EPFO : ईपीएफओ का बड़ा डेटा आया सामने, लोगों के पीएफ खाते खाली
EPFO : ईपीएफओ ने आंशिक निकासी को सरल बनाया है, जिससे कर्मचारियों को तत्काल जरूरतें पूरी करने के लिए आसानी से पैसा मिल सके. हालांकि, सेवानिवृत्ति से पहले पूरी रकम निकालने पर अब सख्त नियम लागू किए गए हैं. केंद्र सरकार के आंकड़ों से पता चला है कि ईपीएफ के अधिकांश सदस्यों के पास निकासी के समय बहुत कम राशि होती है-
HR Breaking News, Digital Desk- (EPFO) ईपीएफओ ने आंशिक निकासी को सरल बनाया है, जिससे कर्मचारियों को तत्काल जरूरतें पूरी करने के लिए आसानी से पैसा मिल सके. हालांकि, सेवानिवृत्ति से पहले पूरी रकम निकालने पर अब सख्त नियम लागू किए गए हैं. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर्मचारी अपनी अल्पकालिक आवश्यकताओं को पूरा करते हुए भी भविष्य के लिए एक पर्याप्त बचत राशि बनाए रखें. (EPFO New Rule)
रिटायरमेंट से पहले ही खत्म हो रहा है पैसा-
केंद्र सरकार (Central Government) के आंकड़ों से पता चला है कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के अधिकांश सदस्यों के पास निकासी के समय बहुत कम राशि होती है। आंकड़ों के अनुसार, करीब 50% ईपीएफ सदस्यों के खाते में निकासी के वक्त ₹20,000 से भी कम, 75% के खाते में ₹50,000 से कम, और 87% सदस्यों के पास रिटायरमेंट के करीब भी ₹1 लाख से कम राशि जमा होती है। यह स्थिति नौकरीपेशा लोगों के लिए भविष्य की बचत को लेकर चिंता बढ़ाती है।
सरकार ने स्पष्ट कहा है कि यह स्थिति दिखाती है कि अधिकांश लोग अपने बुढ़ापे के लिए पर्याप्त बचत नहीं कर पा रहे हैं. छोटी-छोटी जरूरतों के लिए बार-बार पैसा निकालने की आदत उनके रिटायरमेंट फंड (retirement fund) को खोखला कर रही है. इसी गंभीर समस्या से निपटने के लिए अब नियमों को बदला गया है.
पैसे निकालने पर अब लगेगी लगाम-
कर्मचारियों की बचत की आदत को बढ़ावा देने और रिटायरमेंट फंड को मजबूत बनाने के लिए केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में हुई ईपीएफओ की बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए. सबसे बड़ा बदलाव समय से पहले पूरी रकम निकालने के नियमों में किया गया है.
न्यूनतम बैलेंस की शर्त-
अब हर पीएफ खाते में 25% का न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना अनिवार्य होगा. इसका मतलब है कि आप अपना खाता पूरी तरह से खाली नहीं कर पाएंगे.
पूरी निकासी के लिए लंबा इंतजार-
अगर आप नौकरी छोड़ने के बाद अपना पीएफ का पूरा पैसा निकालना चाहते हैं, तो अब आपको 2 महीने की जगह पूरे 12 महीने का इंतजार करना होगा.
पेंशन निकासी और भी मुश्किल-
पेंशन फंड की निकासी के लिए इंतजार की अवधि को 2 महीने से बढ़ाकर सीधे 36 महीने यानी तीन साल कर दिया गया है. अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला इसलिए जरूरी था क्योंकि 75% पेंशन स्कीम के सदस्य तुरंत ही अपना सारा पैसा निकाल लेते थे, जिससे उनका बुढ़ापा असुरक्षित हो जाता था.
जरूरत पर मिलेगा आसानी से पैसा-
सरकार ने कर्मचारियों के भविष्य निधि (EPFO) को रिटायरमेंट से पहले पूरी तरह निकालने पर सख्ती बरती है, लेकिन उनकी तात्कालिक जरूरतों के लिए नियमों में नरमी भी दिखाई है. आंशिक निकासी (इलाज, शादी, शिक्षा) की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है. पिछले साल, 7 करोड़ आवेदनों में से 6 करोड़ को मंजूरी मिली थी. एक अधिकारी के अनुसार, यह दोहरी रणनीति संतुलन बनाती है: "यह आपका ही पैसा है, जिसे जरूरत पर निकाला जा सकता है, लेकिन न्यूनतम बैलेंस (minimum balance) की शर्त यह सुनिश्चित करेगी कि खाता सक्रिय रहे और उस पर 8.25% का आकर्षक ब्याज मिलता रहे." इसका उद्देश्य वर्तमान की जरूरतों और भविष्य की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना है.
सरकार ने शुरू किया ‘कर्मचारी नामांकन अभियान’-
ईपीएफओ (EPFO) ने उन कर्मचारियों को भी एक बड़ा मौका दिया है, जो किसी कारणवश अब तक इस सामाजिक सुरक्षा योजना का हिस्सा नहीं बन पाए थे. 1 नवंबर से एक नई नामांकन योजना शुरू की जा रही है. यह योजना उन सभी कर्मचारियों के लिए है, जो जुलाई 2017 से अक्टूबर 2025 के बीच नौकरी में तो आए, लेकिन उनका पीएफ खाता (pf account) नहीं खुल सका. इस योजना के तहत, नियोक्ता को कर्मचारी के हिस्से का बकाया और उस पर लगने वाला ब्याज जमा करना होगा.
EPFO ने 2017 से नामांकन न करने वाले नियोक्ताओं पर केवल ₹100 का मामूली जुर्माना लगाया है, ताकि अधिक से अधिक लोग इस योजना से जुड़ सकें. यह छूट उन कर्मचारियों को मिलती है जिनके वेतन से पहले कोई कटौती नहीं हुई है, उन्हें अपना पिछला हिस्सा जमा करने की आवश्यकता नहीं है. सरकार छोटी बचत के महत्व पर जोर देती है, जो एक दिन बड़ा रिटायरमेंट फंड बनाती है.
