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RBI ने बताया इन 3 बैंकों में सबसे सेफ है ग्राहकों का पैसा, ये ना कभी डूबेंगे और ना डूबने देंगे

RBI -  आज के समय में 95 प्रतिशत लोग अपनी मेहनत की कमाई का सारा पैसा बैंकों में रखते हैं ताकि जरूरत के समय ये पैसा काम आ सके। लोगों का मानना है कि बैंक में रखा पैसा सुरक्षत है इसलिए बैंकों में डिपोजिट राशि लगातार बढ़ रही है।  लेकिन, हम आपको बता दें कि बैंक अकाउंट में रखा पैसा भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। जिस बैंक में आपका पैसा जमा है अगर वो बैंक किसी कारण डूब जाता है या फिर बंद हो जाता है तो आपके लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। अब ऐसे में महत्वपूर्ण सवाल ये है कि देश का कौन सा बैंक सबसे सुरक्षित है। इसी संबंध में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रिपोर्ट जारी की है। 
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HR Breaking News, Digital Desk- Safe Banks in India To Keep Money: लोग अपने खून-पसीने की कमाई बैंक खााते में जमा करते हैं। ऐसा इसलिए करते हैं कि गाढ़े वक्त में यह पैसा काम आएगा। लेकिन कभी कभी होता ऐसा है कि बैंक ही डूब जाता है। फिर पैसा जमा करने वाले के हाथ में कुछ नहीं बचता, सिवाय सिर पीटने के।

 

 

 

 

इसलिए सलाह दी जाती है कि अपनी थाती किसी को सौंपने से पहले देखें कि सामने वाला बैंक सुरक्षित है या नहीं। रिजर्व बैंक ने इसी साल की शुरूआत में डोमेस्टिक सिस्‍टमिकली इम्‍पॉर्टेंट बैंक (D-SIBs) 2022 के नाम से एक सूची जारी की थी। इसमें देश के सबसे सुरक्षित बैंकों के नाम शामिल किए गए हैं।

भारतीय बेंकों की सिलिकॉन वैली बैंक जैसी हालत तो नहीं है?

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) की तरफ से इसी साल दो जनवरी को एक सूची जारी की गई थी। उस दिन आरबीआई ने लिस्ट जारी कर बताया था कि कौन से बैंक में आपका पैसा सेफ है और कौन से बैंक में आपके पैसा सुरक्षित नहीं है। आप जानते ही हैं कि अगर किसी देश एक भी बड़ा बैंक डूबता है तो उसका नुकसान पूरी इकॉनमी (Indian Economy) पर पड़ता है। ग्राहकों को तो जो भुगतना होता है वह अलग।

कौन-कौन से बैंक हैं इस लिस्ट में-

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी सबसे सुरक्षित बैंकों की सूची में एक सरकारी और 2 प्राइवेट बैंकों के नाम शामिल हैं। इसमें सरकारी क्षेत्र का स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का नाम है। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर के दो बैंक इस सूची में शामिल हैं। इनमें HDFC Bank और ICICI Bank का नाम शामिल है। मतलब कि यदि आपका खाता एसबीआई नहीं बल्कि एचडीएफसी बैंक या आईसीआईसीआई बैंक में है, तो भी आपको कोई दिक्कत नहीं होगी।

कौन बैंक आ सकते हैं इस लिस्ट में-

इस सूची में वही बैंक आते हैं, जिसके पास सामान्य पूंजी संरक्षण बफर usual capital conservation buffer के अलावा अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर 1 (additional Common Equity Tier 1 (CET1) बनाए रखने की आवश्यकता होती है। आरबीआई के मुताबिक एसबीआई को अपनी जोखिम-भारित संपत्ति risk-weighted assets के प्रतिशत के रूप में अतिरिक्त 0.6 प्रतिशत सीईटी1 बनाए रखना होगा। इसी तरह, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक को अतिरिक्त 0.2 प्रतिशत बनाए रखने की जरूरत है।

इन बैकों पर रिजर्व बैंक की रहती है कड़ी नजर-

रिजर्व बैंक की इस लिस्ट में जो बैंक आते हैं, उन पर आरबीआई की कड़ी नजर रहती है। रिजर्व बैंक इन बैंकों के दैनंदिन कामकाज पर तो नजर रखता ही है, किसी बड़े लोन या अकाउंट पर भी कड़ी निगहबानी होती है। यही नहीं, यदि किसी बड़े प्रोजेक्ट पर बैंक लेंडिंग की बातचीत करती है तो उसका भी मूल्यांकन किया जाता है। यह देखा जाता है कि इसका बैंक के पूरे कारोबार पर कोई निगेटिव असर तो नहीं पड़ेगा।

कब से जारी हो रही है ये लिस्ट 

रिजर्व बैंक साल 2015 से ऐसे बैंकों की लिस्ट जारी करता आ रहा है। रिजर्व बैंक का मानना है कि ऐसे बैंक देश की अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी हैं। आरबीआई की ओर से इन बैंकों को रेटिंग भी दी जाती है। इस रेटिंग के बाद ही इन जरूरी बैंकों की लिस्ट तैयार की जाती है। हालांकि अभी तक इस लिस्ट में 3 बैंकों के नाम ही शामिल हो पाए हैं।

बैंक डूबने पर कितना पैसा मिलता है वापिस

जब से कई बैंकों के खराब हालत की खबरे सामने आ रही थी तब से बहुत सारे ग्राहक परेशान हो गए हैं. हम आपको बता दें कि यदि आपने जिस बैंक में पैसा जमा किया है और वो बैंक डूब (bank collapse)  जाता है तो आपको अपना कितना पैसा वापस मिलेगा. एक साल पहले जो नियम था उसके अनुसार बैंक डूबने पर आपको अधिकतम एक लाख रुपए मिलते थे.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस नियम को बदलने के लिए आम बजट 2021 में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट (DICGC amendments) में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया था. इसके बाद यह कानून बदल गया और बीमित रकम की लिमिट 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई. करीब 28 साल बाद इस बीमित रकम की लिमिट बढ़ाई गई थी. दरअसल, डिपॉजिट इंश्योरेंस (Deposit Insurance) एक तरह की स्कीम है, जिसके तहत किसी बैंक के दिवालिया होने के बाद ग्राहकों का अधिकतम 5 लाख रुपये सुरक्षित रहता है.


जानिए क्या हुआ बदलाव


इस बदलाव के बाद जमाकर्ता को इस बात का इंतजार नहीं करना होगा कि बैंक लिक्विडेशन प्रक्रिया में जाए, तभी वे अपनी डिपॉजिट रकम को क्लेम कर सकें. यदि कोई बैंक मोरेटोरियम (Bank Moratorium) में भी होता है तो डिपॉजिटर डीआईसीजीसी एक्ट (DICGC Act 1961) के तहत अपनी रकम क्लेम कर सकता है. अगर दूसरी भाषा में कहें तो इसका मतलब है कि नये संशोधन से उन बैंकों के हजारों डिपॉजिटर्स को राहत मिल सकेगी, जो बैंक लंबे समय तक मोरेटोरियम में रहता है.

जान लें कितने जमा पर कितना मिलेगा वापिस

DICGC एक्ट, 1961 की धारा 16 (1) के प्रावधानों के अंतर्गत, यदि कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया घोषित हो जाता है, तो DICGC प्रत्येक जमाकर्ता को भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है. उसकी जमा राशि पर 5 लाख रुपये तक का बीमा होगा. अगर आपका एक ही बैंक की कई ब्रांच में खाता है तो सभी खातों में जमा अमाउंट और ब्‍याज जोड़ा जाएगा और केवल 5 लाख तक जमा को ही सुरक्षित जमा माना जाएगा. इसमें मूलधन और ब्‍याज (Principal and Interest) दोनों को शामिल किया जाता है. इसका अर्थ साफ है कि अगर दोनों जोड़कर 5 लाख से ज्यादा है तो सिर्फ 5 लाख ही सुरक्षित माना जाएगा.


पैसा जमा करने से पहले से लें पूरी जानकारी 


आपको यह पता होना चाहिए कि किसी भी बैंक को रजिस्टर करते समय डीआईसीजीसी (DICGC) उन्हें प्रिंटेड पर्चा देता है, जिसमें डिपॉजिटर्स को मिलने वाली इंश्योरेंस के बारे में जानकारी होती है. अगर किसी डिपॉजिटर को इस बारे में जानकारी चाहिए होती है तो वे बैंक ब्रांच के अधिकारी से इस बारे में पूछताछ कर सकते हैं.

जानिए दो खाते होने पर क्या होगा

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि DICGC द्वारा बीमा की रकम कैलकुलेट करते समय एक ही बैंक एक ही व्यक्ति द्वारा सभी अकाउंट को ध्यान में रखा जाता है. अगर इन फंड्स का मालिकाना विभिन्न तरह की है या अलग-अलग बैंक में डिपॉजिट (deposit in bank) है तो बीमा की रकम अगल-अलग ही होगी. मान लीजिए कि आपने दो बैंकां में अकाउंट खुलवाया है तो यह दोनों अकाउंट में अधिकतम 5-5 लाख रुपये ही बीमित होंगे.