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Property Documents : प्रोपर्टी खरीदने से पहले चेक कर लें डॉक्यूमेंट, वरना नहीं मिलेगा मालिकाना हक

Property Purchasing : आज के समय में प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त सबसे बड़ा सौदा होता है। ऐसे में सावधानी बरतना बहुत जरूरी होता है। जब भी कोई भी प्रोपर्टी को खरीदतें तो उससे जुड़े सभी अहम डॉक्यूमेंट की जांच जरूर कर लेनी चाहिए। प्रॉपर्टी खरीदने से पहले खासकर इन 8 कागजात को जरूर चेक कर लें। अगर आप इन कागजात की जाचं पड़ताल नहीं करते हैं तो आपको उस प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक नहीं मिलेगा। आईये जानते हैं - 

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Property Documents : प्रोपर्टी खरीदने से पहले चेक कर लें डॉक्यूमेंट, वरना नहीं मिलेगा मालिकाना हक

HR Breaking News - (Property Papers)। प्रॉपर्टी खरीदना और बेचना एक बड़ा काम है और इसमें मोटी रकम लगती है। इसलिए सभी काम सावधानी पूर्व करने होते हैं। आपकी एक छोटी सी गलती की वजह से मोटा नुकसान हो सकता है। 


खासकर प्रोपर्टी खरीदते समय इससे जुड़े जरूरी कागजात (property documents) की अच्छे से जांच कर लें तो धोखाधड़ी का शिकार होने से बच सकते हैं। अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने की योजना बना रहे हैं तो पहले इन आठ डॉक्यूमेंट को जरूर चेक कर लें। इनके बिना प्रॉपर्टी पर आपको मालिकाना हक नहीं मिलेगा। चलिए जानते हैं विस्तार से - 

बैनामा सबसे अहम कागजात -

प्रॉपर्टी खरीदने पर सबसे पहला इंपोर्टेंट डॉक्यूमेंट बैनामा (sale deed) होता है। दरअसल, बैनामा किसी भी संपत्ति पर मालिकाना हक को साबित करता है। संबंधित इलाके के सब-रजिस्ट्रार के ऑफिस में प्रॉपर्टी रजिस्टर (property registry) कराने के दौरान इसे जरूर हासिल कर लें।

ऑक्यूपॅन्सि सर्टिफिकेट -


ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (Occupancy Certificate) से ही यह साबित होता है कि प्रोपर्टी विक्रेता का उस प्रोपर्टी पर कब्जा है या नहीं। ऑक्यूपॅन्सि सर्टिफिकेट बिल्डर से जरूर ले लेना चाहिए। अगर यह डॉक्यमेंट बिल्डर देने से इनकार करता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इस डॉक्यूमेंट के प्रॉपर्टी खरीदना आपको भारी पड़ सकता है। 

पजेशन लेटर है जरूरी-

पजेशन लेटर प्रॉपर्टी का सबसे अहम कागजात होता है। जब नई प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो डिवेलपर की ओर पजेशन लेटर (possession letter) जारी किया जाता है। यदि आपके पास सिर्फ ओसी (Occupancy Certificate) है तो यह बिना पजेशन लेटर के अकेले प्रॉपर्टी पर कब्जा पाने के लिए (property possession rules) आवश्यक नहीं है। प्रॉपर्टी पर कब्जे की तारीख सहित अन्य डिटेल होती है। होम लोन के लिए इस दस्तावेज की असली कॉपी की मांग ग्राहक से बैंक मांगता है।

प्रोपर्टी मोर्गेज पेपर्स-

प्रॉपर्टी खरीदने से पहले प्रोपर्टी मोर्गेज पेपर्स की जांच जरूर कर लेनी चाहिए। इस कागजात से यह पता चलता है कि उस प्रॉपर्टी पर कोई लोन या फिर बकाया तो नही है। प्रोपर्टी को कहीं गिरवी रखा होगा तो बकाया होने के कारण कानूनी अड़चन आ सकती है। इसलिए लोन (loan on property) क्लियर होने की स्थिति में ही प्रोपर्टी खरीदनी चाहिए। इसलिए जरूरी है कि प्रोपर्टी मोर्गेज पेपर (property mortgage papers) की भी जांच पड़ता कर लें। गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी लोन सिक्योर करने में कोलैटरल के रूप में काम करती है।

म्यूटेशन का होना जरूरी-

म्यूटेशन यानी दाखिल खारिज (mutation of property) एक ऐसा दस्तावेज है जो ग्राम पंचायत की संपत्तियों में सबसे ज्यादा काम आता है। इस डॉक्यूमेंट से यह पता चलता है कि प्रॉपर्टी का पूर्व मालिक कौन है। रजिस्ट्री के साथ ही जमीन का दाखिल खारिज व नामांतरण यानी म्यूटेशन करवाना बहुत जरूरी होता है। इसके बाद आपको मालिकाना हक (property rights) मिलता है।

नो ओब्जेक्शन सर्टिफिकेट  -

आमतौर पर प्रोजेक्ट की प्रोपर्टी लेते समय बिल्डर से एनओसी (property NOC) लेना बहुत जरूरी है। अन्य प्रोपर्टी विक्रेता से भी एनओसी ले सकते हैं। बिल्डर को अलग-अलग अथॉरिटीज से कई एनओसी (property NOC) लेनी पड़ती हैं। आप बिल्डर से इन एनओसी की कॉपी रिकॉर्ड में रखने के लिए मांग सकते हैं। अगर आपको बिल्डर से ये कागजात नहीं मिलते हैं तो प्रॉपर्टी खरीदने की भूल न करें। 

प्रोपर्टी का अलॉटमेंट लेटर-

प्रोपर्टी का अलॉटमेंट लेटर इसलिए भी ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि बैंक होम लोन (home loan on property) देते समय इसकी मांग करते हैं। यह बेहद जरूरी दस्तावेजों में से एक है। 


इसे डिवेलपर या हाउसिंग अथॉरिटी से आप लेने की मांग कर सकते हैं। इस डॉक्यूमेंट (property documents) में प्रॉपर्टी की डिटेल व  ग्राहक की ओर से बिल्डर को दी जाने वाली रकम की जानकारी दी होती है। ऐसे में कल को बिल्डर मुक्कर नहीं सकता है कि आपने प्रॉपर्टी खरीद के लिए उन्हें पैसे नहीं दिए। 

प्रोपर्टी टैक्स से जुड़ी रसीदें-

प्रॉपर्टी मालिकों को अपनी प्रोपर्टी पर टैक्स (property tax rules) भी चुकाना होता है। इसके चुकाए जाने पर संबंधित विभाग रसीद देता है। इनसे साबित होता है कि प्रोपर्टी से संबंधित टैक्स आदि का बकाया चुका दिया गया है।

 टैक्स नहीं चुकाने से संपत्ति पर अलग से शुल्क भी लगता है। यह प्रोपर्टी (property selling tips)  खरीददार का महंगा पड़ सकता है। इसलिए म्युनिसिपल अथॉरिटी में जाकर चेक भी कर लें।