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1 अप्रैल से बदल जायेंगे bank loan default पर पेनाल्टी से जुड़े नियम, आम आदमी को मिलेगी राहत

bank news : आज बहुत सारे लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक या किसी प्राइवेट NBFC कम्पनी से लोन लेते हैं पर कई बार किसी कारण की वजह से ये लोन चुका नहीं पाते जिसकी वजह से बैंक उन्हें डिफ़ॉल्ट घोषित कर देता है जसकी वजह से आने वाले समय में लोन मिलने में दिक्कत होती है और RBI जल्दी ही इससे जुड़े नियम को बदलने जा रही है और 1 अप्रैल से नए नियम लागू होंगे 

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HR Breaking News, New Delhi : बैंक या एनबीएफसी से लिए गए लोन के डिफॉल्ट होने पर जुर्माने से जुड़ा नया नियम इस साल 1 अप्रैल से लागू हो जाएंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बीते सोमवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को रेवेन्यू ग्रोथ के लिए कर्ज चूक (लोन डिफॉल्ट पर दंडात्मक शुल्क लगाने से रोकने वाली संशोधित निष्पक्ष उधारी प्रणाली 1 अप्रैल से लागू होगी। भाषा की खबर के मुताबिक, राजस्व बढ़ाने के एक साधन के तौर पर बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां कर्ज भुगतान में चूक पर दंडात्मक शुल्क लगाते रहे हैं।

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सिर्फ ‘उचित’ डिफॉल्ट चार्ज ही लगा सकेंगे बैंक
खबर के मुताबिक, पेनाल्टी चार्ज के इस चलन से चिंतित आरबीआई ने पिछले साल 18 अगस्त को मानदंडों में संशोधन किया था, जिसके तहत बैंक या एनबीएफसी सिर्फ ‘उचित’ डिफॉल्ट चार्ज ही लगा सकेंगे। बैंकों, एनबीएफसी और आरबीआई से विनियमित दूसरी संस्थाओं को ये संशोधित मानदंड लागू करने के लिए तीन महीने का विस्तार देते हुए अप्रैल तक का समय दिया गया था। आरबीआई ने बार-बार पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) के एक समूह में कहा कि मौजूदा कर्जों के मामले में भी ये निर्देश 1 अप्रैल, 2024 से लागू होंगे।

दंडात्मक शुल्क को तर्कसंगत होना होगा
भारतीय रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि जून तक आने वाली रिन्युअल तारीख पर नई दंड शुल्क व्यवस्था में बदलाव सुनिश्चित किया जाएगा। अगस्त, 2023 के गाइडलाइस लोन रीपेमेंट में चूक के मामले में भी लागू होने के बारे में आरबीआई ने कहा है कि ऐसी चूक रीपेमेंट करार के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों का उल्लंघन है, लिहाजा दंडात्मक शुल्क लगाया जा सकता है। लेकिन यह दंडात्मक शुल्क सिर्फ भुगतान चूक वाली राशि पर ही लगाया जा सकेगा और उसे तर्कसंगत होना होगा।

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जानबूझकर डिफॉल्ट करने वालों की खैर नहीं
आईबीए और एनईएसएल की ओर से ऐसे सिस्टम पर काम किया जा रहा है, जिसकी मदद से लोन न चुकाने वालों को फास्ट ट्रैक तरीके से डिफॉल्ट घोषित किया जा सके। बैंक ऐसे लोन अकाउंट के बारे में इन्फॉर्मेशन यूटिलिटी सर्विसेज को अतिरिक्त जानकारी मुहैया कराएगी, जिन्हें फ्रॉड माना जा चुका है। एनईएसएल के डाटा के मुताबिक, देश में 10 से लेकर 100 करोड़ रुपये के लोन में डिफॉल्ट सबसे अधिक है।