है कि इन निर्देशों से बैंकिंग सिस्टम में लावारिस जमा की राशि को कम करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही लावारिस जमा राशि को उनके सही मालिकों/दावेदारों को वापस करने में भी मदद मिलेगी। इसके लिए बैंकों और रिजर्व बैंक की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं। 

SMS और मेल के जरिए करें संपर्क

नए नियमों के तहत, बैंकों को ग्राहकों को SMS, लैटर या ईमेल के जरिए उनके खातों के निष्क्रिय होने की सूचना देनी होगी। बैंकों से यह भी कहा गया है कि यदि किसी निष्क्रिय खाते  (inactive accounts) का मालिक जवाब नहीं देता है तो उस व्यक्ति से संपर्क करें जिसने अकाउंट होल्डर से परिचय कराया है या फिर जो उस खाते का नॉमिनी है उससे संपर्क किया जाए। 


28 फीसदी बढ़ी लावारिस राशि

RBI की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2023 के अंत तक लावारिस जमा 28 फीसदी बढ़कर 42,272 करोड़ रुपये हो गई, जो एक साल पहले 32,934 करोड़ रुपये थी। पहले भी आरबीआई (RBI) ने बैंकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि न्यूनतम शेष राशि बनाए न रखने पर जुर्माना शुल्क लगाने की वजह से खातों में शेष राशि नकारात्मक न हो जाए। इसके बाद में भी बैंकों द्वारा पेनाल्टी चार्ज (penalty charge) लगाना जारी रखी गई है और इसके कई उदाहरण सामने आए हैं।
 

 

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इससे पहले आरबीआई ने बैंकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं करने पर पेनाल्टी चार्ज लगने के कारण खातों में बैलेंस निगेटिव ना हो जाए. इसके बाद भी कई बैंक लगातार पेनाल्टी लगाते रहे हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन और ईएमआई (EMI) को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है। बैंक ने लोन लेने वाले ग्राहकों को राहत का खबर दी है। बैंक ने पीनल चार्ज और ब्याज दरों को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। पीनल चार्जेज और ब्याज दरों में ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए नए नियम बनाए हैं। और यह नियम 1 तारीख से लागू हो चुके हैं। 

जानिये क्यों बदला नियम


आरबीआई ने कहा कि कई उधारकर्ता की तरफ से उन शर्तों के साथ चूक या गैर-अनुपालन के मामले में पीनल चार्ज का इस्तेमाल करते हैं। यह उन शर्तों पर भी लागू होता है जिसके तहत कोई लोन मिलता है। बैंक को अनुशासन बनाए रखने के लिए आरबीआई ने कहा के बैंक पीनल चार्ज को कमाई का जरिया ना बनाए। कई संस्था पीनल चार्ज के जरिये पैसे कमाते हैं। इन्हीं बातों का ध्यान रखते हुए केंद्रीय बैंक ने यह गाइडलाइन जारी की है।


भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश


अगर बैंक कोई पेनल्टी चार्ज लेती है तो उसके पीनल चार्ज माना जाएगा। यह पीनल इंटरेस्ट नहीं होता है। इसे रेट ऑफ इंटरेस्ट से डायरेक्ट नहीं जोड़ा जाता है।
बैंक को एक्सट्रा कॉम्‍पोनेंट पेश करने की अनुमति नहीं है।
कोई भी पीनल चार्ज के लिए एक बोर्ड अप्रूव्ड पॉलिसी तैयार होनी चाहिए।
बैंक को किसी भी लोन या प्रोडक्ट को लेकर कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए।
यह नियम बैंकिंग संस्था पर लागू होंगे। इसमें कमर्शियल बैंक, सहकारी बैंक, एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां और एक्जिम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी, सिडबी और एनएबीएफआईडी जैसे बाकी संस्था शामिल है।

नहीं भर पा रहे हैं लोन तो जरूर जान लें ये आरबीआई के नियम - 

आपके किसी बैंक से अगर कोई कार लोन, होम लोन या पर्सनल लोन ले रखा, लेकिन आपको इसे चुकाने में परेशानी हो रही है। तब डिफॉल्टर होने से बेहतर है कि आप भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के इस नियम-कानून को जान लें। एक तो ये आपको डिफॉल्टर होने से बचाएगा, दूसरा आपके लोन का ब्याज या ईएमआई भी कम करने में मदद करेगा।

क्रेडिट कार्ड से लोन लेने के अंकाड़ों में हुआ इजाफा- 

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देश में लोगों के लोन या क्रेडिट कार्ड से खर्च करने की आदतों पर नजर रखने का काम ‘क्रेडिट इंफोर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड’ (CIBIL) करता है. पिछले साल आई इसकी एक रिपोर्ट में कई चौंकोन वाले खुलासे हुए थे, जिसमें कहा गया था कि लोगों का असुरक्षित लोन (क्रेडिट कार्ड से खर्च) लेना बढ़ रहा है, वहीं पर्सनल लोन भी कोविड के पहले के स्तर से ज्यादा हो गया है. इस रिपोर्ट ने आरबीआई को चेताने का काम किया।

लोन डिफॉल्टर्स को आरबीआई ने दी राहत-

जिन लोगों को लोन चुकाने में दिक्कत आ रही थी, उन्हें राहत देने के लिए आरबीआई ने कई गाइडलाइंस बनाई हैं. ये लोन डिफॉल्टर्स के लिए एक राहत की तरह है, क्योंकि इसकी वजह से उन्हें लोन चुकाने के लिए अधिक मोहलत मिल जाती है।


आधा लोन तक हो सकता है रीस्ट्रक्चर

मान कर चलिए आपके ऊपर 10 लाख रुपये का लोन है, लेकिन आप उसे पूरा चुका नहीं पा रहे. तो आरबीआई की गाइडलाइंस के मुताबिक आप उसे रीस्ट्रक्चर करवा सकते हैं. ऐसे में आपको 5 लाख रुपये तब देने होंगे, बाकी 5 लाख रुपये को आप लंबी अवधि में धीरे-धीरे चुका सकते हैं. इस तरह आपकी ईएमआई का बोझ भी कम हो जाएगा।


डिफॉल्टर होने से खराब होता है सिबिल

निश्चित तौर पर लोन को रीस्ट्रक्चर कराना आपके लिए बेहतर विकल्प है, क्योंकि ये आपके ऊपर से लोन डिफॉल्टर के टैग को हटाता है. किसी व्यक्ति का लोन डिफॉल्टर होना उसकी क्रेडिट हिस्ट्री और हेल्थ दोनों को खराब करता है. इस वजह से आपका सिबिल स्कोर भी खराब करता है, जो भविष्य में आपके लिए लोन लेने के रास्तों को बंद कर देता है।

बैंक कर्मचारी आपका काम करने से करें इनकार तो यहां तुरंत करें शिकायत- 

आप अपने किसी काम के सिलसिले में बैंक (Bank) में जाएं और वहां मौजूद कर्मचारी आपके काम को करने में आनाकानी करे, या फिर लंच के बाद आने के लिए बोले या बताए समय पर पहुंचने पर वो अपनी सीट पर ही न मिले, तो फिर आपको खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. लेकिन क्या आप जानते हैं आपके काम को ड्यूटी ऑवर्स में टालने वाले ऐसे कर्मचारियों पर आप तुरंत एक्शन ले सकते हैं, आरबीआई की ओर से बैंक ग्राहकों को कई तरह के अधिकार (Bank Customer Rights) दिए गए हैं और तमाम सुविधाएं भी, जिनके जरिए आप इस तरह की परेशानी की शिकायत (Complaint) कर सकते हैं.  

RBI ने ग्राहकों को दिए हैं कई अधिकार


दरअसल, बैंक ग्राहकों को इस तरह की परेशानियों का सामना जानकारी के अभाव में करना पड़ता है, क्योंकि ऐसे मामलों से निपटने के लिए उनके पास क्या-क्या अधिकार हैं इसके बारे में ज्यादातार लोगों को पता ही नहीं होता, जबकि आप इस तरह की लापरवाही की शिकायत (Complaint) कर संबंधित कर्मचारी पर कार्रवाई करा सकते हैं. बैंक ग्राहकों को कई ऐसे अधिकार (Bank Customers Rights) मिलते हैं, जिनकी जानकारी आमतौर पर कस्टमर्स को नहीं होती. ग्राहकों के साथ बैंक का सही व्यवहार करना जरूरी है. ऐसा न होने पर ग्राहकों को अधिकार है कि अगर बैंक उचित व्यवहार नहीं करता तो वह सीधे रिजर्व बैंक (RBI) तक अपनी शिकायत पहुंचा सकते हैं. 

परेशान होकर शांत न बैठें, करें ये काम

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अपने अधिकारों की जानकारी के अभाव में ग्राहक कर्मचारियों के लापरवाही भरे व्यवहार का शिकार होकर अपने काम के लिए यहां वहां भटकते रहते हैं और घंटों इंतजार करते रहते हैं. लेकिन आपके साथ अगर आगे इस तरह का कोई भी मामला सामने आए, तो जान लें कि आप उस कर्मचारी की शिकायत सीधे बैंकिंग लोकपाल से कर सकते हैं और समस्या का समाधान पा सकते हैं. आपको बस करना ये होगा कि ऐसी परेशानी पेश आने पर शांत होकर बैठना नहीं है, बल्कि अगर कोई बैंक कर्मी आपके काम को करने में लेट-लतीफी करे, तो सबसे पहले उस बैंक के मैनेजर (Bank Manager) या नोडल ऑफिसर के पास जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराएं. 

बैंक कस्टमर्स के पास शिकायत करने के ये तरीके


बैंक ग्राहक (Bank Custmers) अपनी शिकायत को ग्रीवेंस रिड्रेसल नंबर पर भी दर्ज करा सकते हैं. दरअसल, ग्राहकों की श‍िकायतों के निपटान के लिए लगभग हर बैंक के ग्रीवेंस रिड्रेसल फोरम होते हैं. जिनके जरिए प्राप्त शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई की जाती है. इसके लिए आप जिस भी बैंक के ग्राहक हों, उस बैंक का ग्रीवेंस रिड्रेसल नंबर (Grievance Redressal Number) लेकर शिकायत कर सकते हैं. इसके अलावा बैंक के टोलफ्री (Toll Free) नंबर पर कॉल करके या फिर बैंक के ऑनलाइन पोर्टल पर भी श‍िकायत (Online Complaint) दर्ज कराने की सुविधाएं दी जाती हैं. 

बैंकिंग लोकपाल से सीधे कर सकते हैं शिकायत


अगर आपने इस तरह की परेशानी झेली है और ऊपर बताए गए तमाम तरीकों से भी मामले का निपटान नहीं हो सका है, तो फिर आप सीधे बैंकिंग लोकपाल को अपनी समस्या बता सकते हैं. इसके लिए आप ऑनलाइन अपनी शिकायत भेज सकते हैं. शिकायत दर्ज करने के लिए आपको वेबसाइट https://cms.rbi.org.in पर लॉगिन करना होगा. फिर होमपेज खुलने पर वहां दिए गए File A Complaint ऑप्शन पर क्लिक करना होगा. इसके साथ ही CRPC@rbi.org.in पर मेल भेजकर भी शिकायत बैंकिंग लोकपाल से की जा सकती है. बैंक के ग्राहकों की शिकायतों के निराकरण के लिए RBI के टोल फ्री नंबर 14448 है, जिस पर कॉल करके समस्या का समाधान कराया जा सकता है.