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Savings Account : बैंक खाते में इस लिमिट से ज्यादा पैसा जमा करना और निकालना पड़ जाएगा भारी, जानिए इनकम टैक्स के नियम

Savings Account : ज्यादातर लोगों के बैंक में सेविंग अकाउंट होते हैं, जहां वे अपनी बचत जमा करते हैं और ज़रूरत पड़ने पर निकालते भी हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि आप अपने सेविंग अकाउंट में कितने पैसे जमा कर सकते हैं या एक बार में कितने पैसे निकाल सकते हैं? अगर नहीं तो चलिए आइए जान लेते है इस खबर में-

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Savings Account : बैंक खाते में इस लिमिट से ज्यादा पैसा जमा करना और निकालना पड़ जाएगा भारी, जानिए इनकम टैक्स के नियम

HR Breaking News, Digital Desk- ज्यादातर लोगों के बैंक में सेविंग अकाउंट होते हैं, जहां वे अपनी बचत जमा करते हैं और ज़रूरत पड़ने पर निकालते भी हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि आप अपने सेविंग अकाउंट में कितने पैसे जमा कर सकते हैं या एक बार में कितने पैसे निकाल सकते हैं? अगर आप नहीं जानते है तो आज हम आपको सेविंग अकाउंट (saving account) से जुड़ी ऐसी ही कुछ जरूरी बातों के बारे में बताएंगे.

सेविंग अकाउंट को लेकर जरूरी हैं ये कुछ बातें-

आपको बता दें कि इनकम टैक्स के नियमों के अनुसार, आप एक वित्त वर्ष (financial year) में अपने सेविंग अकाउंट में अधिकतम 10 लाख रुपये जमा कर सकते हैं और 10 लाख रुपये ही निकाल सकते हैं. इसके अतिरिक्त, धारा 269ST के तहत, एक दिन में अपने सेविंग अकाउंट (saving account) से सिंगल ट्रांजैक्शन में 2 लाख रुपये से ज़्यादा नहीं निकाल सकते हैं. 

ऐसी स्थिति में आ जाएगा इनकम टैक्स नोटिस-

अगर कोई व्यक्ति 1 वित्त वर्ष (1 अप्रैल से 3 मार्च) के बीच अपने बचत खाते में 10 लाख रुपये से ज़्यादा जमा करता है, तो इसे हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन (high value transaction) माना जाएगा. ऐसी स्थिति में, बैंक आयकर विभाग को आयकर अधिनियम (Income tax Act, 1962 की धारा 114B के तहत सूचित करते हैं. 50 हजार रुपये से ज़्यादा के दैनिक लेन-देन के लिए पैन नंबर (Pan Number) देना ज़रूरी है. यदि पैन नहीं है, तो फॉर्म 60/61 जमा करना अनिवार्य है.

एक वित्त वर्ष में 10 लाख से ज्यादा डिपॉजिट (deposit) करने पर आपके पास इनकम टैक्स का नोटिस आ जाएगा, जिसका जवाब आपको देना होगा. नोटिस का जवाब देने के लिए आपके पास फंड के सोर्स के संबंध में अपने दावे का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत होने चाहिए. ये बैंक स्टेटमेंट (bank statement), इन्वेस्टमेंट रिकॉर्ड (investment record) और विरासत से जुड़े डॉक्यूमेंट्स (documents) हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में आप किसी टैक्स एडवाइजर (tax advisior) से सलाह ले सकते हैं.

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