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Income Tax on Gold : सोना बेचने और खरीदने पर अब देना होगा इतना टैक्स, जानिये कौन कौन से लगेंगे चार्ज

tax on gold : सोने में निवेश करने को निवेश का शानदार मौका होता है। आमतौर पर देखा जाता है कि लोग सोने की खरीदी करने के बाद मुश्किल के समय में उसे बेच देते हैं। ऐसे में सोने को खरीदने और बेचने (tax on selling gold) पर आपको टैक्स का भुगतान करना होता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि सोना बेचने और खरीदने पर अब कितना टैक्स देना होगा। आइए विस्तार से जानते हैं इस बारे में पूरी डिटेल। 

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Income Tax on Gold : सोना बेचने और खरीदने पर अब देना होगा इतना टैक्स, जानिये कौन कौन से लगेंगे चार्ज

HR Breaking News-(tax on gold buying)। सोने पर मिल रहे रिटर्न को लेकर काफी लोग उत्साहित हो जाते हैं। इस वजह से इसमें काफी लोग इन्वेस्ट भी कर रहे हैं। कुछ लोग फिजिकल गोल्ड को खरीदते हैं तो कोई डिजिटल गोल्ड में इन्वेस्ट कर रहा है। हालांकि अधिकतर लोग इस बात से अंजान होते हैं कि सोने (Gold investment) की खरीदी और बिक्री पर उन्हें कितने टैक्स का भुगतान करना होता है। हाल ही में टैक्स विभाग ने सोने की खरीदी और बिक्री पर लगने वाले टैक्स में बदलाव कर दिया है। खबर में जानिये इस बारे में पूरी डिटेल।

फिजिकल गोल्ड की खरीदी पर करना होगा टैक्स का भुगतान-


जब भी आप किसी ज्वेलर (tax on gold Jewellery) की दुकान से ज्वेलरी, बिस्कुट, कॉइन आदि को खरीदते हैं तो इसपर आपको GST समेत कई अन्य चार्ज का भुगतान करना होता है। इसके अलावा फिजिकल गोल्ड (Physical Gold) को खरीदने पर इस तरह के चार्ज लगते हैं:


1. मेकिंग चार्ज-


जब भी आप कोई ज्वेलरी को खरीदते हैं तो ज्वेलर उस पर मेकिंग चार्ज (Making Charge on gold Jewellery) को लेते हैं। ये चार्ज 1 फीसदी से 25 फीसदी तक हो सकता है। मेकिंग चार्ज (gold Jewellery making charges) ज्वेलर का मुनाफा होता है। हालांकि काफी ज्वेलर इस चार्ज को नहीं लेते हैं। ये पूरी तरह से ही ज्वेलर पर निर्भर करता है कि वह ग्राहक से मेकिंग चार्ज लेगा या नहीं।


2. GST का भी करना होता है भुगतान-


ज्वेलरी को खरीदने पर ग्राहक को GST (GST on gold) का भी भुगतान करना होता है। सोने पर 3 फीसदी तक GST लगाया जाता है।  अगर आप 20 हजार रुपये की ज्वेलरी को खरीदते हैं तो इस पर आपको 600 रुपये तक GST (GST on gold purchasement) का भुगतान करना होता है। 


3. इस लिमिट से ज्यादा सोना खरीदने पर देना होता है TDS-


अगर आप 1 लाख रुपये से ज्यादा राशि का सोना (Goldd limit) खरीदते हैं तो इस पर TDS का भुगतान करना होता है। यह टैक्स 1 फीसदी तक की होती है।

फिजिकल गोल्ड पर देना होता है कैपिटल गेन्स टैक्स-


सोने को बेचने पर कैपिटल गेन्स टैक्स (Capital Gains Tax) का भुगतान करना होता है। ये टैक्स दो तरीके का हो सकता है। इसमें से पहला शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स होता हैं वहीं दूसरा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स होता है। अगर आप सोने को 3 साल के भीतर बेच दिया जाता है तो इस पर आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Short Term Capital Gains Tax) को देना होता है। वहीं सोने को 3 साल बाद बेचा जाए जो उस पर 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को देना पड़ता है। यहां पर ध्यान देने वाली बात ये हैं कि ये टैक्स बेची गई कुल रकम पर नहीं लगते हैं बल्कि बेचने पर जो मुनाफा होता है उस पर लगते हैं।

डिजिटल गोल्ड पर देना होता है ये टैक्स-


डिजिटल गोल्ड के रूप में कई स्कीम को पैश किया जाता हैं जहां से सोना को खरीदा जा सकता है। इनमें सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड ETF (Gold ETF kya h) आदि को शामिल  किया जाता है। इसमें बेचने पर इस तरह के टैक्स देने होते हैं:


1. Sovereign Gold Bonds


सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के मैच्योरिटी पीरियड (Sovereign Gold Bonds Maturity Period) के बारे में बात करें तो ये 8 साल का रहता है। 8 साल पूरे हो जाने के बाद ग्राहक को मिलने वाला रिटर्न पूरी तरह टैक्स फ्री कर दिया जाता है। अगर आप इसे 5 साल के बाद लेकिन 8 साल से पहले बेचते हैं तो इस पर 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Long Term Capital Gains Tax) को देना होता है। वहीं 12 महीने के बाद लेकिन 5 साल से पहले इसे बेचते हैं तो 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को देना होता है। वहीं 12 महीने के भीतर बेचते हैं तो इस पर शॉर्ट टर्म केपिटल गेन्स टैक्स का भुगतान करना होता है। बॉन्ड (Sovereign Gold Bonds) बेचकर जो भी कमाई होगी, उसे आपकी मुख्य आमदनी में जोड़ दिया जाएगा। इस प्रकार इनकम टैक्स के जिस स्लैब में आमदनी आएगी, उसी के मुताबिक टैक्स करे देना होता है।


2. Gold ETF


Gold ETF (Gold ETF kya h) को अगर 3 साल के बाद बेच दिया जाता है तो इसपर आपको 20 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को देना होता है। वहीं अगर इसे 3 साल से पहले ही बेच दिया जाता है तो ये शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को देना होता है। यह टैक्स (what is Gold ETF) आपकी इनकम के मुताबिक आने वाले टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से ही तय किया जाता है।


3. ऐप के जरिए गोल्ड


अगर आप Paytm, Google Pay, PhonePe (gold purchase through PhonePe) आदि के जरिए सोने की खरीदी करते है तो इसपर ऑनलाइन डिजिटल गोल्ड को माना जाता है। इस गोल्ड को बेचने पर जो प्रॉफिट बनता है, उस पर कैपिटल गेन्स का भुगतान देना होता है। अगर कोई शख्स 3 साल बाद डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) को बेच दिया जाता है तो उस पर 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स और अगर 3 साल से पहले बेचता है तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का भुगतान करना होता है।