ITR Filing : इस रिजीम के तहत टैक्स में होगी मोटी बचत, जान लें ये 6 तरीके

HR Breaking News - (New Tax Regime)। नया वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल को प्रारंभ हो चुका है और इसके साथ ही देश भर में लोग अपने इनकम टैक्स (Old Tax Regime) रिटर्न (ITR) को जल्द से जल्द दाखिल करने की तैयारी में जुट गए हैं। यह रिटर्न वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए फाइल किया जाएगा, जो कि पिछले साल अप्रैल से लेकर इस साल मार्च तक की अवधि को कवर करता है।
इस दौरान, लोग अपनी आमदनी और निवेशों का (New Tax Regime) विश्लेषण कर रहे हैं ताकि यह निर्धारित कर सकें कि उनके लिए ओल्ड टैक्स रिजीम बेहतर होगी या न्यु टैक्स रिजीम। अगर आप भी इन दोनों में से अपने लिए सही शासन नहीं चुन पा रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है हम आपको बताएगें कि आपको किस टैक्स रिजीम में ज्यादा फायदा मिलेगा -
ओल्ड Vs न्यू टैक्स रिजीम -
अगर आपने कई टैक्स बचाने वाले निवेश किए हैं तो ओल्ड टैक्स रिजीम (old tax regime) अभी भी आपके लिए बेहतर हो सकता है। लेकिन यदि आपके पास ज्यादा टैक्स बचाने वाले निवेश नहीं हैं तो न्यु टैक्स रिजीम ही फायदेमंद साबित हो सकती है क्योंकि इसमें टैक्स स्लैब (New Tax Regime Vs Old Tax Regime) की दर कम है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025 के बजट में नए टैक्स शासन के तहत कुछ नई कटौतियों की घोषणा की थी। लेकिन फिर भी निवेश करने वालों के लिए ओल्ड टैक्स रिजीम बेहतर है। तो आइए जानते हैं नए शासन के तहत आप किस तरह 6 तरीके से इनकम टैक्स बचा सकते हैं -
1. स्टैंडर्ड डिडक्शन -
नए टैक्स प्रणाली में स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है, जो पहले 50,000 रुपये था। यह परिवर्तन वित्तीय वर्ष 2025-26 से प्रभावी हो चुका है। पुराने टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन अभी भी 50,000 रुपये है।
इसका मतलब (ITR Filing) है कि न्यू टैक्स रिजीम में, आप 25,000 रुपये तक का अतिरिक्त टैक्स बचा सकते हैं। यह बदलाव टैक्सदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण लाभ है, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी आय कम है। इससे उनकी कर देनदारी कम होगी और उनके पास खर्च करने के लिए अधिक पैसा होगा।
2. नियोक्ता का NPS में निवेश सेक्शन 80CCD(2)
यह छूट केवल सैलरीड क्लास के लिए है, इसका लाभ फ्रीलांसर या अपने बिजनेस करने वालों को नहीं मिल सकता है। अगर आप राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) खाते में निवेश करते हैं तो आप अतिरिक्त छूट के हकदार हैं।
सरकारी कर्मचारियों के लिए (Income Tax) यह बेसिक वेतन और महंगाई भत्ता (DA) का 14 प्रतिशत तक है। निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए यह पहले 10% तक था। यह छूट केवल उन लोगों के लिए उपलब्ध है जो किसी कंपनी या संगठन के लिए नियमित रूप से काम करते हैं और वेतन प्राप्त करते हैं।
3. अग्निवीर कॉर्पस फंड में योगदान - सेक्शन 80CCH(2)
अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीरों को चार साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति मिलती है। इस योजना में सरकार और अग्निवीर दोनों ही योगदान करते हैं। इसके अलावा (How To Save Tax) अगर अग्निवीर की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को मिलने वाली राशि पर भी टैक्स छूट दी जाती है। यह छूट पुराने और नए दोनों कर व्यवस्थाओं में उपलब्ध है।
4. फैमिली पेंशन पर छूट -
भारतीय कर प्रणाली में कर्मचारी की मृत्यु के बाद उनके परिवार को मिलने वाली पेंशन पर कर छूट दी जाती है। यह छूट उन परिवारों के लिए राहत की बात है, जिन्हें अचानक आय का नुकसान झेलना पड़ता है। नई कर व्यवस्था के तहत पेंशन का एक-तिहाई हिस्सा या 25,000 रुपये कर मुक्त है। यह प्रावधान विशेष रूप से उन परिवारों के लिए सहायक है जिनके पास आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है।
5. ट्रांसपोर्ट एंड कनवेंस अलाउंस -
सरकार के इस फैसले से दिव्यांग कर्मचारियों को उनके दैनिक जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में मदद करती है। घर से ऑफिस आने-जाने के लिए मिलने हर महीने 3,200 रुपये वाली यह छूट उनके लिए एक छोटी सी राहत हो सकती है। यह छूट उनके रियल खर्चों के आधार पर तय की जाती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उन्हें वास्तविक आवश्यकता के अनुसार मदद मिल रही है।
6. सेक्शन 10 के तहत कुछ छूट -
नए टैक्स रिजीम (new tax regime) में शुरूआत में सेक्शन 10 के तहत कोई छूट नहीं दी जा रही थी। हालांकि अब कुछ महत्वपूर्ण छूटें शामिल की गई हैं जो वीआरएस लेने वालों के लिए राहत प्रदान करती हैं। अब 5 लाख रुपये तक की राशि पर टैक्स छूट दी जा रही है, जिससे उन्हें अपनी सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली राशि का एक हिस्सा टैक्स-फ्री मिलेगा।
इसके अलावा, सरकारी कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी (gratuity) पूरी तरह से टैक्स-फ्री है, जबकि प्राइवेट कर्मचारियों के लिए यह स्थिति पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त, रिटायरमेंट या इस्तीफे के समय छुट्टी के बदले मिलने वाली राशि, जिसे लीव एनकैशमेंट कहा जाता है, अब 25 लाख रुपये तक टैक्स-फ्री है।