Budget 2024: कौन से बजट से और कैसे हुई थी टैक्स स्लैब की शुरुआत, जाने पहले कितना लगता था Tax
Tax slab changes in Budget 2024: भारत का इतिहास काफी गहरा है। बता दें, मोदी सरकार के लगातार तीसरी बार गठन के बाद साल का बजट को पेश होने जा रहे है। ऐसे में लोगों को ये भी जाने (History of Indian Budget) की इच्छा है की आखिर टैक्स स्लैब की शुरुआत कौन से बजट से हुई और किस साल में देश की जनता को टैक्स छूट दी गई। साथ ही देश के आजादी के समय टैक्स लिमिट (Tax limit in budget 2024) और छूट क्या होती थी। आइए इन सभी सवालों के बारे में विस्तार से जानते है-

HR Breaking News, Digital Desk- मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्ण बजट है, जिसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करने जा रही हैं। 23 जुलाई 2024 को बजट पेश करने की तारीख (Union budget 2024) तय की गई है। देश के टैक्सपेयर्स सरकार से यह उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें टैक्स में छूट मिल सकता है। ऐसे में यह जानना काफी दिलचस्प (Budget latest income tax slab) हो जाता है कि जब देश आजाद हुआ था तब कितने रुपए का टैक्स लगता था और इतने सालों में इसमें कैसे बदलाव देखा गया।
1949-50 के बजट में पहली बार 10,000 रुपए तक की आमदनी पर लग रहे 1 आने यानी चार पैसे के टैक्स में से एक चौथाई हिस्से यानी एक पैसे की कटौती की गई। वहीं दूसरे स्लैब में 10,000 ज्यादा (India’s first budget) की आमदनी वालों पर लगने वाले टैक्स को 2 आने से घटाकर 1.9 आना किया गया था। बता दें कि आजाद भारत में पहली बार किसी बजट में इनकम टैक्स की दरें तय की गई थी।
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टैक्स को लेकर बड़े बदलाव
जब 1974-75 का बजट वित्त मंत्री यशवंत राव चव्हाण ने पेश किया तब 6000 रुपए तक की सालाना आमदनी को टैक्स स्लैब से बाहर किया। 70,000 रुपए से ज्यादा की आमदनी पर 70 फीसदी मार्जिनल टैक्स रेट ( Income Tax Slab Changes) तय किया गया। सभी कैटेगरी पर सरचार्ज एक समान 10 फीसदी किया गया। सबसे ऊपरी स्तर वाले स्लैब पर इनकम टैक्स और सरचार्ज मिलाकर कुल 77 फीसदी टैक्स हुआ। इस बजट में वेल्थ टैक्स बढ़ाया गया था।
1985-86 के बजट से पहले इनकम टैक्स में 8 स्लैब थे, जिसे वित्त मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 4 कर दिया। मार्जिनल टैक्स रेट 61.875 फीसदी से कम कर 50 फीसदी किया। 18000 रुपए की आमदनी वालों को टैक्स फ्री कर दिया। 18001 रुपए से 25000 रुपए तक की ( Tax free slab) कमाई वालों पर 25 फीसदी और 25,001 रुपए से 50,000 रुपए की आय वालों पर 30 फीसदी टैक्स लगाया। 50,001 रुपए से 1 लाख रुपए सालाना आमदनी पर 40 फीसदी टैक्स की दिया गया। 1 लाख से ज्यादा कमाने वालों पर 50 फीसदी टैक्स किया गया।
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टैक्स स्लैब का ऐसे हुआ बंटवारा
1992-93 के बजट में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने टैक्स स्लैब को तीन हिस्सों में बांटा। सबसे निचले स्लैब में 30 हजार रुपए से 50 हजार रुपए तक की आमदनी वालों के लिए 20 फीसदी, दूसरे में 50 हजार से 1 लाख तक 30 फीसदी और 1 लाख से अधिक आमदनी वालों पर 40 फीसदी तय किया। मनमोहन सिंह ने नरसिम्हा राव की सरकार में एक बार फिर से टैक्स स्लैब में बदलाव किए। उन्होंने 1994-95 के बजट में इनकम टैक्स के पहले स्लैब में 35 हजार रुपए से 60 हजार (tax slab changes) रुपए तक 20 फीसदी, दूसरी स्लैब में 60 हजार से 1.2 लाख तक 30 फीसदी और 1.2 लाख रुपए से अधिक पर 40 फीसदी टैक्स लगाया गया।
1997-98 के बजट को वित्त मंत्री पी। चिदंबरम ने पेश किया, जिसे ड्रीम बजट कहा जाता है। उन्होंने टैक्स दरों में बदलाव करते हुए 15, 30 और 40 फीसदी से 10, 20 और 30 फीसदी कर दिया। साथ ही 40 से 60 हजार वालों को 10 फीसदी, 60 हजार से 1.5 लाख वालों को 20 फीसदी (latest budget 2024 update) और इससे ज्यादा वालों को 30 फीसदी के दायरे में रखा गया।
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इनके दौर में हुए ये बदलाव
यूपीए 1 के दौर में 2005-06 के बजट में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एक बार फिर से देश के लोगों को बड़ी राहत दी। उन्होंने एक लाख तक कमाने वाले लोगों को टैक्स फ्री कर दिया। 1 से 1.5 लाख तक कमाने वालों पर 10 फीसदी, 1.5 लाख से 2.5 लाख वालों को 20 फीसदी और 2.5 लाख से (Income tax slab news) ज्यादा कमाने वालों पर 30 फीसदी टैक्स रखा गया।
यूपीए 2 के दौर में जब 2010-11 का बजट आया तब इस बार बजट प्रणब मुखर्जी ने बजट पेश किया और देश के लोगों को राहत देने की कोशिश की। उन्होने स्लैब में बदलाव करते हुए 1.6 लाख तक (UPA income tax slab) कमाने वालों को टैक्स के दायरे बाहर कर दिया। 1.6 लाख से 5 लाख तक वालों पर 10 फीसदी, 5 लाख से 8 लाख वालों पर 20 फीसदी और 8 लाख से ज्यादा वालों पर 30 फीसदी टैक्स लगाया गया।
2012-13 का बजट भी प्रणब मुखर्जी ने पेश किया और शून्य टैक्स वाले स्लैब को 1.8 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया और बाकी टैक्स स्लैब्स में भी थोड़े-बहुत बदलाव किए। उन्होंने घोषणा की कि 2 लाख तक कमाने वालों पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। 2 लाख से 5 लाख रुपए सालाना कमाने वालों पर 10 फीसदी और 5 लाख से 10 लाख की आय करने वालों को 20 फीसदी टैक्स स्लैब में रखा गया। 10 लाख से ज्यादा आमदनी वाले लोगों पर 30 फीसदी टैक्स लगाया गया।
मोदी सरकार का पहला बजट
2014-15 का बजट: यह मोदी सरकार का पहला बजट था। फाइनेंस बिल 2015 पास होने के बाद वेल्थ टैक्स को खत्म कर दिया गया। वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वानों पर 2 फीसदी सरचार्ज लगा दिया।
2017-18 के बजट में अरुण जेटली ने 2.5 लाख से 5 लाख तक वालों पर 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी टैक्स किया। इनकम टैक्स कानून, 1961 के सेक्शन 87ए में रीबेट को 2.5 लाख से 3.5 लाख किया (nirmala sitharaman) और 5 हजार से घटाकर 2.5 हजार कर दिया गया। जिसकी वजह से 3 लाख रुपए तक कमाई करने वालों पर इनकम टैक्स लगभग खत्म हो गया। साथ ही 3 लाख से 3।5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स 2,500 रुपए रह गया।
2019 में फरवरी में मोदी सरकार की ओर से अंतरिम बजट पेश किया गया। इस बजट को पीयूष गोयल ने पेश किया था। उस समय उनके पास वित्तमंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार था। पीयूष गोयल ने 5 लाख तक के आय वालों को टैक्स फ्री करने की घोषणा की। इसके अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन (budget standard deduction)की सीमा को बढ़ा दिया गया था।
2020 का बजट वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया। वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए टैक्स स्लैब में बदलाव किए। इस बजट में 2।5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगाया गया। वहीं 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय पर 5 फीसदी टैक्स किया गया। 5 से 7.5 लाख वाले स्लैब पर 10 फीसदी का टैक्स तय किया गया। 7.5 लाख से 10 लाख की आय पर 15 फीसदी और 10 लाख से 12.5 लाख की आय पर 20 फीसदी टैक्स (tax free income) लगाया गया। तब उन्होंने एक नई टैक्स रिजीम भी शुरू की। जिसमें 7 लाख तक की कमाई को टैक्स फ्री कर दिया गया। साथ में मिलने वाली टैक्स रिबेट को उसमें खत्म कर दिया गया।