RBI ने CIBIL Score को लेकर बनाए नए 5 नियम, 1 तरीख से हो जाएंगे लागू, लोन लेने वालों को होगा ये फायदा
RBI New Rules - आपने भी देखा होगा जब आप बैंक या किसी अन्य फाइनेस संस्थानों में लोन के लिए अप्लाई करते हैं तो बैंक आपसे सिबिल स्कोर (CIBIL Score) की चर्चा करता है। दरअसल, क्रेडिट स्कोर के आधार पर आपको लोन मिलेगा या नहीं, ये निर्भर करता है। कई लोग आम जिंदगी में वित्तीय लेन-देन में काफी लापरवाह होते हैं, जिसका नतीजा यह होता है कि उन्हें अपने सिबिल स्कोर की स्थिति का अंदाजा ही नहीं होता है और लोन के लिए दिया गया आवेदन खारिज हो जाता है। वहीं कई बार समय पर लोन का भुगतान करने पर भी सिबिल स्कोर खराब रहता है इसके कई और कारण भी हो सकते हैं, जैसे की आप किसी दूसरे व्यक्ति के लोन गारंटर बने हो और उसने समय पर EMI नहीं चुकाई हो इसके कारण भी आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है। इसी को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 5 नए नियम बनाने हैं। इससे ग्राहकों को बड़ा फायदा होगा।

HR Breaking News (ब्यूरो)। सबसे पहले तो आपको पता होना चाहिए क्रेडिट स्कोर (CIBIL Score) क्या है और ये कैसे तय होता है। सिबिल स्कोर का प्रबंधन करने वाली संस्था व्यक्तियों और गैर-व्यक्तियों के लोन और क्रेडिट कार्ड्स से संबंधित भुगतानों के रिकॉर्ड जुटाते हैं और रखते हैं। ये रिकॉर्ड बैंक और अन्य फाइनेंस संस्थानों की ओर से हर महीने संस्था में भेजे जाते हैं।
इन्हीं जानकारियों की मदद से क्रेडिट इन्फोर्मेशन रिपोर्ट (CIR) तथा क्रेडिट स्कोर विकसित किया जाता है। इससे कर्जदाता लोन आवेदन का मूल्यांकन करते हैं और स्वीकृत करते हैं। जब भी आप लोन के लिए अप्लाई करते हैं तो बैंक आपका क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट की पड़ताल करते हैं। उस समय अगर आपका स्कोर कम है तो इसकी पूरी संभावना है कि बैंक आपके आवेदन पर विचार नहीं करते और आपको लोन देने से मना कर सकता है। जानकारों का कहना है कि आपका सिबिल स्कोर जितना अधिक होगा, लोन मिलने की संभावना उतनी अधिक होगी। आईये अब जानते हैं सिबिल स्कोर को लेकर RBI ने क्या कहा है...
रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से सिबिल स्कोर (CIBIL Score) को लेकर एक बड़ा अपडेट जारी किया है। इसके तहत कई नियम बनाए गए हैं। क्रेडिट स्कोर (Credit Score) को लेकर बहुत सारी शिकायतें आ रही थीं, जिसके बाद केंद्रीय बैंक ने नियमों को सख्त किया है। इनके तहत क्रेडिट ब्यूरो में डेटा सुधार न होने की वजह भी बतानी होगी और क्रेडिट ब्यूरो वेबसाइट पर शिकायतों की संख्या भी बताना जरूरी है। इसके अलावा भी RBI ने कई नियम बनाए हैं। नए नियम 26 अप्रैल 2024 से लागू हो जाएंगे। अप्रैल में ही RBI ने इस तरह के नियम लागू करने की चेतावनी दे दी थी।आइए जानते हैं इनके बारे में।
1- ग्राहक को देनी होगी सिबिल चेक किए जाने की सूचना
रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों से कहा है कि जब भी कोई बैंक या एनबीएफसी किसी ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट चेक करता है तो उस ग्राहक को इसकी जानकारी भेजा जाना जरूरी है। यह जानकारी एसएमएस या ईमेल के जरिए दी जा सकती है। दरअसल, क्रेडिट स्कोर को लेकर कई शिकायतें सामने आ रही थीं, जिसके चलते भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ये फैसला किया है।
2- रिक्वेस्ट को रिजेक्ट करने की बतानी होगी वजह
केंद्रीय बैंक के अनुसार अगर किसी ग्राहक की किसी रिक्वेस्ट को रिजेक्ट किया जाता है तो उसे इसकी वजह बताया जाना जरूरी है। इससे ग्राहक को यह समझने में आसानी होगी कि किस कारण से उसकी रिक्वेस्ट को रिजेक्ट किया गया है। रिक्वेस्ट रिजेक्ट किए जाने की वजहों की एक लिस्ट बनाकर उसे सभी क्रेडिट इन्स्टीट्यूशन को भेजना जरूरी है।
3- साल में एक बार ग्राहकों को देनी होगी फ्री फुल क्रेडिट रिपोर्ट
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RBI के अनुसार क्रेडिट कंपनियों को साल में एक बार फ्री फुल क्रेडिट स्कोर अपने ग्राहकों को मुहैया कराया जाना चाहिए। इसके लिए क्रेडिट कंपनी को अपनी वेबसाइट पर एक लिंक डिस्प्ले करना होगा, ताकि ग्राहक अपनी फ्री फुल क्रेडिट रिपोर्ट आसानी से चेक कर सकें। इससे साल में एक बार ग्राहकों को अपना सिबिल स्कोर और पूरी क्रेडिट हिस्ट्री के बारे में पता चल जाएगा।
4- डिफॉल्ट को रिपोर्ट करने से पहले ग्राहक को बताना है जरूरी
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार अगर कोई ग्राहक डिफॉल्ट होने वाला है तो डिफॉल्ट को रिपोर्ट करने से पहले ग्राहक को बताना जरूरी है। लोन देने वाली संस्थाएं SMS/ई-मेल भेजकर सभी जानकारी शेयर करें। इसके अलावा बैंक, लोन बांटने वाली संस्थाएं नोडल अफसर रखें। नोडल अफसर CIBIL Score से जुड़ी दिक्कतें सुलझाने का काम करेंगे।
5- 30 दिन में हो शिकायत निपटारा, वरना रोज लगेगा जुर्माना
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अगर क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी 30 दिन के अंदर-अंदर ग्राहकों की शिकायत का निपटारा नहीं करती है तो फिर उसे हर दिन 100 रुपये के हिसाब से जुर्माना चुकाना होगा। यानी जितनी देर से शिकायत का निपटारा किया जाएगा, उतना ही अधिक जुर्माना देना होगा।
लोन बांटने वाली संस्था को 21 और क्रेडिट ब्यूरो को 9 दिन का समय मिलेगा। 21 दिन में बैंक ने क्रेडिट ब्यूरो को नहीं बताया तो बैंक जुर्माना देगा। वहीं बैंक की सूचना के 9 दिन बाद भी शिकायत का निपटारा नहीं किया गया तो क्रेडिट ब्यूरो को हर्जाना देना पड़ेगा।
कैसे सुधारे सिबिल स्कोर
कई बार आर्थिक तंगी के बार लोन की EMI नहीं भर पाते और सिबिल स्कोर खराब हो जाता है। लेकिन, ऐसा नहीं है कि आप अपना क्रेडिट स्कोर (CIBIL Score) नहीं सुधार सकते। हां, इसके लिए जरूर आपको वित्तीय लेन-देन में अनुशासन लाना होगा। आपको अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री बनानी होगी। सबसे पहले हर माह या जो भी तय समय सीमा है, बकाए का भुगतान समय पर करें। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर आप लगातार छह से आठ महीने तक लोन की EMI समय पर भरते हैं तो आपके सिबिल स्कोर में काफी सुधार आने लगेगा।
वहीं अगर आप क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करते हैं तो इसकी लिमिट को कभी न बढ़ाएं, ऐसा करने पर स्कोर (CIBIL Score) पर नकारात्मक असर होता है। अगर आपने कोई लोन पहले से ले रखा है तो उसे खत्म करें। लोन का सेटलमेंट भूलकर भी न करें। लोन सेटलमेंट से आपके क्रेडिट स्कोर पर बहुत असर पड़ता है और आगे से बैंक लोन देने से मना कर देता है।
कितना होना चाहिए सिबिल स्कोर
क्रेडिट स्कोर (CIBIL Score) की गणना 300 से 900 अंकों के बीच की जाती है। इसमें कम से कम आपका सिबिल स्कोर 750 से अधिक होना चाहिए। अगर आपका स्कोर इससे कम है तो आपको परेशानी हो सकती है। 800 से अधिक स्कोर को अच्छा माना जाता है। वैसे जिन लोगों का स्कोर 750 या उससे अधिक होता है, उन्हें बैंक जल्द और आसानी से लोन दे देता है। किसी भी व्यक्ति का सिबिल स्कोर हर माह बदलता रहता है।
सिबिल स्कोर का क्या है पैरामीटर?
बहुत ही अच्छा : 800 से 850
बहुत अच्छा : 799 से 740
अच्छा : 739 से 670
ठीक : 699 से 580
बहुत खराब : 579 से 300
इस कारण बिगड़ता है CIBIL Score
समय पर लोन भुगतान न करने पर
क्रेडिट लिमिट से ज्यादा लोन लेने पर
लोन डिफॉल्ट करने पर
लोन सेटलमेंट करने से
गारंटर बनने से भी खराब होता है क्रेडिट स्कोर
बार-बार चेक करने से खराब होता है सिबिल स्कोर
अक्सर जब भी किसी व्यक्ति को किसी तरह का लोन लेना होता है तो वह एक साथ कई बैंक में संपर्क करता है। उस समय बैंक की ओर से सबसे पहले उसका क्रेडिट स्कोर (CIBIL Score) किया जाता है। इस तरह अलग-अलग बैंक जब सिबिल स्कोर चेक करते हैं तो उसमें गिरावट आ जाती है। आपको बता दें कि बैंक जब आपका क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं तो वह हार्ड सिबिल स्कोर होता है। वहीं जब यूजर्स ऐप की मदद से सिबिल स्कोर चेक करता है तो वह सॉफ्ट स्कोर चेकिंग होता है। इन दोनों ही तरीकों से सिबिल स्कोर चेक करने पर उसके कमजोर होने की संभावना रहती है।