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Income Tax Rules : खेती की जमीन पर कितना लगेगा टैक्स, जानिये इनकम टैक्स के नियम

Income Tax on Farm Land : भारत खेती प्रधान देश है, यहां पर अधिकतर जमीन पर खेती (kheti ki jameen par tax) की जाती है। खुद खेती करने वाले ही इस बारे में अनजान होते हैं कि उनकी खेत की जमीन पर उन्हें कितना टैक्स (agriculture Land tax rules) देना होगा। इस बारे में इनकम टैक्स एक्ट में बाकायदा नियम तय किए हुए हैं। आइये जानते हैं इसे लेकर क्या है कानूनी प्रावधान। 

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Income Tax Rules : खेती की जमीन पर कितना लगेगा टैक्स, जानिये इनकम टैक्स के नियम

HR Breaking News : (tax on Farm Land ) टैक्स केवल आय पर ही नहीं, खेती की जमीन पर भी लगता है, लेकिन इसके लिए कई जरूरी नियम व कानूनी प्रावधान (Income Tax rues) किए गए हैं। खेती की जमीन पर लगने वाले टैक्स के बारे में शायद की कुछ लोग जानते हैं। अधिकतर किसानों को तो इस मामले से दूर दूर का वास्ता नहीं है।

आज के समय में इस बारे में भी जानकारी होना बेहद जरूरी है, क्योंकि इस पर आयकर कानून (income tax act) भी बनाया गया है। इसलिए कहीं ऐसा न हो कि आप जिस जमीन पर खेती कर रहे हैं, उस पर आगे चलकर भारी भरकम इनकम टैक्स देना पड़ जाए। खबर में जानिये खेती वाली जमीन (Farm Land Proceed Taxation) की खरीद-बेच पर किसे कितना देना होता है टैक्स।

 

 

कृषि भूमि के प्रकार -


कृषि भूमि दो तरह की होती है। इसे फार्म लैंड और एग्रीकल्चर लैंड (agriculture Land ) भी कहते हैं। पहले प्रकार की खेती भूमि ग्रामीण क्षेत्र में खेती की जमीन होती है और दूसरी शहरी क्षेत्र की खेती की जमीन होती है। कई जगह ऐसी हैं जो शहरों में आती हैं और वहां लोग खेती करते हैं, लेकिन इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार उन्हें  एग्रीकल्चर लैंड नहीं माना जाता। ऐसी जमीनों पर टैक्स (tax rules for Farm Land) का प्रावधान है।

इनकम टैक्स एक्ट में यह है प्रावधान-


इनकम टैक्स एक्ट (income tax act) में इस बारे में साफ तौर से बताया गया है कि कौन सी जमीन को खेती की जमीन माना जाएगा और कौन सी को नहीं। सभी जमीनें खेती की जमीन नहीं होती।  


10 हजार की जनसंख्या का नियम लागू-


इनकम टैक्स एक्ट (IT act farm land) के सेक्शन 2 (14)के अनुसार अगर खेती की जमीन म्युनिसिपालिटी, नोटिफाइड एरिया कमेटी, टाउन एरिया कमेटी या कैंटोनमेंट बोर्ड के अंतर्गत आती है तो उसका क्राइटेरिया बदल जाता है। इनमें से किसी एरिया की जनसंख्या 10,000 या इससे ऊपर है तो यह आयकर कानून के अनुसार एग्रीकल्चर लैंड (tax rules for agriculture Land ) नहीं मानी जाएगी। यह शहरी एरिया की जमीन मानी जाएगी। यानी 10 हजार से कम जनसंख्या होने पर ही इन एरिया में आने वाली जमीन को खेती की जमीन (farm land tax rules) कहा जा सकता है। इस पर किलोमीटर का नियम भी निर्धारित है।


किलोमीटर का नियम भी है फिक्स-


अगर म्युनिसिपालिटी या कैंटोनमेंट बोर्ड (Cantonment Board property) की आबादी 10 हजार से 1 लाख तक है और चारों तरफ के 2 किलोमीटर के दायरे में कोई जमीन आती है तो बेशक उस पर खेती की जाती हो, वह एग्रीकल्चर लैंड (agriculture land rules) में नहीं गिनी जाती। इसी तरह से म्युनिसिपालिटी या कैंटोनमेंट बोर्ड की जनसंख्या 1 लाख से 10 लाख के बीच है तो उसके चारों ओर 6 किलोमीटर के दायरे में की जमीन खेती की जमीन (tax on agriculture income) नहीं होती। 10 लाख से ज्यादा आबादी होने पर किलोमीटर का दायरा भी बढ़कर 8 किलोमीटर तक हो जाता है। इतने एरिया की जमीन को एग्रीकल्चर लैंड नहीं इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार नहीं माना जाएगा।


जानिये कब नहीं देना होता टैक्स और कब नहीं-


ऊपर बताए गए दायरों से बाहर आने वाली खेती की जमीन (farm land sale taxe) को आयकर कानून कृषि योग्य भूमि मानता है। एग्रीकल्चर लैंड को आयकर कानून कैपिटल एसेट की श्रेणी में नहीं रखता। इस कारण उसकी बिक्री से हुई कमाई पर कोई कैपिटल या शॉर्ट गेन टैक्स भी नहीं लगेगा। इसके अलावा खेती की जमीन इन बताए गए दायरों में आती है तो टैक्स (tax rules for farming land) देना पड़ेगा क्योंकि उस जमीन को अर्बन एग्रीकल्चर लैंड मानते हुए कैपिटल एसेट की श्रेणी में रखा जाता है। इसकी बिक्री से जो लाभ होता है, उस पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है।

खेती की जमीन पर इतना लगेगा टैक्स- 


खेती की जमीन पर इनकम टैक्स का नियम (income tax on land selling) थोड़ा अलग है। अगर कोई  खेती की जमीन अर्बन एग्रीकल्चर लैंड में है और उसे 2 साल यानी 24 महीने अपने पास रखकर उसके बाद बेचा जाता है तो इससे हासिल प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (tax on Long Term Capital Gain) की श्रेणी में रखा जाता है।

इस पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20 फीसदी टैक्स चुकाना होगा।  अगर इस जमीन को 24 महीने के अंदर ही बेचा जाता है तो हासिल मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (tax on Short Term Capital Gain) टैक्स का नियम लागू होगा। इसमें जो कैपिटल गेन की राशि है, उस पर इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार ही टैक्स लगता है।