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EMI को लेकर RBI कल सुनाएगा बड़ा फैसला, कम होगी या ज्यादा, बना हुआ है सस्पेंस

Repo rate News : अगर आपने भी कोई लोन ले रखा है तो अपने लिए कल एक बड़ी खबर आने वाली है।  RBI एक मीटिंग के दौरान EMI को बढ़ाने या घटाने के ऊपर निर्णय ले सकता है और RBI का ये फैसला 5 अप्रैल को आएगा।  तो EMI कम होगी या ज्यादा, इसपर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है।  आइये जानते हैं क्या निर्णय ले सकती है RBI 

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HR Breaking News, New Delhi : आज बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए किसी न किसी तरह का लोन ले लेते हैं और उसकी EMI भरते हैं।  3 अप्रैल को RBI (reserve bank of india) ने मीटिंग शुरू की थी और ये मीटिंग 5 अप्रैल यानी कल खत्म होगी और इस मीटिंग में लोन को लेकर बड़े फैसले होने वाले हैं। इस समय सभी लोग यह उम्मीद लगा रहे हैं कि उनकी लोन की ईएमआई (Loan EMI) कम हो जाए.  ऐसी उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक एक बार फिर रेपो रेट्स (Repo rates me hoga badlaav) की दरों को स्थिर रख सकता है. इसके साथ ही आरबीआई (RBI) का फोकस इंफ्लेशन को कंट्रोल में रखना है. 

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इकोनॉमिक ग्रोथ रेट (economic growth rate) को लेकर चिंताएं कम होने से रिचेल इंफ्लेशन पर फोकस रहने की उम्मीद है. यह वित्त वर्ष 2024-25 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा है. एक अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू हो गया है. इस साल आरबीआई (rbi latest news) 6 एमपीसी की मीटिंग करेगा.  


पिछले साल फरवरी में हुआ था इज़ाफ़ा 

आरबीआई (rbi big update) ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो दर में इजाफा किया था और तब से यह लगातार 6.5 प्रतिशत पर बरकरार है. पिछली 6 मीटिंग से रेपो दर (repo rate) में कोई बदलाव नहीं किया गया है. 

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कौन-कौन है समिति में शामिल

गवर्नर दास (RBI governor Shaktikanta Das) की अध्यक्षता वाली समिति में शशांक भिड़े, आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा, राजीव रंजन और माइकल देबब्रत पात्रा भी शामिल हैं. सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि रिटेल इंफ्लेशन दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बना रहे. फरवरी के महीने में खुदरा मुद्रास्फीति दर 5.1 प्रतिशत थी.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

एक्सपर्ट ने कहा कि एमपीसी बैठक में अमेरिका और ब्रिटेन जैसी कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों के रुख पर तवज्जो दी जा सकती है. ये केंद्रीय बैंक (rbi) ब्याज दरों में कटौती को लेकर फिलहाल ‘देखो और इंतजार करने’ की स्थिति में हैं. स्विट्जरलैंड ब्याज दरों में कटौती करने वाली पहली बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जबकि दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था जापान ने नकारात्मक ब्याज दरों का सिलसिला हाल ही में खत्म कर दिया है.

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