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EMI Bounce Rule : लोन नहीं भरने पर बैंक कब करता है प्रोपर्टी की नीलामी, लोन लेने वाले जान लें नियम

EMI Bounce Rule : हर किसी को एक अच्छे घर की चाहत होती है। आजकल, बैंक इस सपने को सच करने में मदद कर रहे हैं। वे होम लोन पर कई आकर्षक ऑफर दे रहे हैं, हालांकि घर के लिए लोन लेना भी कोई आसान काम नहीं है। होम लोन और लोन की ईएमआई कई बार बहुत पेचीदा हो सकते हैं-

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EMI Bounce Rule : लोन नहीं भरने पर बैंक कब करता है प्रोपर्टी की नीलामी, लोन लेने वाले जान लें नियम

HR Breaking News, Digital Desk- (EMI Bounce Rule) हर किसी को एक अच्छे घर की चाहत होती है। आजकल, बैंक इस सपने को सच करने में मदद कर रहे हैं। वे होम लोन पर कई आकर्षक ऑफर दे रहे हैं, जिससे आम आदमी लंबे इंतजार के बजाय जल्दी अपना घर खरीद सकता है। बैंकों की यह पहल लोगों के लिए 'अपने घर' का सपना साकार करना आसान बना रही है।

हालांकि घर के लिए लोन लेना भी कोई आसान काम नहीं है। होम लोन और लोन की ईएमआई कई बार बहुत पेचीदा हो सकते हैं। अगर कोई लोन लेता है और उसकी ईएमआई चुकाने में समस्या होती है, तो ऐसे में जिस बैंक से लोन लिया गया है उसके पास लोन की राशि को रिकवर करने के लिए कई अधिकार हैं। अगर कोई ईएमआई डिफॉल्ट करता है तो ऐसे में बैंक या वित्तीय संस्थाएं उसकी प्रॉपर्टी नीलाम कर सकती है। हालांकि इसके लिए कुछ नियम है और बैंक को कुछ प्रोसेस फॉलो करते होते हैं। इसी से जुड़ा एक्ट है SARFAESI Act जो प्रॉपर्टी को नीलाम करने से संबधित है।

क्या है SARFAESI Act?

SARFAESI Act 2002 बैंकों और वित्तीय संस्थानों को यह अधिकार देता है कि जब कोई लोन लेने वाला अपना बकाया नहीं चुका पाता है, तो वे बिना कोर्ट की मंजूरी के उसकी संपत्ति बेचकर अपना पैसा वसूल कर सकें। हालांकि, इस प्रक्रिया के लिए बैंकों को कुछ नियमों का पालन करना होता है। यदि इस एक्ट से जुड़ा कोई विवाद होता है, तो उसकी सुनवाई डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल (DRT) में होती है, जिनकी संख्या देश में 39 है। इसके अलावा, पांच डेट रिकवरी एपेलेट ट्राइब्यूनल (DRATs) भी मौजूद हैं।

क्या है प्रोसेस?

नीलामी की प्रक्रिया तब शुरू होती है जब ग्राहक EMI चुकाना बंद कर देता है। अगर ईएमआई (EMI) 30 दिन से ज्यादा समय तक नहीं चुकाई जाती है तो इसे ‘स्पेशल मेंशन अकाउंट’ (SMA) 1 कहा जाता है। अगर 60 दिन से ज्यादा समय तक पेमेंट नहीं होता है तो इसे SMA 2 कहा जाता है। 90 दिन से ज्यादा समय तक पेमेंट (payment) नहीं होने पर अकाउंट को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) मान लिया जाता है।

जब बैंक किसी अकाउंट (account) को एसएमए या एनपीए में डालता है तो इसकी जानकारी Experian, CRIF और CIBIL जैसी क्रेडिट ब्यूरो कंपनियों को भेज दी जाती है। इससे ग्राहक और लोन के गांरटर के क्रेडिट स्कोर (credit score) पर खराब असर पड़ सकता है।

यदि कोई ग्राहक (customer) अनियंत्रित कारणों से ईएमआई चुकाने में असमर्थ है, तो बैंक पुनर्भुगतान के लिए अतिरिक्त समय दे सकता है। हालांकि, कानूनी नोटिस के बाद भी भुगतान न करने पर, बैंक SARFAESI अधिनियम की धारा 13(2) के तहत प्रक्रिया शुरू कर सकता है। इसके बाद, धारा 13(4) के तहत न्यायालय के माध्यम से गिरवी रखी गई संपत्ति पर कब्ज़ा (property possession) किया जा सकता है। यह प्रक्रिया बैंकों को अपने बकाया ऋण की वसूली करने में मदद करती है।

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