RBI भारतीय नोट पर कितनी भाषाएं छापता है, अधिकतर लोगों को नहीं है जानकारी
Languages on note : डिजिटल इंडिया के जमाने में UPI पेमेंट का चलन बढ़ा है. लेकिन कागजी लेन-देन भी बराबर बना हुआ है. करारे नोटों को हाथ में लेकर गिनने का मजा जरा भी कम नहीं हुआ है, ऐसे में क्या आप जानते है कि नोट पर कितनी और कौन सी भाषाएं छपी हैं, आइए खबर में हम आपको बताते है इनसे जुड़ी पूरी जानकारी।
HR Breaking News, Digital Desk - आपके पास में 100 रुपए या 500 रुपए का नोट तो होगा ही, क्या आपने कभी अपने पास रखे इस नोट को ध्यान से देखा है. इस नोट पर क्या-क्या होता है कभी आपने जानने की कोशिश की है. शायद आपको ये मालूम भी हो कि भारतीय नोट (indian notes) पर क्या-क्या छपा होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके नोट पर कितनी भाषाएं (how many languages on note) हैं और वो भाषाएं क्यों हैं? चलिए आज आपको बताते हैं कि भारतीय नोट पर कितनी भाषाएं प्रिंट होती हैं और इतनी भाषाओं को छापने की वजह क्या है।
भारतीय नोट पर होती हैं 17 भाषाएं
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की वेबसाइट के मुताबिक एक भारतीय नोट पर 17 भाषाएं प्रिंट होती हैं. इंग्लिश और हिंदी सामने की तरफ होती हैं तो नोट के पीछे की तरफ 15 भाषाएं प्रिंट होती हैं. भारतीय संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा(national language status) नहीं मिला और देश में 22 भाषाएं बोली जाती हैं. ऐसे में इन सभी भाषाओं को नोट पर प्राथमिकता दी गई है।
जो भाषाएं नोट पर प्रिंट होती हैं उनमें हिंदी और अंग्रेजी के अलावा असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृति, तमिल, तेलगु और उर्दू शामिल हैं. इसके साथ ही 2000 रुपए के नोट पर ब्रेल लिपि भी छपी होती है जिससे उन लोगों को आसानी हो जो देख नहीं सकते हैं।
आजाद भारत का पहला नोट
15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ और सन् 1950 में भारत एक गणतंत्र बना. भारत में आज जो रुपए का डिजाइन है वो एक रुपए के सिक्के से प्रभावित है. जो प्रतीक नोट के लिए चुना गया वो सारनाथ स्थित चार मुंह वाले शेर से लिया गया है. इसके साथ ही जॉर्ज पंचम की सीरिज वाले नोट देश में बंद हो गए थे. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने आजाद भारत में पहला नोट एक रुपए का था. 30 नवंबर 1917 को एक रुपए का नोट ब्रिटिश शासन काल में आया था.
अंग्रेजों के समय क्या थी स्थिति
प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों का दबदबा था और उस समय एक रुपए का सिक्का चांदी के सिक्के के तौर पर चलन में था. लेकिन युद्ध की वजह से जब स्थितियां खराब हो गईं तो चांदी के सिक्के को ढालना मुश्किल हो गया था. इस वजह से पहली बार लोगों के सामने एक रुपए का नोट आया जिस पर जॉर्ज पंचम की फोटो लगी थी. इस नोट को इंग्लैंड में प्रिंट किया गया था और एक रुपए के नोट की वैल्यू बाकी मुद्रा की तुलना में बहुत कम थी।
जब हैदराबाद के निजाम को मिला विशेष अधिकार
वर्ष 1969 में आरबीआई ने 5 और 10 रुपयों के नोट पर महात्मा गांधी की 100वीं जयंती के मौके पर स्मारक डिजाइन वाली सीरिज जारी की थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि चलती नाव की फोटो 10 रुपए के नोट पर 40 से भी अधिक सालों तक कायम रही थी. साल 1959 में भारत के हज यात्रियों के लिए दस और 100 रुपए के खास नोट जारी किए गए ताकि तीर्थयात्री सउदी अरब की लोकल करेंसी के मुताबिक इसे एक्सचेंज कर सकें. सन् 1917-1918 में हैदराबाद के निजाम को खुद की करेंसी प्रिंट करने और उसे जारी करने का विशेषाधिकार दिया गया था।
