Income Tax : इनकम टैक्स बिल में 10 बड़े बदलाव से टैक्सपेयर्स पर होगा सीधा असर, टैक्स भरने वाले जान लें काम की बात
New Income Tax Bill : यह तो आप जानते ही हैं कि इस महीने की शुरुआत में ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया था। इसमें इनकम टैक्स स्लैब (new Income tax slabs) के साथ-साथ कई और अन्य बदलाव हुए हैं। अब नई कर व्यवस्था को लागू करने के लिए इनकम टैक्स बिल लागू होना है, इसमें 10 बड़े बदलाव नजर आएंगे। इनका सीधा असर इनकम टैक्सपेयर्स पर पड़ेगा। नए इनकम टैक्स बिल में होने वाले इन बदलावों के बारे में हर करदाता के लिए जानना बेहद जरूरी है।
HR Breaking News : (IT bill update) देश में अब आयकर व्यवस्था में कई नए नियम और प्रावधान शामिल होने जा रहे हैं। नई टैक्स रिजीम के तहत जहां नए इनकम टैक्स स्लैब निर्धारित कर दिए गए हैं, वहीं इनकम टैक्स बिल में 10 बड़े अहम बदलाव हुए हैं, जिससे इनकम टैक्सपेयर्स पर काफी प्रभाव पड़ेगा। इसके लिए कई प्रकार से इनकम टैक्स विभाग ने कार्य किया है, जिसके बाद यह अहम फैसला लिया गया है। इनकम टैक्स बिल में इन 10 बदलाव (changes in new Income tax bill) से क्या प्रभाव पडेगा, आइए जानते हैं खबर में विस्तार से ।
सरलता के लिए किए गए बदलाव -
इनकम टैक्स को लेकर नया कानून बनने जा रहा है। यह पुरानी इनकम टैक्स एक्ट 1961 (Income Tax Act 1961) व्यवस्था को बदलने के लिए है और इसमें कई महत्वपूर्ण सुधार शामिल हैं। पहले के कानून की तुलना में इस नए दस्तावेज में पन्नों की संख्या भी कम की गई है। इसमें ज्यादा स्पष्टता और सरलता को ध्यान में रखते हुए बदलाव किए गए हैं। नए दस्तावेज में विभिन्न वर्गों और खंडों का समावेश है, जो आयकर व्यवस्था (new tax system in india)को और अधिक व्यवस्थित बनाएंगे।
टैक्सपेयर्स को कई सुधारों की उम्मीद -
हाल ही में सामने आई नई रिपोर्ट के अनुसार, आगामी कर कानून पहले से छोटा और सरल होगा, जिससे लोगों को समझने में आसानी होगी। यह बदलाव करदाताओं के लिए परेशानी को कम करेगा और सिस्टम को ज्यादा स्पष्ट बनाएगा। इस नए नियमों (Income Tax rules) का उद्देश्य जटिलताओं को दूर करना और टैक्स प्रक्रिया को सहज बनाना है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance minister nirmala sitaraman) इस प्रस्ताव को संसद में पेश करेंगी। सभी की निगाहें इस पर हैं, क्योंकि इससे करदाताओं को बड़ी राहत मिल सकती है और टैक्सपेयर्स को कई नई सुविधाओं और सुधारों की उम्मीद है।
डिजिटलीकरण को मिलेगा बढ़ावा -
केंद्र सरकार ने नए कानून को और अधिक आसान, साफ और करदाताओं के अनुकूल बनाने का वादा किया है। इसमें तकनीकी सुधार, टैक्स भुगतान (Income Tax update) प्रक्रिया को सरल बनाना और धोखाधड़ी पर कड़ी कार्रवाई जैसे बदलाव किए गए हैं। डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे सभी काम ऑनलाइन होंगे। इन बदलावों से कर प्रणाली में पारदर्शिता आएगी और करदाताओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। इस नए सिस्टम से टैक्स पेमेंट और निगरानी में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। नए इनकम टैक्स बिल में लोगों को ये बदलाव नजर आएंगे-
1 पिछले कानून के मुकाबले समझने में होगी आसानी -
नए इनकम टैक्स बिल को लोगों के लिए सरल और स्पष्ट तरीके से लिखा गया है। इसका विस्तार पहले से कम किया गया है, जिससे इसे समझना आसान हो गया है। पुराने 1961 नियम इनकम टैक्स एक्ट (new income tax act) के तहत इसमें पहले 880 पन्नों का लेख था, जो अब पिछले नियमों (Income Tax new rules) की तुलना में यह संक्षिप्त करके 622 पेज में कर दिया है और इसमें ज्यादा जानकारी को कम शब्दों में समाहित किया गया है। नए बिल में 536 धाराएं और 23 अध्याय शामिल हैं, जो इसे व्यवस्थित और उपयोगकर्ता मित्र बनाने में मदद करेंगे। इस बदलाव से नागरिकों को अधिक आसानी होगी और प्रक्रिया में कोई भ्रम नहीं रहेगा।
2. अब ‘टैक्स इयर’ का होगा इस्तेमाल -
सरकार टैक्स रिटर्न भरने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक नया बदलाव करने जा रही है। इसके तहत वर्तमान सिस्टम में होने वाली उलझन को दूर करने के लिए एक नया तरीका अपनाया जाएगा। नए नियम के तहत अब असेसमेंट इयर (Assessment Year) के बजाय दूसरे तरीके यानी टैक्स इयर (Tax Year) से वित्तीय जानकारी दी जाएगी, जिससे लोग आसानी से यह समझ सकेंगे कि किस साल के लिए रिटर्न दाखिल करना है। इनकम टैक्स रिटर्न (ITR kaise bhre) फाइलिंग में होने वाली समस्या खत्म होगी और यह काम पहले से ज्यादा स्पष्ट और आसान हो जाएगा।
3. न्यू टैक्स रिजीम में हुआ बड़ा बदलाव -
अगर कोई व्यक्ति सैलरी पर काम करता है, तो टैक्स व्यवस्था में उस व्यक्ति के लिए एक बड़ा बदलाव हुआ है। पुराने सिस्टम में आपको 50,000 रुपये की छूट मिलती थी, जो अब नए सिस्टम में स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाकर 75,000 रुपये (Standard deduction amount) कर दिया गया है। यह बदलाव आपके टैक्स को कम करने में मदद करेगा। हालांकि, टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि टैक्स स्लैब में टैक्स रेट पहले जैसे ही रहेंगे, लेकिन नए नियम से आपको ज्यादा फायदा होगा और टैक्स भरना (income tax kaise bhre) थोड़ा आसान होगा।
यह है नए टैक्स रिजीम में नई टैक्स स्लैब -
4 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स (Income tax slabs) नहीं देना होगा
4,00,001 रुपये से लेकर 8 लाख रुपये तक की आय पर 5 प्रतिशत के हिसाब से टैक्स देना होगा।
8,00,001 रुपये से लेकर 12 लाख रुपये तक की आय पर 10 प्रतिशत से टैक्स देना होगा।
12,00,001 रुपये से लेकर 16 लाख रुपये तक की आय पर 15 प्रतिशत से टैक्स भुगतान करना होगा।
16,00,001 रुपये से लेकर 20 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत के हिसाब से टैक्स का भुगतान (income tax ke nye niyam) करना होगा।
अगर कोई व्यक्ति नई टैक्स रिजीम (New tax regime) को चुनता है, तो उस व्यक्ति को स्टैंडर्ड डिडक्शन का ज्यादा लाभ मिलेगा और टैक्स स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
4. इनकम टैक्स एक्ट की धाराओं में होगा बदलाव -
नया इनकम टैक्स बिल लागू होने पर पुराने कानून की कई धाराएं बदल सकती हैं। फिलहाल कुछ खास खंड जैसे नई टैक्स रिजीम का सेक्शन 115BAC और इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग का सेक्शन 139 (IT act Section 139) हैं, जो टैक्स रिटर्न भरने और नए नियमों से जुड़े हैं। नए बिल में इन खंडों को बदला जा सकता है या कुछ नए खंड जोड़े जा सकते हैं। इससे टैक्स भरने की प्रक्रिया में बदलाव आएगा और संभव है कि नियमों में सुधार हो। यह बदलाव टैक्सपेयर्स (latest update for taxpayers) के लिए नया अनुभव होगा और इसके बाद नियमों का पालन करना और भी आसान हो सकता है।
5. एक ही सेक्शन में TDS नियम का प्रावधान -
नए बिल में TDS (tax deduction at source) से जुड़े सभी नियमों को एक स्थान पर एकत्र किया गया है, जिससे प्रक्रिया को सरल और स्पष्ट बनाया गया है। इससे करदाताओं और कंपनियों को टैक्स कटौती और रिपोर्टिंग में मदद मिलेगी। हालांकि, इस बदलाव के बाद जब नया कानून लागू होगा, तो टैक्सपेयर्स और विभाग को आयकर रिटर्न (ITR filing rules) भरने और रिपोर्टिंग सिस्टम के तरीके में कुछ बदलाव करने होंगे। इससे सभी को नए नियमों का पालन करने में थोड़ी तैयारी की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन अंत में यह प्रणाली ज्यादा सुविधाजनक बनेगी।
6. केवल CA से करवानी होगी टैक्स ऑडिट -
पहले यह चर्चा थी कि कंपनी सेक्रेटरी और कॉस्ट अकाउंटेंट को टैक्स ऑडिट (Tax audit) में शामिल किया जा सकता है। लेकिन एक नए निर्णय और धारा 515(3)(b) में यह स्पष्ट हुआ कि 'अकाउंटेंट' का मतलब सिर्फ चार्टर्ड अकाउंटेंट से है। इसका मतलब है कि टैक्स ऑडिट का काम केवल चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) ही कर सकते हैं। इस फैसले से चार्टर्ड अकाउंटेंट समुदाय को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि यह उनके अधिकार व व्यवसाय को सुनिश्चित करता है।
7. कैपिटल गेन टैक्स में नहीं कोई बदलाव -
इस बार के बजट में किसी भी प्रकार का बदलाव लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) और शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) के लाभ पर नहीं किया गया है। पिछले वर्ष की तरह ही इनकी दरें लागू रहेंगी। शॉर्ट-टर्म लाभ के लिए एक वर्ष तक की अवधि निर्धारित की गई है। इस अवधि के अंदर होने वाले लाभ पर पहले जैसा 20 प्रतिशत टैक्स लगेगा। वहीं, लॉन्ग-टर्म (Lont term capital gain benefits) लाभ पर 12.5 प्रतिशत टैक्स का प्रावधान रहेगा। इस बदलाव से पहले जैसी ही स्थिति बनी रहती है और निवेशकों को पहले जैसी दरों पर टैक्स का भुगतान करना होगा। इससे किसी भी प्रकार की अस्थिरता का सामना नहीं करना पड़ेगा।
8. इन धाराओं से जुड़े विवाद खत्म -
नए बिल में कुछ पुराने विवादों और धारा 44AD/44AE/44ADA को हल कर दिया गया है, जिनमें पेशेवरों को चिंता थी। अब कुछ विशेष खंडों के तहत फायदे के कैलकुलेशन में एक नया पहलू ‘वास्तव में अर्जित लाभ’ जोड़ा गया है। इसके अनुसार, टैक्सपेयर्स को यह प्रमाणित करना होगा कि जो लाभ उन्होंने घोषित किया है, वह वास्तव में अर्जित हुआ है। इससे पूर्वानुमान कराधान के नियम (Income tax new rules) अधिक स्पष्ट हो जाएंगे। टैक्स अधिकारियों को सही तरीके से आकलन करने में यह मदद करेगा और करदाताओं के लिए यह एक नई जिम्मेदारी भी होगी, ताकि उनके लाभों का सही मूल्यांकन हो सके।
9. कृषि आय पर इतनी छूट -
नई टैक्स विधेयक में खेती से होने वाली आय (tax on Agriculture Income) को कुछ शर्तों के साथ टैक्स से मुक्त रखा गया है। इसके साथ ही, धार्मिक संस्थाओं, ट्रस्टों और दान की राशि पर भी टैक्स में छूट मिलेगी। चुनावी इलेक्टोरल ट्रस्ट (electoral trusts) को भी टैक्स में राहत प्रदान की गई है। यह कदम विभिन्न सामाजिक और धार्मिक कार्यों को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है, ताकि इन गतिविधियों को वित्तीय रूप से समर्थन मिल सके और टैक्स के बोझ में राहत मिले।
10. वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर टैक्स का प्रावधान -
अब डिजिटल एसेट्स को संपत्ति (virtual digital assets) के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी भी शामिल है। इसका अर्थ है कि इन पर भी वही टैक्स लागू होगा जो अन्य संपत्तियों जैसे भूमि, आभूषण और शेयर पर लगता है। यह परिवर्तन इन डिजिटल संपत्तियों को पारंपरिक संपत्तियों के समान मान्यता देता है और उनके लेन-देन पर टैक्स की दरें निर्धारित करता है। इससे निवेशकों को वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के संबंध में टैक्स (tax on virtual digital assets)का स्पष्ट रूप से पालन करना होगा।
