Income Tax : टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी खबर, अब 17 लाख कमाई पर भी नहीं देना होगा टैक्स

HR Breaking News - (Income Tax)। इस माह 1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री ने आम बजट में 12 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स-फ्री करने का ऐलान किया था। आयकर विभाग द्वारा भी व्यक्ति को कई तरह के अलाउन्स पर छूट मिलती है।
नए इनकम टैक्स सिस्टम (New Tax Regime) में कई खास भत्तों पर पूरी तरह से टैक्स छूट मिलती है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तों का पालन करना जरूरी है। अगर आपको भी इन अलाउन्सेज का फायदा उठाना है तो इसके लिए आपको सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करने होंगे। आइए विस्तार से जानते हैं इस बारे में।
एंप्लॉयर के HR डिपार्टमेंट से करनी होगी बात-
दरअसल, आपको बता दें कि अगर आप प्राइवेट जॉब करते हैं तो 17 लाख रुपये तक की सैलरी पर आपको टैक्स नहीं चुकाना होगा। बता दें कि नई टैक्स रीजीम में कुछ अलाउन्सेज (allowances in new tax regime) हैं, जो टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं। आयकर विभाग का कहना है कि आप इनसे जुड़ी शर्तों को पूरा कर इन अलाउन्सेज (allowances ke fayde) का लाभ उठा सकते है। इस बारे में आप अपने एंप्लॉयर के HR डिपार्टमेंट बात-चीत कर सकते हैं।
अलाउन्ज का फायदा लेने के लिए करें ये काम-
नए टैक्स रिजीम के तहत टेलीफोन और मोबाइल बिल पर एग्जेम्पशन (Exemption on mobile bill) के लिए कोई लिमिट नहीं है। वैसे तो दोनों ही रिजीम में इसके लिए कोई लिमिट तय नहीं है। एंप्लॉयर की तरफ से मिलने वाले टेलीफोन और मोबाइल बिल खर्च पर एग्जेम्प्शन का दावा कर सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, एक एक्सपर्ट्स का कहना है कि बस यह अमाउंट व्यावहारिक होना चाहिए। इसके साथ ही यह एंप्लॉयी के पद और जिम्मेदारियों के अनुसार होनी चाहिए। अगर आपके सैलरी स्ट्रक्चर (Salary Structure) में मोबाइल या इंटरनेट बिल नहीं है तो आप उसे शामिल करा कर इस अलाउन्ज का फायदा ले सकते हैं।
ट्रांसपोर्ट अलाउन्सेज के फायदे-
इसके अलावा दिव्यांग एंप्लॉयीज (Disabled Employees) की कंपनियां द्वारा भी ट्रांसपोर्ट अलाउन्सेज (Transport Allowances) दिया जाता हैं। ट्रांसपोर्ट अलाउन्सेज टैक्स के दायरे में नहीं आता है। इस अलाउन्ज को इसलिए दिया जाता है ताकि व्यक्ति घर से ऑफिस और ऑफिस से घर सकें।
रिपोर्ट के अनुसार, दिव्यांग एंप्लॉयीज को हर महीने 3,200 रुपये का ट्रांसपोर्ट अलाउन्स मिलता है। 3,200 रुपये के हिसाब से केलकुलेशन करें तो सालाना 38,4000 रुपये ट्रांसपोर्ट अलाउन्स (Benefits of Transport Allowances) मिलता है, जो की टैक्स के दायरे से बाहर है।
क्या है कनवेंस रिइम्बर्समेंट-
कनवेंस रिइम्बर्समेंट (Conveyance Reimbursement) ट्रांसपोर्ट अलाउन्स से बेहद अलग है। यह एक तरह की सुविधा है, जो एंप्लॉयर की तरफ से एंप्लॉयी को दी जाती है ताकि उसका काम आसानी से हो सकें। एंप्लॉयी को इस अलाउन्स का फायदा उठाने के लिए अपने ऑफिस के फाइनेंस डिपार्टमेंट को बिल सब्मिट करना पड़ता है।
यह फैसिलिटी एंप्लॉयी के लिए बेहद बेनीफिशियल है और अगर आप इस फैसिलिटी का लाभ (Conveyance Reimbursement ke fayde) लेना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने एंप्लॉयर के HR डिपार्टमेंट से बात करनी होगी।
कार लीज फैसिलिटी के फायदे-नुकसान-
कई एंप्लॉयर ऐसे भी होते हैं तो जो अपने एंप्लॉयी को कार लीज फैसिलिटी (Car lease facility) पेश करते हैं। इनकम टैक्स के नियमों के तहत इसे पर्क्विजिट (Perquisit) कहा जाता है, हालांकि इसकी वैल्यू काफी कम है। एक एक्सपर्ट्स का मानना है कि एप्लॉयर की तरफ से एंप्लॉयी के पर्सनल और ऑफिशियल यूज के लिए जो कार लीज फैसिलिटी दी जाती है, उस कार की पर्क्विजिट वैल्यू बेहद कम होती है। इसके लिए नई और पुरानी रीजीम में वैल्यूएशन का फॉर्मूला (Valuation Formula) एक तरह का ही है।
बता दें कि अगर कार इंजन कैपेसिटी 1.6 लीटर से कम है तो इस हिसाब से पर्क्विजिट की टैक्सेबल वैल्यू हर महीने 1,800 रुपये होगी। अगर इंजन इससे ज्यादा होता है तो इस हिसाब से पर्क्विजिट की टैक्सेबल वैल्यू (Taxable value of perquisite) 2,400 रुपये होगी।
इस तरह से करें 17 लाख रुपये की सैलरी टैक्स-फ्री -
ये तो आप जानते ही होंगे की इनकम टैक्स की नई रीजीम में 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction ke fayde) मिलता है। इसके साथ ही एंप्लाॉयर की ओर से एनपीएस (NPS) में 14 प्रतिशत तक का जो कंट्रिब्यूशन दिया जाता है, वो भी टैक्स के दायरे के बाहर है। ठीक इसी तरह ईपीएफ में एंप्लॉयी (Employee in EPF) की ओर से जो 12 प्रतिशत तक का कंट्रिब्यूशन जाता है, वो भी टैक्स के दायरे में नहीं आता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर आप इन सभी एग्जेम्प्शन और डिडक्शन का यूज करते हैं तो इस हिसाब से आपकी करीब 17 लाख रुपये तक की सैलरी टैक्स-फ्री (Salary tax-free) हो जाएगी।