Income Tax : आईटीआर भर रहे हैं तो भूल कर भी न करें ये 8 गलती, पछताना पड़ जाएगा
ITR Filing Rules : कई ऐसे टैक्सपेयर्स होते हैं, जो पहली बार आईटीआर फिल करते हैं और कई बार आईटीआर फिल करते समय उनसे छोटी-मोटी गलतियां हो जाती है, लेकिन बाद में टैक्सपेयर्स द्वार की गई ये छोटी-छोटी गलतियां भी टैक्सपेयर्स के लिए बड़े नुकसान की वजह बन सकती हैं। बता दें कि खासकर टैक्सपेयर्स (ITR Filing Rules ) को इन 8 गलतियों को नहीं करना चाहिए, नहीं तो बाद में टैक्सपेयर्स को पछताना पड़ सकता है। आइए जानते हैं इन गलतियों के बारे में।
HR Breaking News (ITR Filing Rules) आईटीआर फाइल करना हर टैक्सपेयर्स के लिए बेहद जरूरी है। आईटीआर फाइल करना टैक्सपेयर्स का कर्त्तव्य है, लेकिन पिछले बजट में किए गए कुछ अहम बदलाव के बाद आम टैक्सपेयर्स के लिए आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन को 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दिया गया है।
हालांकि यह खबर टैक्सपेयर्स के राहत भरी है, लेकिन कई बार जो लोग पहली बार आईटीआई (Avoidable Mistakes While Filing ITR )फिल करते हैं तो उनसे कुछ गलतियां हो जाती है। आइए जानते हैं कि आईटीआर फाइल करते समय कौन सी गलती नहीं करनी चाहिए।
पहली गलती- न भरें गलत ITR फॉर्म
कई बार टैक्सपेयर जब आईटीआर(ITR Filling Rules) फिल करते हैं तो वो गलत फॉर्म सेलेक्ट कर लेते हैं, अगर आप ऐसा करते हैं तो इससे रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है या फिर इसकी प्रोसेसिंग में देरी हो सकती है। साथ ही अगर आपने शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड से पूरे फाइनेंशियल ईयर (Financial Year)के दौरान 1.25 लाख रुपये तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कमाया है, तो अब नए नियमों के तहत आप ITR-1 फॉर्म का यूज कर सकते हैं, जबकि इससे पहले नियमों के तहत ITR-2 या ITR-3 भरना होता था।
दूसरी गलती- रिटर्न फाइल न करने की गलती
कई लोग मानते हैं कि उनकी इतनी कमाई नहीं है कि उन्हें इनकम टैक्स (Income Tax) देना पड़े, इसलिए वो रिटर्न फाइल नहीं करते है। लेकिन ऐसा सोचना और करना हमेशा सही नहीं होता। बता दें कि नियमों के तहत अगर आपने विदेश यात्रा में 2 लाख रुपये या उससे ज्यादा खर्च किए हैं, या बिजली बिल 1 लाख रुपये से ज्यादा आया है, तो इसके लिए भी आईटीआर फाइल (ITR File)करना जरूरी हो जाता है।
इन सबके अलावा अगर आपने टीडीएस कटवाया है और रिफंड क्लेम करना है, तो इसके लिए आपको रिटर्न फाइल करना चाहिए, क्योंकि यह रिटर्न फाइल किए बिना संभव नहीं है। इसके साथ ही नई टैक्स रिजीम में बढ़ी हुई टैक्स छूट का फायदा (benefit of tax exemption) उठाने के लिए भी टैक्स रिटर्न फाइल करना बेहद जरूरी है।
बदलावों को न करें नजरअंदाज
कई टैक्सपेयर्स को बजट 2024 के नियमों की जानकारी नहीं है और कई टैक्सपेयर्स इस साल आईटीआर फाइल करते समय टैक्सपेयर्स (Taxpayers Updates) की सबसे बड़ी गलती यही होगी कि वे आईटीआर में इन बदलावों को शामिल नहीं करते।
यानी की अब लिस्टेड शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 12.5 प्रतिशत के अनुसार लगेगा और इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा। इसके साथ ही शॉर्ट टर्म गेन पर टैक्स 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है।
ठीक इसी तरह 23 जुलाई 2024 को कट-ऑफ डेट (cut-off date)मानकर अपने कैपिटल गेन को उस डेट से पहले और बाद में जो ट्रांजैक्शन हुई है, उस हिसाब से अलग-अलग दिखाना होगा। इतना ही नहीं, बल्कि अब ITR 1, 2, 3 और 5 फॉर्म में सिर्फ आधार नंबर ही मान्य होगा और अब आधार एनरोलमेंट आईडी मान्य नहीं होगी।
इसके साथ ही नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को अब नियमों के तहत डिफॉल्ट बना दिया गया है। अगर आप पुरानी टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) को सिेलेक्ट करना चाहते हैं, तो इसके लिए ITR से पहले फॉर्म 10-IEA भरना होगा।
फॉर्म 26AS और AIS को सिलेक्ट करना
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आपके सभी फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन, टीडीएस जैसी टैक्स से जुड़ी सारी जानकारियां एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (Annual Information Statement) और फॉर्म 26AS में होती है। अगर आप इन्हें चेक नहीं करते हैं और बिना चेक किए ही आईटीआर फाइल कर देते हैं तो आपको बाद में पछताना पड़ सकता है।
इन सबके अलावा अगर इनमें और आपके अपने बैंक स्टेटमेंट या फॉर्म 16 में कोई चीज मैच नहीं कर रही है, तो आपको पहले उसे ठीक कराना चाहिए। ताकि रिटर्न में कोई बड़ी गड़बड़ी न हो। इससे रिफंड जल्दी मिलेगा और टैक्स नोटिस (Tax Notice) भी नहीं मिलेगा।
सभी सोर्सेज मिली इनकम की सही रिपोर्ट न देना
आपने देखा होगा कि कई बार टैक्सपेयर्स टीडीएस कटने वाली इनकम रिपोर्ट (Income Report kya hai)ही करते हैं, लेकिन ये करना गलत है। बता दें कि सेविंग अकाउंट, एफडी, आरडी, किराया, विदेश से हुई आय या फ्रीलांस इनकम जैसी कई इनकम ऐसी होती है, जिन पर टीडीएस (Tax Deduction at source) नहीं काटा गया हो।
इसलिए कई बार लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं तो इससे इनकम की गलत रिपोर्टिंग से टैक्स कैलकुलेशन (Tax Calculation) भी गलत हो सकते हैं। बाद में इसके लिए आपको पेनल्टी देनी पड़ सकती है।
एग्जम्प्शन वाली इनकम न दिखाना
एग्जम्प्शन (Exemption) यानी छूट मिली हुई इनकम को भी आईटीआर भरते समय सही सेक्शन में रिपोर्ट करना अनिवार्य है। जैसे कि पीपीएफ का ब्याज, एग्रीकल्चरल इनकम, एलटीए, एचआरए, इन्श्योरेंस मैच्योरिटी, या सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Scheme) से जो रिटर्न मिलता है, उन्हें मेंशन करना जरूरी है।
अगर इन रिटर्न्स को आईटीआर में नहीं दिखाया जाता है तो इससे रिटर्न डिफेक्टिव माना जा सकता है और समय पर करेक्शन न कराने पर रिटर्न को इनवैलिड भी माना जा सकता है।
पुराने एंप्लॉयर सैलरी को न एड करना
बता दें कि अगर आपने फाइनेंशियल ईयर (Financial Year) के दौरान दूसरी नौकरी की है तो इससे पुराने और नए दोनों एंप्लॉयर्स की तरफ से फॉर्म 16 (Form 16)को लेकर सारी इनकम को मिलाकर दिखाना बेहद जरूरी है। कई बार ऐसा भी होता है कि दोनों एम्प्लॉयर्स की ओर से अलग-अलग डिडक्शन दिए जाते हैं, जिससे टैक्स में कम कटौती होती है और आखिर में खुद से एडवांस टैक्स देना पड़ता है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो इससे बाद में ब्याज और पेनल्टी लग सकती है।
HRA क्लेम करने में सबूत न होना
अगर पुरानी टैक्स रिजीम (Old tax regime)में एचआरए क्लेम किया जाता है तो इसके लिए किराए की रसीद, एग्रीमेंट और मकान मालिक का पैन नंबर देना अनिवार्य होता है। इन दस्तावेजों को नहीं देने पर या कोई गलत जानकारी देने पर क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। सिर्फ क्लेम रिजेक्ट ही नहीं बल्कि टैक्स नोटिस (Tax Notice)भी आ सकता है।
हालांकि नियमों के बदलाव के बाद अब आईटीआर फाइल (ITR File) करना सरल हो गया है, लेकिन इससे जुड़ी बारीकियों और नए नियमों को समझना भी अब जरूरी हो गया है। बजट 2024 के बाद जो बदलाव किए गए हैं, उस पर गौर करते हुए सही फॉर्म का चुनाव करना, सभी तरह की इनकम को मेंशन करना और दस्तावेजों का सही मिलान करना बेहद जरूरी है। इससे आप टैक्स से जुड़ी परेशानियों से बच सकेंगे।
