home page

CIBIL Score : क्या बार बार चेक करने से खराब हो जाता है सिबिल स्कोर, RBI ने बदला नियम

CIBIL Score New rules : सिबिल स्कोर का महत्व उन लोगों को अच्छी तरह से पता है, जिन्हें लोन की जरूरत पड़ती है। अच्छा सिबिल स्कोर आसानी से कम ब्याज दरों पर लोन दिलाने में सहायक है तो खराब सिबिल स्कोर के कारण लोन मिलना मुश्किल हो जाता है या फिर ब्याज दरें अधिक होती हैं। ऐसे में अच्छा सिबिल स्कोर बनाए रखना जरूरी है। cibil score खराब होने के कई कारण होते हैं, लेकिन लोग इस बात को लेकर भी कंफ्यूज रहते हैं कि क्या बार-बार चेक करने से भी सिबिल स्कोर खराब (cibil score down) होता है। आइये जानते हैं इस सवाल का जवाब खबर में।

 | 
CIBIL Score : क्या बार बार चेक करने से खराब हो जाता है सिबिल स्कोर, RBI ने बदला नियम

HR Breaking News - (ब्यूरो)। आमतौर पर सिबिल स्कोर लोन डिफॉल्ट होने, समय पर EMI न भरने या क्रेडिट कार्ड के बिल न भरने पर खराब होता है, लेकिन इसके अलावा और भी कई कारण हैं जिनकी वजह से सिबिल स्कोर डाउन (cibil score khrab hone ke karn)चला जाता है। इनमें से कई कारण समझने में जटिल भी हैं। बार-बार सिबिल स्काेर चेक करने से सिबिल स्कोर पर क्या इफेक्ट पड़ता है, जानिये नीचे विस्तार से।

 

ये भी जानें : केंद्रीय कर्मचारियों के 18 महीने के बकाया DA Arrears पर सरकार का रूख साफ, आया लिखित जवाब

Cibil Score कितना होना चाहिए

 

Cibil स्कोर 300 से 900 के बीच तीन अंकों की संख्या में होता है। इससे बैंक ग्राहक की वित्तीय स्थिति, क्रेडिट हिस्ट्री आदि का पता चलता है। सस्ता व आसानी से लोन (loan News) लेने के लिए 750 या इससे ऊपर का स्कोर ही बेहतर माना जाता है। इससे नीचे का सिबिल स्कोर होने पर लोन लेने में कठिनाई आती है।


कितने दिन में अपडेट होता है सिबिल स्कोर -

 


नए साल में बैंक ग्राहकों का सिबिल स्कोर हर 15 दिन में अपडेट (cibil score update) करने का नियम तय किया गया है। यानी महीने में इसे दो बार अपडेट किया जाएगा। यह RBI ने अपने निर्देशों में भी बैंक और वित्तीय संस्थानों को स्पष्ट किया है।

 

बार-बार Cibil स्कोर चेक करने का यह होता है असर-

 

Cibil स्कोर को दो तरह से चेक किया जाता है। खुद से चेक करना व बैंक या किसी वित्तीय संस्थान द्वारा चेक करना। खुद से चेक करने को "सॉफ्ट इंक्वायरी" कहा जाता है और बैंक या NBFC द्वारा क्रेडिट स्कोर चेक करने को "हार्ड इंक्वायरी" कहा जाता है। खुद से सिबिल स्कोर चेक करने का प्रभाव सिबिल स्कोर पर नहीं पड़ता लेकिन बैंक या NBFC की ओर से चेक करने पर इसके प्वाइंट घट सकते हैं। बार-बार हार्ड इंक्वायरी (cibil ki hard inquiry) होने पर ये डाउन हो सकता है। हार्ड इंक्वायरी का मतलब यह होता है कि आपने बार-बार लोन या क्रेडिट कार्ड (credit card) के लिए कहीं न कहीं अप्लाई किया है।

 

RBI ने यह बनाया है नियम -


RBI ने अब हार्ड इंक्वायरी की प्रक्रिया के लिए नए नियम (RBI rules for cibil score) तय किए हैं। इनके अनुसार अब अगर कोई बैंक या NBFC  किसी का सिबिल स्कोर या क्रेडिट हिस्ट्री उस स्थिति में चेक करें जब कोई लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करता है। अन्य स्थितियों में बार-बार सिबिल स्कोर चेक करना नकारात्मक असर डालता है। सिबिल स्कोर चेक (cibil score check krne ke nuksan) करने की सूचना भी ग्राहक को दी जाए तो ही बेहतर है।

इन कारणों से भी खराब होता है सिबिल स्कोर -

क्रेडिट स्‍कोर (credit score) गिरने के कई कारण हैं। निर्धारित समय पर लोन रीपेमेंट न करना, क्रेडिट कार्ड यूटिलाइजेशन रेश्यो में गड़बड़, जल्दी-जल्दी लोन के लिए अप्लाई करना, एक ही समय में दो लोन लेना, लोन सेटलमेंट, क्रेडिट कार्ड बिलों का समय पर भुगतान न करने पर भी सिबिल स्कोर खराब होता है। इसके अलावा अगर आप ऐसे व्यक्ति के लोन गारंटर (loan gaurantor bnne ke nuksan) बन जाते हैं, जो लोन की ईएमआई या लोन रिपेमेंट समय पर न करे तो भी आपका सिबिल स्कोर डाउन (cibil score kab down hota hai) होता है।

ये भी पढ़ें - Property Rules : सिर्फ रजिस्ट्री से नहीं बनते प्रॉपर्टी के मालिक, ये डॉक्यूमेंट होता है सबसे अहम

कैसे सुधारें Cibil स्कोर -

सिबिल स्कोरे को गिरने से बचाने के लिए समय पर लोन की किस्तों व लोन की रिपेमेंट करनी चाहिए। बार-बार लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे बार-बार बैंक आपके सिबिल स्कोर को चेक करेंगे, जिससे सिबिल स्कोर खराब (cibil score khrab hone par kya kren) हो जाता है। इसके अलावा समय-समय पर अपने सिबिल स्कोर की जानकारी रखें। सिबिल स्काेर जानने के लिए आधिकारिक वेबसाइट या RBI की ओर से मान्यता प्राप्त संस्थान या बैंक में ही पता करें। क्रेडिट कार्ड के बिलों का समय पर भुगतान करके भी आप सिबिल स्कोर सुधार सकते हैं। क्रेडिट हिस्ट्री में सुधार (credit history) के लिए बैंक में एफडी कराकर उस पर क्रेडिट लेकर भी इसे सुधारा जा सकता है।