Income Tax : टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी खबर, जान लें इनकम टैक्स कम करने के 5 तरीके

HR Breaking News - (Income Tax)। नए फाइनेंशियल ईयर यानी 2025-26 की शुरूआत हो चुकी है और टैक्स भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है। टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स बचाने का यह सही समय है। यदि आप इनकम टैक्स एक्ट (income tax act), 1961 की कई अहम धाराओं को समझ लेते हैं तो इनकम टैक्स में छूट पा सकते हैं। दरअसल, आज हम आपको 5ऐसे इनकम टैक्स प्रावधान (Sections) के बारे में बताएंगे, जिन्हें हर टैक्सपेयर्स के लिए जानना बेहद जरूरी है।
इस धारा के तहत आसानी से बचा लेंगे 1.5 लाख रुपये -
इनकम टैक्स का सेक्शन 80C (Section 80C of Income Tax) सबसे लोकप्रिय टैक्स सेविंग ऑप्शन है। इसके तहत टैक्सपेयर्स सालाना ज्यादा से ज्यादा 1.5 लाख रुपये की टैक्स छूट पा सकते हैं। हालांकि, इसके लिए आपको कई योजनाओं में अपना पैसा लगाना होगा। जैसे कि सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Scheme), 5 साल की टैक्स सेविंग एफडी, जीवन बीमा प्रीमियम, PPF, EPF और ELSS आदि।
इसके अलावा बच्चों की स्कूल फीस और होम लोन (Home Loan) की मूलधन राशि की अदायगी भी इसमें शामिल है। हालांकि, आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि 1.5 लाख रुपये की टैक्स छूट सभी निवेशों को मिलाकर मिलती है। ऐसा नहीं है कि आपको हर निवेश पर 1.5 लाख रुपये तक टैक्स छूट मिलेगी।
होम लोन के जरिए मिलेगी टैक्स में छूट -
यदि आपने होम लोन लिया है और अपने खुद के घर में रहते हैं तो वार्षिक 2 लाख रुपये तक ब्याज पर टैक्स छूट हासिल कर सकते हैं। अगर प्रॉपर्टी किराए (property rent) पर दी गई है, तो पूरी ब्याज रकम क्लेम की जा सकती है। हालांकि, अन्य इनकम से सेट-ऑफ की सीमा ₹2 लाख ही है।
जैसे कि आपने होम लोन (Home Loan) पर साल भर में 5 लाख रुपये का ब्याज चुकाया। लेकिन, आपको किराया 2 लाख रुपये ही मिला। इसका मतलब कि आपको 3 लाख रुपये का घाटा हुआ। ऐसे में आप अपनी दूसरी इनकम, जैसे कि सैलरी या बिजनेस से 2 लाख रुपये का नुकसान सेट-ऑफ कर सकते हैं। बाकी ₹1 लाख का नुकसान अगले 8 साल तक कैरी फॉरवर्ड होगा।
सेक्शन 10(14): किराए के मकान वालों के लिए HRA छूट
यदि आप किसी कंपनी में काम करते हैं और किराए के मकान में रहते हैं, तो आपको मिलने वाला House Rent Allowance (HRA) आपकी टैक्स बचत में मदद कर सकता है। इसके लिए इनकम टैक्स की धारा 10(14) के तहत टैक्स छूट दी जाती है, लेकिन कुछ नियमों के साथ। आपको मिलने वाली छूट इन 3 में से सबसे कम रकम पर दी जाती है।
असल में मिला HRA (जैसा कि आपकी सैलरी स्लिप में दिखता है)
मेट्रो शहरों (दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई) में वेतन का 50 प्रतिशत या गैर-मेट्रो शहरों में 40%
किराया - बेसिक सैलरी का 10%
यानी छूट के लिए इन तीनों का हिसाब लगाया जाएगा और जो रकम सबसे कम होगी, वही टैक्स से छूट के रूप में मान्य होगी। अगर सालाना किराया ₹1 लाख से अधिक है, तो मकान मालिक का PAN देना जरूरी रहता है।
सेक्शन 80D: स्वास्थ्य बीमा पर छूट
इनकम टैक्स का सेक्शन 80D (Section 80D of Income Tax) काफी अहम है, जो टैक्सपेयर्स को हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट की सुविधा देता है। इसके तहत टैक्सपेयर अपने, जीवनसाथी और बच्चों के लिए ₹25,000 तक की टैक्स छूट क्लेम (tax exemption claim) कर सकता है। अगर माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं (60 साल या उससे अधिक), तो ₹50,000 की अतिरिक्त छूट मिलती है।
इस तरह कुल अधिकतम छूट 75,000 से 1 लाख रुपये तक हो सकती है। इसमें 5,000 तक की प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप की रकम भी शामिल की जा सकती है, जो कुल सीमा में ही गिनी जाती है।
सेक्शन 234F: ITR देर से भरने पर भारी जुर्माना
इनकम टैक्स रिटर्न (income tax return) समय पर फाइल नहीं करने पर सेक्शन 234F के तहत जुर्माना लगाया जाता है। यदि आपकी आय 5 लाख रुपये से कम है तो 1,000 रुपये का जुर्माना, और 5 लाख रुपये से अधिक पर 5,000 रुपये का जुर्माना लग सकता है।
इसके अलावा बार-बार देरी करने पर सेक्शन 234A और 234B के तहत ब्याज और अन्य जुर्माना भी देना पड़ सकता है। साथ ही, रिफंड और कैरी फॉरवर्ड लाभों से भी हाथ धोना पड़ सकता है।