Income Tax : 16 लाख की कमाई पर जीरो (0) इनकम टैक्स, टैक्सपेयर्स समझ लें पूरा कैलकुलेशन
Income Tax : हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में मिडिल क्लास को बड़ा तोहफा देते हुए 12 लाख रुपये तक की टैक्स योग्य कमाई पर टैक्स को जीरो घोषित किया है. इसके तहत अगर आपकी टैक्सेबल इनकम 16 लाख रुपये तक है तो आप पर टैक्स देनदारी जीरो हो जाएगी... आइए नीचे खबर में समझ लेते है इसका कैलकुलेशन-

HR Breaking News, Digital Desk- (ITR Filing) हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में मिडिल क्लास को बड़ा तोहफा देते हुए 12 लाख रुपये तक की टैक्स योग्य कमाई पर टैक्स को जीरो घोषित किया है. इससे टैक्सेबल इनकम 16 लाख रुपये तक होने पर भी individuals को टैक्स की छूट मिल सकती है. इसका अर्थ यह है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी निवेश और रीइंबर्समेंट (Reimbursement) की अधिकतम सीमा का सही उपयोग करता है, तो वह 16 लाख रुपये तक की सैलरी पर भी टैक्स नहीं देगा.
सबसे पहले अपने सैलरी स्ट्रक्चर पर करें काम-
साल की शुरुआत में सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करने का मौका मिलता है. आप तय कर सकते हैं कि आपको कितने पैसे रीइम्बर्समेंट के रूप में चाहिए और कितनी टैक्सेबल सैलरी के रूप में. रीइम्बर्समेंट विकल्पों (Reimbursement options) में कन्वेंस, एलटीए, फूड-कूपन, इंटरटेनमेंट, इंटरनेट,फोन बिल (phone bill) और पेट्रोल (petrol) शामिल होते हैं. इसके साथ, एचआरए भी टैक्स (tax) बचाने में मदद करता है. सही तरीके से इन लाभों का उपयोग करके, आप अपनी टैक्स देनदारी को काफी हद तक कम कर सकते हैं.
रीइम्बर्समेंट जरूर लें-
तमाम कंपनियों की तरफ से बहुत सारी चीजें कर्मचारियों को रीइम्बर्समेंट की तरह दी जाती हैं. आइए जानते हैं एक-एक कर के सबके बारे में और समझते हैं आप कितने पैसे बचा सकते हैं.
कन्वेंस रीइम्बर्समेंट-
इसके तहत आपको कंपनी (company) की तरफ से आमतौर पर करीब 1-1.5 लाख रुपये तक का रीइम्बर्समेंट मिल सकता है. मान लेते हैं कि आपकी कंपनी आपको 1.5 लाख रुपये का कन्वेंस रीइम्बर्समेंट देती है, तो इतने पैसे आपके लिए नॉन-टैक्सेबल हो जाएंगे.
इंटरनेट बिल-
आज के वक्त में लगभग हर बिजनेस को इंटरनेट ब्रॉडबैंड (Internet broadband) की जरूरत होती है. अच्छी स्पीड वाला इंटरनेट ब्रॉडबैंड आपको 700-1000 रुपये प्रतिमाह में मिल ही जाता है. ऐसे में करीब इतने ही पैसे कंपनी रीइम्बर्समेंट में भी देती है. अगर आपकी सैलरी में यह कंपोनेंट नहीं है तो इसे सैलरी में शामिल कराएं और टैक्स छूट पाएं. मान लेते हैं कि इसके तहत आपको 1000 रुपये प्रतिमाह यानी सालाना 12000 रुपये तक को नॉन-टैक्सेबल बना सकते हैं.
फूड या एंटरटेनमेंट रीइम्बर्समेंट-
पहले ये रीइम्बर्समेंट फूड कूपन की तरह मिला करता था, जो अब आप अपना खाने-पीने का बिल दिखाकर उसके बदले हासिल कर सकते हैं. इससे तहत कंपनी आमतौर पर करीब 2000 रुपये प्रति माह यानी 24 हजार रुपये सालाना आसानी से दे देती है.
यूनीफॉर्म, फ्यूल, बुक्स और अन्य-
अलग-अलग कंपनियां यूनीफॉर्म, फ्यूल, बुक्स (Books), मैगजीन (magazine), पेपर (paper) आदि के नाम पर भी कुछ रीइम्बर्समेंट देती हैं. एक बार अपनी कंपनी के एचआर से बात करें और पूछें कि क्या वहां ये सुविधाएं हैं. अगर आपको ये रीइम्बर्समेंट मिलते हैं तो आपक कुछ और पैसों पर टैक्स बचा पाएंगे. आम तौर पर इन सबमें मिलाकर आपको 3-4000 रुपये तक का रीइम्बर्समेंट मिल सकता है. मान लेते हैं आपको 3000 रुपये प्रतिमाह रीइम्बर्समेंट मिलता है तो भी आपको सालाना 36 हजार रुपये पर टैक्स ना देने का फायदा मिलेगा.
डिडक्शन का भी उठाएं फायदा-
नई टैक्स व्यवस्था (new tax sysytem) में इनकम टैक्स एक्ट के तहत आपको कुछ डिडक्शन भी मिलते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में.
- सबसे पहले तो हर नौकरीपेशा को 75 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन (standard deduction) मिलता है. मतलब आपकी जितनी भी सैलरी हो, उसमें से आंख बंद कर के 75 हजार रुपये यूं ही कम कर दीजिए.
- एनपीएस (NPS) में कॉन्ट्रिब्यूशन लेने पर कर्मचारियों को 80CCD(2) के तहत टैक्स में छूट मिल सकती है. प्राइवेट और सरकारी कंपनियों के कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 14 फीसदी तक एनपीएस में निवेश करवा सकते है. यदि बेसिक सैलरी 8 लाख रुपये है, तो कर्मचारी को 1,12,000 रुपये तक पर टैक्स छूट मिल सकती है.
अब समझते है कैलकुलेशन को-
इस कैलकुलेशन के दो हिस्से हैं. पहला है रीइम्बर्समेंट का. अगर ऊपर बताए गए सारे रीइम्बर्समेंट को जोड़ दें तो आप कुल 2.22 लाख रुपये का रीइम्बर्समेंट पा सकते हैं. वहीं दूसरा हिस्सा है डिडक्शन (deduction) का, जिसके तहत आपको कुल 1,87,000 रुपये का डिडक्शन मिलेगा. यानी आपकी सैलरी में से सीधे-सीधे कुल मिलाकर 4,09,000 रुपये पर टैक्स नहीं लगेगा.
आपकी सालाना सैलरी (salary) थी 16 लाख रुपये, जिसमें से 4,09,000 रुपये पर टैक्स नहीं लगेगा. ऐसे में आपकी टैक्सेबल सैलरी बचती है 11,91,000 रुपये. नई टैक्स व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम (taxable income) पर टैक्स जीरो है. तो इस तरह आपको कोई भी टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा.