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Loan Settlement Rules : लोन सेटलमेंट करने वाले हो जाएं सावधान, पहले जान लें ये जरूरी बात, वरना 7 साल तक कोई बैंक नहीं देगा पैसा

Loan Settlement effects : कई बार व्यक्ति अपनी आर्थिक समस्याओं को सुलझाने के लिए बैंक से लोन लेते हैं। यह लोन घर, वाहन या व्यक्तिगत खर्च के लिए हो सकता है। लोन या उधारी लेने के बाद, हर महीने ईएमआई के रूप में एक निश्चित रकम चुकानी होती है। यदि किसी कारणवश ये रकम समय पर नहीं चुकाई जाती, तो बैंक लोन सेटलमेंट का विकल्प (Loan Settlement new rules) भी प्रदान करता है, ताकि इस आर्थिक समस्या का समाधान हो सके। हालांकि, इस विकल्प का चयन सोच-समझकर करना चाहिए, क्योंकि इससे आपको आने वाले 7 वर्षों तक बैंक नया लोन नहीं देगा।

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Loan Settlement Rules : लोन सेटलमेंट करने वाले हो जाएं सावधान, पहले जान लें ये जरूरी बात, वरना 7 साल तक कोई बैंक नहीं देगा पैसा 

HR Breaking News - (Loan settlement tips)। लोन या इसकी ईएमआई चुकाने में असमर्थ रहने पर कई लोग लोन सेटलमेंट का नाम सुनते ही राहत महसूस करते हैं, लेकिन इसके पीछे की असलियत कुछ और ही है। लोन सेटलमेंट (loan settlement kya hai) के बाद, आपके वित्तीय लेन देन के रिकॉर्ड पर गहरा असर पड़ता है और इसका प्रभाव अगले 7 सालों (Loan settlement ke nuksan) तक रहेगा।

इस दौरान, बैंक आपको कोई नया लोन देने से बचेंगे। साथ ही, यह प्रक्रिया आपके वित्तीय भविष्य को भी प्रभावित कर सकती है। बहुत से लोग लोन सेटलमेंट के बाद होने वाले इन जोखिमों से अनजान रहते हैं और इसकी गंभीरता को हल्के में लेते हैं। बिना पूरी जानकारी के इस कदम को उठाना आगे चलकर भारी पड़ सकता है।

क्या होता है लोन सेटलमेंट -

कभी-कभी आर्थिक परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं कि लोन की ईएमआई (Home loan EMI)समय पर चुकाना मुश्किल हो जाता है। खासकर होम लोन में यह समस्या अधिक होती है क्योंकि यह लंबी अवधि का होता है और ईएमआई भी ज्यादा होती है। यदि किसी कारणवश लोन की ईएमआई समय पर नहीं चुकाई जाती, तो कर्ज का बोझ बढ़ सकता है।

इस स्थिति में कई लोग लोन के समाधान के लिए एक बार में पूरी राशि चुकाने का विकल्प चुनते हैं, जिसे वन टाइम सेटलमेंट (One Time Settlement) कहा जाता है। इस प्रक्रिया के तहत, उधारकर्ता और बैंक के बीच एक समझौता होता है, जिसके माध्यम से बकाया राशि का एक हिस्सा चुकता किया जाता है और बाकी के बकाए को माफ किया जाता है।

क्या है ओटीएस -

OTS (one time settlement) एक ऐसा समझौता है जो उधारकर्ता और बैंक के बीच तय होता है, जिसमें उधारकर्ता एक निश्चित राशि में लोन चुकता करता है। हालांकि, सेटलमेंट के बाद लोन पूरी तरह से समाप्त नहीं होता, बल्कि उधारकर्ता को रिकवरी एजेंसियों से राहत मिलती है और वह बैंक के साथ हुए समझौते की शर्तों का पालन करके बकाया राशि चुका सकता है। इस प्रक्रिया के बाद उधारकर्ता को कई नुकसान का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव। इसलिए, अगर आपने सेटलमेंट (Loan settlement impacts) किया है या करने जा रहे हैं, तो यह बहुत जरूरी है कि आप लोन को पूरी तरह से क्लोज करवाएं, ताकि भविष्य में आपके क्रेडिट स्कोर पर इसका गलत असर न पड़े।

यह है लोन सेटलमेंट का मतलब -

लोन सेटलमेंट एक समझौता होता है जिसमें उधारकर्ता और बैंक दोनों की सहमति होती है। इस प्रक्रिया में उधारकर्ता को अपनी प्रिंसिपल अमाउंट (मूलधन) पूरी चुकानी पड़ती है, जबकि अतिरिक्त शुल्क, ब्याज और जुर्माने में छूट मिल सकती है। हालांकि, लोन सेटलमेंट (Bank rules for Loan settlement) के बाद बैंक को वह पूरी रकम नहीं मिलती जो उधारकर्ता को समय सीमा के भीतर अदा करनी होती।

इस कारण बैंक उधारकर्ता की क्रेडिट हिस्ट्री में "सेटल्‍ड" शब्द जोड़ देता है। इससे यह संकेत मिलता है कि उधारकर्ता को लोन की पूरी रकम चुकाने के लिए वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। इस प्रक्रिया के कारण भविष्य में उधारकर्ता को नए लोन (how to get new loan) प्राप्त करने में मुश्किलें आ सकती हैं।

सिबिल स्कोर पर पड़ता है प्रभाव -

सेटलमेंट के बाद क्रेडिट रिकॉर्ड में इसका असर काफी बड़ा हो सकता है। इससे आपकी क्रेडिट रेटिंग में 50 से 100 अंक या उससे भी अधिक की गिरावट हो सकती है। अगर एक से अधिक लोन सेटल (loan settlement ke fayde) किए गए हों, तो इसका प्रभाव और भी ज्यादा हो सकता है। आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में अगले 7 सालों तक यह दर्ज रहता है कि आपका लोन सुलझा लिया गया था। इस दौरान, आपको नए लोन प्राप्त करना काफी मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा, बैंक आपको अपनी सूची में डाल सकता है, जिससे भविष्य में ऋण प्राप्त करने में समस्याएं हो सकती हैं। इस वजह से, सेटलमेंट करने से पहले पूरी जानकारी (loan settlement ki jankari) लेना जरूरी है।

लोन क्लोज करवाना जरूरी -

सिबिल स्कोर के सही होने से आपको आसानी से कम ब्याज दरों पर सस्ता लोन मिल सकता है और अगर सिबिल स्कोर खराब है, तो आपको  सिबिल स्कोर को सही करवाना चाहिए। सिबिल स्कोर (Loan settlement effect on cibil score) को सही करने के लिए आपको अपने सेटल्ड अकाउंट को बंद करवाना जरूरी है। इसके लिए, जब आप आर्थिक रूप से मजबूत महसूस करें, तो बैंक (bank news) से संपर्क करें और उन्हें बताएं कि आप अपनी बकाया रकम का पूरा भुगतान करना चाहते हैं। इसमें जो भी अतिरिक्त राशि, जैसे कि ब्‍याज और जुर्माना, आपकी ओर से माफ किया गया था, वह अब आप अदा करना चाहते हैं। यह सब जानकारी दे दें।

बैंक से लेना न भूलें यह प्रमाणपत्र-

 जब आप लोन का कुल मिलाकर पूरा भुगतान कर देते हैं और कोई बकाया राशि नहीं रहती। बैंक आपको इस बात का प्रमाण पत्र जारी करता है। इस प्रमाण पत्र के बाद बैंक आपके क्रेडिट रिकॉर्ड को अपडेट करता है, जिससे आपका क्रेडिट स्कोर सुधरता है और आपकी वित्तीय स्थिति बेहतर बनती है। इस प्रमाणपत्र को लेना कभी न भूलें और साथ ही यह भी चेक कर लें कि आपका सिबिल स्कोर अपडेट (cibil score update rules) हो गया है या नहीं। अगर लोन चुकाने पर भी यह अपडेट नहीं होता है तो आप बैंक को इसके बारे में जरूर बताएं व समाधान कराएं।

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