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Income Tax Notice : पत्नी को कैश देने पर भी आ सकता है इनकम टैक्स का नोटिस, 90 प्रतिशत लोग नहीं जानते नियम

Income Tax Notice : पती-पत्नी के बीच पैसों का लेन-देन आम है, पर आयकर नियमों का ध्यान रखना ज़रूरी है. सीधे तौर पर कोई पाबंदी नहीं है, फिर भी नियमों को अनदेखा करने पर इनकम टैक्स नोटिस मिल सकता है... दरअसल 90 प्रतिशत लोगों को आयकर विभाग के इस नियम के बारे में जानकारी नहीं है-

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Income Tax Notice : पत्नी को कैश देने पर भी आ सकता है इनकम टैक्स का नोटिस, 90 प्रतिशत लोग नहीं जानते नियम

HR Breaking News, Digital Desk- (Income Tax Notice Rules) पती-पत्नी के बीच पैसों का लेन-देन आम है, पर आयकर नियमों का ध्यान रखना ज़रूरी है. सीधे तौर पर कोई पाबंदी नहीं है, फिर भी नियमों को अनदेखा करने पर इनकम टैक्स नोटिस मिल सकता है. घर खर्च, उपहार या अन्य ज़रूरतों के लिए नकद लेन-देन करते समय, आपको कुछ परिस्थितियों और नियमों को समझना होगा ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो.

अगर आप इन नियमों से अनजान हैं, तो आपको न सिर्फ वित्तीय परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं, बल्कि आप अनजाने में टैक्स चोरी के दायरे में भी आ सकते हैं. आज हम आपको इन्हीं नियमों के बारे में विस्तार से बताएंगे ताकि आप भविष्य में किसी भी तरह की मुश्किल से बच सकें.

भारतीय आयकर अधिनियम (Indian Income tax Act) के अनुसार, यदि पति अपनी पत्नी को घर के खर्चों के लिए या उपहार के रूप में पैसे देता है, तो यह राशि पति की आय मानी जाती है और पत्नी पर इस पर कोई टैक्स (tax) नहीं लगता. हालांकि, इस तरह के लेनदेन में धारा 269SS और 269T का पालन करना ज़रूरी है.

पति-पत्नी के बीच कैश लेन-देन और टैक्स के नियम- क्या कहता है कानून?

निवेश और उससे होने वाली आय का मामला:असली पेंच तब आता है जब पत्नी पति से मिले इन पैसों को बार-बार किसी जगह निवेश करती है (जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर्स, म्यूचुअल फंड आदि) और उस निवेश से उसे कोई आमदनी (Income) होती है.

 घर खर्च या गिफ्ट पर टैक्स नहीं: अगर कोई पति अपनी पत्नी को कैश पैसे देता है, चाहे वह घर के रोजमर्रा के खर्चों के लिए हो या किसी खास मौके पर गिफ्ट के रूप में, तो इस पर सीधे तौर पर इनकम टैक्स नोटिस नहीं आता है. कानून के मुताबिक, यह रकम पति की ही इनकम का हिस्सा मानी जाती है और पत्नी पर इस रकम के लिए कोई टैक्स की जिम्मेदारी नहीं बनती है.

 पत्नी की टैक्स देनदारी: ऐसी स्थिति में, उस निवेश से होने वाली आय पर पत्नी को टैक्स देना पड़ सकता है, अगर उसकी कुल आय टैक्सेबल स्लैब में आती है. पत्नी को अपनी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में इस आय को दिखाना होगा.

 क्लबिंग ऑफ इनकम का खतरा: कुछ मामलों में, अगर यह साबित होता है कि निवेश का मुख्य उद्देश्य टैक्स बचाना था या आय को डायवर्ट करना था, तो आयकर विभाग "क्लबिंग ऑफ इनकम" के प्रावधानों के तहत पत्नी की इस आय को पति की कुल आय में जोड़ सकता है. इससे पति की टैक्स देनदारी बढ़ सकती है. इसलिए, यह जानना बहुत ज़रूरी है कि पैसे का अंतिम उपयोग क्या हो रहा है.

कैश ट्रांजैक्शन पर इनकम टैक्स के ये दो अहम नियम- धारा 269SS और 269T-

इनकम टैक्स (income tax) कानून में दो धाराएं ऐसी हैं जो बड़े कैश लेन-देन को नियंत्रित करती हैं, ताकि काले धन पर रोक लग सके और ट्रांजैक्शन में पारदर्शिता बनी रहे. ये हैं धारा 269SS और 269T.

1. धारा 269SS- कैश लेने की सीमा:इस धारा के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से एक बार में या कुल मिलाकर ₹20,000 या उससे ज्यादा का कैश किसी भी तरह के लोन, डिपॉजिट या किसी अन्य निर्दिष्ट लेन-देन के रूप में स्वीकार नहीं कर सकता. अगर ₹20,000 से ज्यादा का लेन-देन करना है, तो यह केवल बैंकिंग चैनलों (जैसे अकाउंट पेयी चेक, अकाउंट पेयी बैंक ड्राफ्ट, NEFT, RTGS या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों) से ही किया जाना चाहिए.

2. धारा 269T- कैश लौटाने की सीमा:इसी तरह, यह धारा ₹20,000 या उससे ज्यादा के लोन या डिपॉजिट को कैश में वापस करने पर रोक लगाती है. यानी अगर आपने किसी से ₹20,000 या उससे ज्यादा का उधार लिया है, तो उसे कैश में नहीं लौटा सकते, केवल बैंकिंग माध्यम से ही लौटाना होगा.

3. पति-पत्नी के मामले में विशेष छूट:अच्छी बात यह है कि पति-पत्नी के बीच नजदीकी रिश्तेदारी होने के कारण, आमतौर पर इन धाराओं के उल्लंघन पर पेनल्टी नहीं लगाई जाती, अगर लेन-देन वास्तविक और सद्भावनापूर्ण हो. लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि इन नियमों की पूरी तरह अनदेखी की जाए. बड़े कैश ट्रांजैक्शन से हमेशा बचना चाहिए और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए बैंकिंग चैनलों का ही इस्तेमाल करना बेहतर है.

पत्नी को कितना कैश दे सकते हैं? क्या कोई लिमिट है?

यह एक आम सवाल है कि पति अपनी पत्नी को कितना कैश दे सकता है.

1. घर खर्च के लिए कोई सीमा नहीं:अगर पति अपनी पत्नी को घर के सामान्य खर्चों (जैसे राशन, बिल, बच्चों की फीस आदि) के लिए पैसे देता है, तो इसकी कोई ऊपरी सीमा तय नहीं है. यह राशि पति की आय का हिस्सा मानी जाती है और इस पर पत्नी को कोई टैक्स नहीं देना होता.

2. निवेश के लिए दिए गए पैसे पर नजर:अगर पत्नी को दिए गए पैसे का इस्तेमाल वह किसी निवेश (जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, सोना या प्रॉपर्टी खरीदने) में करती है, तो उस निवेश से होने वाली आय टैक्सेबल हो सकती है.

3. उदाहरण:मान लीजिए पति ने पत्नी को 5 लाख रुपये दिए, जिसे पत्नी ने फिक्स्ड डिपॉजिट में लगा दिया और उससे सालाना ₹30,000 का ब्याज मिला. यह ₹30,000 की आय पत्नी की मानी जाएगी और अगर उसकी कुल आय टैक्सेबल लिमिट से ज्यादा है तो उसे इस पर टैक्स देना होगा. कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसा कि पहले बताया गया, यह पति की आय में भी क्लब हो सकती है.

कैश लेन-देन में ये सावधानियां बरतनी हैं जरूरी

पति-पत्नी के बीच कैश लेन-देन करते समय कुछ और बातों का ध्यान रखना चाहिए.

1. किराये से होने वाली आय (रेंटल इनकम):अगर पत्नी को दिए गए पैसे का इस्तेमाल कोई ऐसी प्रॉपर्टी खरीदने में किया गया है जिसे किराये पर दिया गया है और उससे किराया आता है, तो यह किराया पत्नी की आय मानी जाएगी और उस पर उसे अपनी ITR में टैक्स देना होगा.

2. गिफ्ट टैक्स के नियम:पति की तरफ से पत्नी को गिफ्ट में दी गई किसी भी राशि या संपत्ति पर कोई गिफ्ट टैक्स नहीं लगता, क्योंकि पति-पत्नी आयकर कानून के तहत 'नजदीकी रिश्तेदार' (Relatives) की श्रेणी में आते हैं. लेकिन अगर गिफ्ट की गई राशि बहुत बड़ी है और उसका स्रोत स्पष्ट नहीं है, तो आयकर विभाग सवाल कर सकता है.

इनकम टैक्स नोटिस से कैसे बचें?

आप कुछ आसान से उपाय अपनाकर इनकम टैक्स नोटिस के झंझट से बच सकते हैं.

 ₹20,000 से ज्यादा कैश लेन-देन से बचें-

कोशिश करें कि एक बार में ₹20,000 से अधिक का कैश लेन-देन न करें, खासकर लोन या एडवांस के रूप में.

बैंकिंग चैनल का इस्तेमाल करें-

बड़े अमाउंट के लिए हमेशा चेक, NEFT, RTGS, UPI या अन्य डिजिटल बैंकिंग माध्यमों का ही प्रयोग करें. इससे ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड रहता है.

ITR में सही जानकारी दें-

अगर पत्नी पति से मिले पैसे को निवेश करती है और उससे आय होती है, तो उस आय की जानकारी अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में सही-सही दर्ज करें.

संपत्ति से आय पर टैक्स-

अगर पत्नी ने पति से मिले पैसे से कोई संपत्ति (जैसे प्रॉपर्टी, फिक्स्ड डिपॉजिट) खरीदी है, तो उससे होने वाली आय पर टैक्स का भुगतान समय पर सुनिश्चित करें.

सभी दस्तावेज़ संभाल कर रखें-

किसी भी बड़े लेन-देन या निवेश से संबंधित सभी दस्तावेज़ जैसे बैंक स्टेटमेंट, गिफ्ट डीड (अगर हो तो), खरीद के बिल आदि संभाल कर रखें.

कब आ सकता है इनकम टैक्स का नोटिस?

इनकम टैक्स विभाग तब नोटिस जारी कर सकता है जब उसे यह संदेह हो कि पति ने पत्नी को दी गई राशि का इस्तेमाल सिर्फ टैक्स बचाने या अपनी आय को कम दिखाने के लिए किया है. पत्नी द्वारा किए गए निवेशों या उनसे हुई आय का खुलासा ITR में सही ढंग से नहीं किया गया है. बहुत बड़े कैश ट्रांजैक्शन हुए हों जिनका कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण न हो. किसी तीसरे पक्ष (जैसे बैंक) से मिली जानकारी के आधार पर कोई विसंगति पाई जाए.

क्या है इनकम टैक्स की धारा 269SS और 269T का असली मकसद?

जैसा कि पहले बताया गया, धारा 269SS और 269T भारतीय इनकम टैक्स कानून के महत्वपूर्ण प्रावधान हैं. इनका मुख्य उद्देश्य कैश लेन-देन को नियंत्रित करना, काले धन के प्रवाह पर अंकुश लगाना और अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाना है.

1. धारा 269SS:यह धारा ₹20,000 या उससे अधिक की नकद राशि को ऋण, जमा या किसी अन्य निर्दिष्ट रूप में स्वीकार करने पर रोक लगाती है. इसका मतलब है कि आप किसी से भी (कुछ अपवादों को छोड़कर) इतनी बड़ी रकम कैश में नहीं ले सकते.

2. धारा 269T:यह धारा ₹20,000 या उससे अधिक के ऋण या जमा की चुकौती नकद में करने पर प्रतिबंध लगाती है.

इन धाराओं का पालन न करने पर भारी जुर्माना लग सकता है.

नियम तोड़ने पर कितनी पेनल्टी लगती है?

अगर कोई व्यक्ति धारा 269SS या 269T के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, यानी ₹20,000 से ज्यादा कैश में लेन-देन करता है (और वह लेन-देन छूट प्राप्त श्रेणी में नहीं आता), तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पेनल्टी लगा सकता है.

धारा 271D के तहत जुर्माना (269SS के उल्लंघन पर):जितनी रकम कैश में ली गई है, उतनी ही रकम का जुर्माना लगाया जा सकता है.

धारा 271E के तहत जुर्माना (269T के उल्लंघन पर):जितनी रकम कैश में वापस की गई है, उतनी ही रकम का जुर्माना लगाया जा सकता है.

किन लोगों को मिलती है इन नियमों से छूट?

हालांकि ये नियम काफी सख्त हैं, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों और रिश्तों में इनसे छूट भी मिलती है:

नजदीकी रिश्तेदारों के बीच लेन-देन:पति-पत्नी, माता-पिता और बच्चे, भाई-बहन जैसे खून के रिश्तों या नजदीकी पारिवारिक संबंधों के बीच हुए वास्तविक कैश लेन-देन पर आमतौर पर पेनल्टी नहीं लगाई जाती, बशर्ते लेन-देन का उद्देश्य वैध हो और टैक्स चोरी का इरादा न हो.

गिफ्ट और आवश्यक खर्च:अगर पैसा गिफ्ट के तौर पर दिया गया है, या घर के जरूरी खर्चों के लिए दिया गया है, तो इन धाराओं के तहत पेनल्टी नहीं लगती.

कृषि आय:अगर लेन-देन कृषि आय से संबंधित है, तो भी ये प्रावधान लागू नहीं होते (क्योंकि कृषि आय कुछ शर्तों के तहत टैक्स-फ्री होती है).

अन्य निर्दिष्ट छूटें:सरकार या RBI द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट कुछ अन्य संस्थाओं या लेन-देन को भी इन नियमों से छूट मिल सकती है.

नोटिस और जुर्माने से बचें-

पति-पत्नी के वित्तीय लेन-देन में विश्वास और आपसी समझ महत्वपूर्ण है, पर इनकम टैक्स नियमों का पालन भी उतना ही ज़रूरी है. जागरूक रहने और सावधानी बरतने से आप भविष्य में टैक्स नोटिस और जुर्माने से बच सकते हैं. हमेशा बड़े लेन-देन बैंकिंग चैनलों से करें, अपनी सभी इनकम और निवेशों का सही खुलासा करें. किसी भी संदेह की स्थिति में, टैक्स सलाहकार से सलाह लेना उचित होगा.