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Income Tax Return : टैक्सपेयर्स के लिए आए ITR के 2 नए फॉर्म, जानिये इस बार क्या हुआ बदलाव

Income Tax Return Filing: इनकम टैक्स रिटर्न के दो नए फॉर्म आ गए हैं. देखिए इस बार इन फॉर्म में क्या बदलाव हुआ है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

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HR Breaking News (नई दिल्ली)। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने कारोबारी साल 2023-24 (असेसमेंट ईयर 2024-25) के लिए आधिकारिक तौर पर इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म - ITR-2 और ITR-3 जारी कर दिए हैं. विभाग की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUFs) सहित अलग-अलग संस्थाओं के लिए बदलाव और इम्प्लिकेशन्स शामिल हैं. ITR-2 और ITR-3 फॉर्म की मदद से आप 1 अप्रैल, 2023 से 31 मार्च, 2024 तक की अवधि के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल कर सकेंगे. टैक्सपेयर्स 31 जुलाई 2024 की समय सीमा तक अपना रिटर्न फाइल कर सकते हैं.

ITR-2 किसे फाइल करना चाहिए?


यह निर्धारित इनकम सोर्सेज वाले व्यक्तियों और एचयूएफ दोनों के लिए डिजाइन किया गया है, चाहे वह निवासी हों या अनिवासी. इन सोर्सेज में शामिल हैं -

  • सैलरी या पेंशन.
  • एक या ज्यादा हाउस प्रॉपर्टीज से इनकम या नुकसान.
  • 'कैपिटल गेन' के अंतर्गत इनकम या नुकसान.
  • 'अन्य स्रोत (Other sources)' टाइटल के अंतर्गत इनकम (विशेष दरों पर चार्जेबल इनकम सहित)

ITR-2 फॉर्म का इस्तेमाल उन व्यक्तियों या एचयूएफ की तरफ से नहीं किया जा सकता है जिनकी साल की कुल इनकम में बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम शामिल है.

  • इसके अलावा किसी पार्टनरशिप फर्म से ब्याज, सैलरी, बोनस, कमीशन या रेम्युनेरशन से इनकम अर्जित करने वाले व्यक्ति इनकम टैक्स नियमों के अनुसार ITR-2 फाइल करने के पात्र नहीं हैं.

ITR-3 किसे फाइल करना चाहिए?

  • बिजनेस या प्रोफेशन से इनकम वाले व्यक्तियों या एचयूएफ के लिए ITR-3 तैयार किया गया है.
  • इस फॉर्म का इस्तेमाल उन लोगों की तरफ से किया जाना चाहिए जिनकी इनकम में 'बिजनेस या प्रोफेशन के प्रोफिट्स और गेन्स' के तहत किसी पार्टनरशिप फर्म से ब्याज, सैलरी, बोनस, कमीशन या रेम्युनेरशन जैसे एलिमेंट्स शामिल हैं.
  • ITR-3 बिना व्यावसायिक या प्रोफेशनल इनकम वाले व्यक्तियों या एचयूएफ पर लागू नहीं होता है.

क्या बदलाव हुए हैं?


अपडेटेड फॉर्म्स (Updated ITR Forms) में डिसक्लोजर्स के लिए अलग-अलग नए फील्ड शामिल हैं, जैसे लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर (LEI) नंबर, ऑडिट रिपोर्ट का एक्नोलिजमेन्ट नंबर, यूडीआईएन, और कैपिटल गेन्स अकाउंट्स की डिटेल्स. टैक्स ऑडिट के अधीन व्यक्ति या एचयूएफ अब इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (EVC) का इस्तेमाल करके अपने आईटीआर को वेरीफाई कर सकते हैं, जो पहले मेथड से अलग है. पहला तरीका डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट्स (DSCs) पर निर्भर था.