RBI Rules : लोन कब हो जाता है NPA, कर्ज लेने वालों को जरूर पता होनी चाहिए ये जरूरी बात
RBI Rules for NPA Loan : बैंकों से रोजाना लाखों लोग लोन देते हैं। करोड़ों लोगों के लोन अकाउंट्स बैंक में चल रहे हैं। लोन लेने के पीछे व्यक्तियों के अलग अलग कारण होते हैं। कोई व्यवसाय के लिए तो कोई घर बनाने के लिए तो कोई खेती के लिए लोन लेता है। बैंक भी खुलकर लोन (Bank Loan) बांट रहे हैं। लेकिन लोन कई बार एनपीए हो जाता है। क्या आप जानते हैं क्या है आरबीआई (RBI Rules) के नियम, क्यों हो जाता है लोन एनपीए। आइए जानते हैं।
Hr Breaking News (RBI Rules NPA Account) : सभी बैंक और कर्ज देने वाली संस्थाओं के ऊपर भारतीय रिजर्व बैंक के नियम लागू होते हैं। बैंक और अन्य नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल संस्थाएं आरबीआई (RBI Rules) के नियमों के तहत बंधी होती है। चाहे वो बैंक में अकाउंट खुलवाने के नियम हो या फिर लोन देने और वसूलने के नियम।
आरबीआई (reserve bank of india ) बैंकों को मोनिटर करने के साथ साथ उपभोक्ताओं और बैंकिंग संस्थाओं के अधिकारों की रक्षा करता है। चाहे वह किसी लोन को एनपीए (NPA) घोषित करना हो या किसी को लोन डिफॉल्टर ये सब आरबीआई के नियमों के तहत होता है।
क्या होता है लोन एनपीए
लोन एनपीए (What is NPA) शब्द आप लोगों ने खूब सुना होगा। पिछले दिनों लोन एनपीए का मुद्दा खूब उठा था। एनपीए का मतलब नॉन-परफॉर्मिंग एसेट होता है। यानी वह ऐसेट जो अभी एक्टिव नहीं है। सीधे शब्दों में कहे तो जब कोई लोन नहीं भरता है तो बैंक उसे ये मान लेते हैं कि यह लोन फंसा हुआ है। इसे एनपीए में डाल दिया जाता है। इससे वसूली की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
कब होता है लोन एनपीए
भारतीय रिजर्व बैंक (reserve Bank of India) के रूल्स के अनुसार किसी बैंक में अगर 90 दिन तक किस्त जमा नहीं की जाती है तो उस लोन को एनपीए (NPA Rules) घोषित किया जाता है। वहीं बैंक के अलावा बाकी आर्थिक संस्थाओं के मामले में समय 120 दिन का होता है। इसे बैंक का फंसा हुआ कर्जा माना जाता है।
बैंक और कर्ज लेने वाले के लिए अच्छा नहीं एनपीए होना
जब किसी बैंक पर एनपीए अकाउंट (NPA account) ज्यादा होते हैं तो यह बैंक के लिए भी अच्छा नहीं माना जाता है। बैंक पर एसेट की कमी होने लगती है। वहीं कर्जा लेने वाले के लिए भी एनपीए को ठीक नहीं माना जाता है। यह लोन लेने वाले के पर भी असर डालता है।
सिबिल स्कोर होता है कम
अगर कोई उपभोक्ता लोन लेकर उसको नहीं चुकाता है तो उसकी क्रेडिट हिस्ट्री (CREDIT History) बिगड़ जाती है। इस कारण सिबिल स्कोर भी खराब हो जाता है। अगर तीन माह तक किस्त नहीं जमा कराई है तो आरबीआई (RBI) के नियमों के तहत खाते को एनपीए घोषित किया जाता है। ऐसी स्थिति में सिबिल स्कोर काफी खराब हो जाता है। सिबिल स्कोर (CIBIL Score) खराब होने पर भविष्य में लोन लेना आसान नहीं रहता है। भविष्य में लोन के लिए चांसेज न के बराबर ही हो जाते हैं।
NPA होता है तीन तरह का
एनपीए तीन प्रकार का होता है। एनपीए का अर्थ ये नहीं होता है कि कर्ज डूब गया है। पहले तीन महीने लोन न मिलने पर खाते को एनपीए घोषित किया जाता है। उसको सब स्टैंडर्ड असेट्स बोलते हैं। एक साल तक जब लोन रिकवर (Loan recovery) नहीं होता है तो फिर इसे डाउटफुल असेट्स में डाल दिया जाता है। डाउटफुल असेट्स के एनपीए लोन की जब आने की उम्मीद ही नहीं रहती है तो इसे लॉस असेट्स की श्रेणी में रखा जाता है।
लोन नहीं चुकाया तो होगी नीलामी
लोन वसूलने के लिए बैंक आरबीआई की गाइडलाइन (rbi guidelines) का पालन करता है। बैंक की ओर से लोन का भुगतान के लिए काफी समय दिया जाता है। इस समय में अगर कोई लोन नहीं चुकाता है तो बैंक के पास रिकवरी (loan recovery) का आखिरी ऑपश्न नीलामी का आता है। बैंक सारे रिमाइंडर भेजने के बाद ये कदम उठाता है। ऐसे में कर्जदार की प्रॉपर्टी की नीलामी की जाती है। इस नीलामी से बैंक अपने रुपयों की रिकवरी करता है।