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property knowledge : हिस्सेदार बेच रहा है प्रोपर्टी, जानिये कैसे रोक सकते हैं आप, ये है कानून

Property rights : प्रोपर्टी लेना बड़ी पूंजी का काम होता है, इसलिए कई लोग इसे कम बजट होने पर किसी अन्य के साथ साझे में ले लेते हैं। कई बार साझदार ही गेम खेलने की फिराक में होता है और व लालचवश इसे बेचकर (property selling tips) अकेले ही मुनाफा कमाने की भी सोचता है। ऐसे में आप हिस्सेदार को अपने हिस्से की जमीन को बेचने से कैसे रोक सकते हैं, इस बारे में  आपको जरूर पता होना चाहिए। आइये बताते हैं इस बारे में क्या है कानून। 

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property knowledge : हिस्सेदार बेच रहा है प्रोपर्टी, जानिये कैसे रोक सकते हैं आप, ये है कानून

HR Breaking News - (property disputes)। कई बार लोग दूसरे व्यक्ति के साल मिलकर प्रोपर्टी खरीद लेते हैं। अक्सर स्थिति यह बनती है कि एक साझीदार (property co owner rights) जमीन को बेचना चाहता है और दूसरा उसे नहीं बेचना चाहता। ऐसा कई बार फ्रॉड करने के मकसद से भी होता है।

 

आपको जैसे ही साझीदार की ओर से प्रोपर्टी बेचने (property purchasing tips) का पता चलता है तो आप परेशानी में फंस जाते हैं। ऐसे में आपके पास कई अधिकार हैं, उनका यूज करके आप हिस्सेदार को प्रोपर्टी बेचने से रोक (stay on property) सकते हैं। खबर में जानिये कहां शिकायत करके हिस्सेदार पर क्या कार्रवाई करा सकते हैं ताकि व जमीन न बेच सके।

 

जानिये क्या होती है ज्वाइंट ऑनरशिप-


जब एक से अधिक लोग मिलकर साझे में प्रोपर्टी (shared property rights ) लेते हैं तो प्रॉपर्टी का मालिकाना हक एक से ज्यादा व्यक्तियों के नाम होता है। इसे जॉइंट ओनरशिप यानी प्रोपर्टी का साझा मालिकाना हक कहा जाता है। ऐसे में अन्य व्यक्ति भी प्रोपर्टी के को-ओनर (property co owner disputes) हो जाते हैं। उसके पास प्रॉपर्टी पर कब्जे का अधिकार, यूज करने के हक सहित बेचने तक का अधिकार मिल जाता है। 


सब रजिस्ट्रार कार्यालय में शिकायत से क्या होगा-


जब किसी प्रोपर्टी हिस्सेदार से विवाद होता है तो अधिकतर लोग सब-रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचते हैं। लेकिन यहां पर इस तरह के विवाद का निपटारा नहीं किया जा सकता। इस कार्यालय का काम रजिस्ट्री (property registration) करना होता है। सब-रजिस्ट्रार न तो विवाद में इंटरफेयर कर सकता न ही सुलझा सकता। हिस्सेदार को प्रोपर्टी बेचने से भी नहीं रोक सकता। वह केवल सेल डीड (sale deed)को रजिस्टर करता है, जिससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है।


पुलिस में शिकायत पर क्या होगा-


कई लोगों को लगता है कि पुलिस थाने में इस समस्या का समाधान होगा, तो बता दें कि पुलिस केवल विवाद की नौबत को रोक सकती है, हिस्सेदार को प्रोपर्टी बेचने से नहीं रोक सकती। पुलिस को यह अधिकार (property rights) नहीं है कि वह किसी को प्रोपर्टी  खरीदने या बेचने  से रोक सके। इसलिए थाने के चक्कर काटकर आप कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। 


स्टे के लिए लगाएं अर्जी-


अगर आपके साथ कोई ऐसा मामला होता है तो आप थाने व रजिस्ट्रार कार्यालय के चक्कर काटने के बजाय सिविल कोर्ट में मामला ले जाएं। सिविल कोर्ट में स्टे (property stay rules) के लिए अर्जी लगाना ऐसे मामले में सही तरीका है। ऐसे में हिस्सेदार उस प्रोपर्टी को बेच (property selling) नहीं सकेगा। आप सही से बंटवारा करने की दलील दे सकते हैं, ऐसे में सिविल केस दायर होगा। 

बंटवारे के मामले में लग सकता है समय-


स्टे की अर्जी पर तुरंत एक्शन होता है और बंटवारे (property division rules)  की एप्लीकेशन पर विचार करने में समय लग सकता है। बंटवारे के मामले में दोनों पक्षों को बुलाकर मामले को सुलझाने के प्रयास किए जाते हैं। इसमें सब-रजिस्ट्रार को भी पक्षकार के तौर पर बुलाया जाता है। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद यह जज पर निर्भर करता है कि बंटवारे वाले केस पर फैसला आने तक स्टे लगाए या नहीं, हालांकि ज्यादातर मामलों में स्टे (how can take stay on property) तुरंत लग ही जाता है।