Home Loan : होम लोन पर बैंक चुपके से वसूलते हैं ये 6 चार्जेज, लोन लेने वाले जान लें ये जरूरी बात
HR Breaking News - (Home Loan Charges)। लोन लेने वाले लोगों को बैंक (bank loan charges) की ओर से जब लोन दिया जाता है तो कई तरह के चार्ज वसूले जाते हैं। इनमें से कुछेक चार्ज (hidden charges on home loan) ही ऐसे होते हैं जो ग्राहक को स्पष्ट रूप से पता चलते हैं, लेकिन 6 चार्जेज ऐसे हैं जो बैंक चुपके से वसूलते हैं यानी उनके बारे में बताते भी नहीं हैं। अगर आप भी होम लोन लेने जा रहे हैं तो इन चार्जेज (home loan ke charges) को जरूर जान लें, ताकि लोन लेते समय समझदारी भरा निर्णय लिया जा सके।
1. लोन एप्लीकेशन चार्ज -
बैंक में लोन के लिए अप्लाई करते ही लोनधारक पर धड़ाधड़ चार्ज लगने शुरू हो जाते हैं। लोन के लिए आवेदन करते ही ग्राहक पर लोन एप्लीकेशन चार्ज (home loan bank charges) लगा दिया जाता है।
इसे लॉगिन चार्ज के नाम से भी जाना जाता है, अलग अलग बैंकों में यह अलग अलग हो सकता है। कुछ बैंकों की ओर से लोन अप्रूव होने पर इसे लोन प्रोसेसिंग फीस (home loan processing fees) में जोड़ दिया जाता है। किसी कारण से अगल लोन अप्रूव नहीं होता है तो इसे आवेदन शुल्क (home loan application charges) के रूप में अलग से ग्राहक से लिया जाता है।
2. लोन फोरक्लोजर चार्ज -
फिक्स्ड ब्याज दरों पर एक निश्चित अवधि के लिए होम लोन लेने के बाद इसे समय से पहले ही चुकाने वालों से बैंक लोन प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर चार्ज (home loan foreclosure fees) लेते हैं। इस फीस को इसलिए लिया जाता है क्योंकि उन्हें पूरी लोन अवधि के दौरान जो बेनेफिट ग्राहक से मिलता है वह समय से पहले चुकाने पर नहीं मिलता।
इसकी भरपाई करने के लिए यह चार्ज (home loan prepayment charges) ग्राहक से लिया जाता है। हालांकि कुछ बैंकों के इस संदर्भ में अलग नियम हैं। फ्लोटिंग रेट पर होम लोन (home loan prepayment rules) लेने के बाद इसे समय से पहले चुकाने पर अक्सर यह चार्ज नहीं लिया जाता।
3. लोन स्विचिंग चार्ज -
बैंक (bank loan news) की ओर से शुरू में ही जब लोन दिया जाता है तो उसी दौरान ग्राहक को ब्याज दरों के लिए (home loan interest rates) ऑप्शन चुनने के लिए कहा जाता है। इनमें फ्लोटिंग रेट लोन और फिक्स्ड रेट लोन (floating rate and fixed rate) का ऑप्शन होता है। लोन लेने के बाद ईएमआई चुकाने में दिक्कत आने या किसी अन्य कारण से कोई लोनधारक इन्हें चेंज कराना चाहे तो बैंक इसके बदले स्विचिंग चार्ज (switching charge) ग्राहक से ही लेते हैं।
4. लोन रिकवरी चार्ज -
कई बार लोन लेने के बाद इसके डिफॉल्ट (loan defaulter) होने के चांस भी बन जाते हैं। इसलिए बैंक पहले ही इस जोखिम को खत्म करने के लिए प्रोपर्टी को गिरवी रखवा लेते हैं और बाद में उसे नीलाम (property auction rules) करके लोन राशि की रिकवरी की जाती है। लोन रिकवरी के लिए की जाने वाली पूरी प्रक्रिया का पैसा ग्राहक से रिकवरी चार्ज (loan recovery charges) के रूप में लोन प्रदाता बैंक की ओर से ले लिया जाता है।
5. निरीक्षण कार्य की फीस-
बैंक किसी को भी ऐसे ही होम लोन (home loan all charges) नहीं देता, इसके लिए बैंक कर्मचारी मौके पर जाकर यह भी चेक करते हैं कि जितनी होम लोन राशि की मांग की जा रही है, वास्तव में होम लोन (bank loan charges) पर खरीदी जाने वाली प्रोपर्टी की मार्केट वैल्यू उतनी है या नहीं। इसके बाद ही होम लोन की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। इसके लिए ऑब्जर्रेशन फीस (home loan observtion fees) ग्राहक से वसूली जाती है। कई बैंक इस फीस को प्रोसेसिंग फीस में एड करते हैं तो कुछ अलग से लेते हैं।
6. कानूनी कार्य के लिए फीस -
किसी भी संपत्ति का कानूनी (legal fees for property) रूप से पाक साफ होना बेहद जरूरी है। बैंक जब होम लोन (home loan legal fees) देता है तो जरा भी रिस्क नहीं लेता। क्योंकि होम लोन डिफॉल्ट होने पर पर यह प्रोपर्टी बैंक को नीलाम (property auction rules) करनी पड़ सकती है। ऐसे में बैंक चाहता है कि प्रोपर्टी नीलामी में कोई दिक्कत न आए, इसलिए प्रोपर्टी की लीगल जांच पहले ही करवा ली जाती है। इस कार्य के लिए लीगल फीस (legal fees on home loan) लोनधारक से ही ली जाती है।
