सिबिल स्कोर को लेकर RBI ने जारी किया बड़ा आदेश, लोन लेने वाले जान लें जरूरी बात
Cibil Score - अगर आप लोन लेने की प्लानिंग कर रहे है तो इस खबर को एक बार जरूर पढ़ लें. दरअसल आपको बता दें कि हाल ही में आरबीआई (Reserve Bank of India) ने होम, पर्सनल और ऑटो लोन लेने वालों के लिए एक बड़ा राहत भरा फैसला लिया है... जिससे जान लेना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है-

HR Breaking News, Digital Desk- आरबीआई (RBI) ने होम, पर्सनल और ऑटो लोन लेने वालों के लिए एक बड़ा राहत भरा फैसला लिया है. अपने हालिया आदेश में,भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि अब से सभी ऋण देने वाली संस्थाओं को सिबिल स्कोर की जानकारी रियल-टाइम में अपडेट करनी होगी.
पहले यह जानकारी 15 दिनों में केवल एक बार अपडेट की जाती थी. RBI के इस कदम से कर्जदारों को अपनी क्रेडिट स्थिति को तुरंत जानने और उसके अनुसार वित्तीय निर्णय लेने में काफी मदद मिलेगी, जिससे उन्हें बड़ा फायदा होने की उम्मीद है.
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने ट्रांसयूनियन सिबिल जैसी क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) से पाक्षिक (15 दिन) के बजाय वास्तविक समय पर यानी रियल टाइम में आंकड़े देने के लिए कहा है. राव ने मंगलवार को सिबिल के एक कार्यक्रम में कहा कि सीआईसी द्वारा डेटा को तेजी से भेजने से सभी के लिए प्रणाली में विश्वास, दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाने में मदद मिलेगी. RBI ने बुधवार को राव का यह संबोधन अपनी वेबसाइट (Website) पर जारी किया. इससे लोन लेने वालों को मदद मिलने की उम्मीद है.
क्रेडिट की लगातार जानकारी जरूरी-
राव ने कहा कि हमें क्रेडिट (credit) सूचना लगातार और लगभग वास्तविक समय में मिलने की उम्मीद करनी चाहिए. इससे जोखिम आकलन सटीक होगा, ऋण खाते की गतिविधियों को बेहतर ढंग से समझा जा सकेगा और उपभोक्ता अनुभव भी सुधरेगा. इस मौके पर राव ने यह भी माना कि प्रौद्योगिकी, प्रक्रियाओं को बदलने और परिवर्तन प्रबंधन में निवेश की लागत आएगी, लेकिन इसके फायदे कहीं ज्यादा होंगे.
क्रेडिट संस्थानों पर ज्यादा निर्भरता-
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि इस मामले में एक अन्य प्रमुख चुनौती पहचान मानकीकरण की है. सीआईसी सटीक और मान्य पहचान देने के लिए क्रेडिट संस्थानों पर निर्भर है. इसके बिना दोहराव और गलत रिपोर्टिंग का जोखिम बना रहता है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने जटिल कृत्रिम मेधा (artificial intelligence) और मशीन लर्निंग (machine learnig) मॉडल के इस्तेमाल से मॉडल संबंधी जोखिम को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इनका पूरी तरह परीक्षण, सत्यापन या पूर्वाग्रहों और प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव के लिए निगरानी नहीं होने से समस्या होती है.
डिफॉल्ट से निपटने के लिए जरूरी-
डिप्टी गवर्नर ने बैंकों को डिफ़ॉल्ट (default) से निपटने के लिए मजबूत तैयारी करने की सलाह दी है. उन्होंने जोर दिया कि मौजूदा मॉडल को निष्पक्ष, पारदर्शी और नैतिक मानकों के अनुरूप बनाए रखने के लिए कठोर सत्यापन, निरंतर निगरानी और मजबूत शासन आवश्यक है. इसके बिना, बैंकों के लिए अपने कर्ज पर जोखिम कम करना मुश्किल होगा, खासकर ऐसे समय में जब ऋण विस्तार और इसकी मांग दोनों बढ़ रहे हैं.