Loan Settlement Rule : लोन सेटलमेंट करने वाले जान लें ये जरूरी बात, वरना इतने साल तक कोई बैंक नहीं देगा पैसे

HR Breaking News - (loan repayment rules)। लोन की ईएमआई चुकाना आपके लिए चुनौती भरा हो गया है और आप लोन की राशि चुकाने के लिए लोन सेटलमेंट (loan settelment process) का रास्ता चुनने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है।
आपको लोन सेटल करने से पहले इन जरूरी बातों को जान लेना चाहिए नहीं तो आपको कई साल तक किसी भी बैंक (bank loan news) की ओर से लोन नहीं मिलेगा। अक्सर लोगों को इसके नुकसान के बारे में पता ही नहीं होता, जब पता चलता है तो तब तक काफी देर हो चुकी होती है। आइये जानते हैं क्या हैं लोन सेटलमेंट के नुकसान (laon settelment ke nuksan) और कितने साल तक फिर नहीं मिल पाता दूसरा लोन।
जानिये क्या है लोन सेटलमेंट-
लोन सेटलमेंट कुछ और नहीं बल्कि वन टाइम सेटलमेंट (One Time Settlement)ही है। इसे शॉर्ट में OTS कहा जाता है, जो बैंक और लोनधारक के बीच वह सैटलमेंट यानी समझौता है जिसमें लोन को सेटल करके एक बार में ही रुपयों का भुगतान कर दिया जाता है। लोन सेटलमेंट (loan Settlement ke nuksan) करने से कई लोग समझते हैं कि लोन क्लोज हो गया, लेकिन ऐसा नहीं होता। लोन सेटलमेंट से लोनधारक को बस रिकवरी एजेंटों (recovery agent rules) से छुटकारा मिल सकता है। लोन सेटलमेंट करने के कई नुकसान भी हैं।
बैंक को नहीं मिलता पूरा लाभ, करते हैं ये कार्रवाई-
जब लोनधारक को लोन चुकाने में समस्या आती है तो वह लोन सेटलमेंट का रास्ता अपनाता है। कई लोग लोन रीस्ट्रक्चर (loan restructure) या लोन रीफाइनेंस का तरीका भी अपनाते हैं। अगर आप लोन सेटलमेंट कर रहे हैं तो साफ है कि आपके और बैंक के मध्य ये एक ऐसा बीच का रास्ता है, जिससे पेनेल्टी व ब्याज आदि छोड़कर बकाया राशि चुकाई जा सके।
लोन सेटलमेंट (loan Settlement tips) से बैंक को वह फायदा नहीं होता जो उसे समय पर किस्तें आने व समय पर लोन का भुगतान करने से होता है। इसलिए बैंक लोनधारक (loan borrower) पर कार्रवाई के रूप में उसकी क्रेडिट हिस्ट्री में 'सेटल्ड' लिखते हैं। यही शब्द लोनधारक के लिए मुश्किल खड़ी कर देता है और उसे अगले सात साल तक कहीं से भी लोन नहीं मिलता।
लोन सेटल करने से सिबिल स्कोर पर असर-
जब लोनधारक लोन को सेटल कराता है तो बैंक (bank news) लोनधारक की क्रेडिट हिस्ट्री में 'सेटल्ड' लिखकर एक तरफ हो जाते हैं। इससे लोन लेने वाले का सिबिल या क्रेडिट स्कोर एकदम से 50 से 100 पॉइंट तक गिर जाता है। बड़ी लोन राशि सेटल करा रहे हैं तो ये और ज्यादा गिर सकता है।
ऐसा होते ही ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट (credit report) एक तो 'सेटल्ड' शब्द को दिखाएगी और दूसरा उसका सिबिल स्कोर भी खराब होगा। ऐसे में लोन सेटल (loan setteled) कराना नुकसानदायक भी है। सात साल तक आप लोन नहीं ले सकेंगे और बैंक ब्लैक लिस्ट भी कर सकता है।
मौके पर कर लेंगे ये काम तो रहेंगे फायदे में-
अगर आपको कभी लोन सेटल (loan settelment kya h) कराना भी पड़े तो सिबिल स्कोर सुधारने के मौके की तलाश में जरूर रहें। जब भी आपके पास पैसों का प्रबंध हो जाए तो लोन को पूरी तरह से क्लोज जरूर करवा लें यानी लोन सेटल के समय पेनल्टी व ब्याज (penalty on loan default) में मिली छूट को भरकर बैंक से एनओसी ले लें। इसके बाद सिबिल स्कोर को अपडेट करा लें, इससे आपका सिबिल स्कोर सुधर (how to improve cibil score) सकता है।