CIBIL Score : बैंक से सस्ता लोन के लिए कितना होना चाहिए सिबिल स्कोर, बैंक जाने से पहले जान लें ये जरूरी बात

HR Breaking News : (CIBIL Score) सिबिल स्कोर का नाम तो आपने सुना ही होगा, सिबिल स्कोर किसी भी लोन के लिए जांचे जाने वाली सबसे पहली चीज होती है। जब भी आप बैंक से लोन लेने के लिए जाते हैं तो बैंक सबसे पहले आपके क्रेडिट स्कोर यानी सिबिल स्कोर (cibil score rules) को ही चेक करता है।
अगर आपका क्रेडिट स्कोर सही है तो बैंक आपको कम ब्याज दरों पर ही चुटकियों में सस्ता लोन दे देता है। चलिए खबर में आपको बताते है कि बैंक से सस्ता लोन के लिए कितना सिबिल स्कोर जरूरी होता है।
बैंक अच्छे क्रेडिट स्कोर पर सस्ता लोन देते हैं। बैंक सिबिल स्कोर के आधार पर कर्ज देते हैं। अगर आपका सिबिल स्कोर टॉप नॉच है तो आपको लोन रेट पर 0.15-0.25% डिस्काउंट मिल सकता है।
क्यों जरूरी होता है CIBIL Score?
सिबिल स्कोर से क्रेडिट हिस्ट्री पता चलती है।
बैंक लोन अप्लाई करने वाले का सिबिल स्कोर देखते हैं।
आवेदक के लोन बिहेवियर को जांचा जाता है।
क्रेडिट स्कोर में मौजूदा लोन, बिल का पेमेंट का खाका होता है।
क्रेडिट स्कोर का दायरा 300 से 900 के बीच होता है।
700 या इससे ज्यादा स्कोर हो तो बैंक इसे अच्छा मानते हैं।
क्या है क्रेडिट स्कोर का पैरामीटर?
बहुत ही अच्छा- 800-850
बहुत अच्छा- 799-740
अच्छा- 739-670
ठीक- 699-580
बहुत खराब- 579-300
इस तरह खराब होता है सिबिल स्कोर
समय पर कर्ज भुगतान न करने पर
क्रेडिट लिमिट से ज्यादा कर्ज लेने पर
लोन डिफॉल्ट करने पर
लोन सेटलमेंट करने पर
गारंटर बनने पर
कम सिबिल स्कोर है तो क्या होगा?
सिबिल स्कोर अगर कम है तो दिक्कत होगी। पर्सनल या बिजनेस लोन के लिए आवदेन दिया है तो बैंक से लोन मिलने में मुश्किल पेश आएगी। लोन की मंजूरी/नामंजूरी क्रेडिट स्कोर पर निर्भर होती है। कम स्कोर हो तो लोन नामंजूर होने की आशंका ज्यादा होती है। कम स्कोर का असर लोन की रकम पर भी पड़ता है।
खराब सिबिल स्कोर को इस तरह सुधारें
जरूरत से ज्यादा और बड़ा लोन नहीं लें।
EMI समय पर भरें।
क्रेडिट कार्ड का बिल भरें।
क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो कम रखें।
क्रेडिट कार्ड पर लोन लेने से बचें।
पुराना क्रेडिट कार्ड बंद नहीं करें।
पुराने क्रेडिट कार्ड की पेमेंट हिस्ट्री आएगी काम।
एलिजिबिलिटी देखने के बाद ही लोन आवेदन दें।
क्रेडिट स्कोर समय-समय पर चेक करें।
सस्ते होम लोन के टिप्स
लोन की टर्म एंड कंडीशन पढ़ें।
प्रोमोशनल ऑफर को अच्छे से समझें।
आर्थिक स्थिति को आंकें।
EMI को आय के 30-40% तक सीमित रखें।
लोन की ऑनलाइन तुलना जरूर करें।
प्रोसेसिंग फीस के अतिरिक्त चार्ज का पता करें।
कैसे मिलेगा सस्ता कर्ज?
अच्छा क्रेडिट स्कोर रखें।
लोन-टू-वैल्यू रेश्यो कम रखें।
ज्वाइंट होम लोन ले सकते हैं।
ज्वाइंट होम लोन (Joint Home Loan)
होम लोन में को-एप्लिकेंट जोड़ सकते हैं।
को-एप्लिकेंट का आय स्थायी, क्रेडिट स्कोर अच्छा हो।
को-एप्लिकेंट जोड़ने से लोन अप्रूव होने के चांस बढ़ते हैं।
ज्वाइंट होम लोन पर इनकम टैक्स का फायदा भी मिलता है।
कम लोन-टू-वैल्यू रेश्यो
कम लोन-टू-वैल्यू रेश्यो लोन के लिए अच्छा होता है।
घर खरीदने के लिए अपना योगदान ज्यादा रखें।
कम रेश्यो चुनने से प्रॉपर्टी में खरीदार का योगदान बढ़ता है।
बैंक का जोखिम कम होता है, लोन अफोर्डिबिलिटी बढ़ती है।
फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो
बैंक ग्राहक का FOIR (Fix Obligation to Income Ration) भी देखते हैं। FOIR का मतलब (Fix Obligation to Income Ration) फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो यानी कि आपकी इनकम कितनी है और किस्त भरने की आपकी क्षमता कितनी है। यानी कि आप हर महीने लोन की कितनी किस्त दे सकते हैं। आपका खर्च सैलरी के 50% के बराबर हो तो लोन रिजेक्ट हो सकता है।