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tenant's rights : किराए पर रहने वाले जान लें अपने अधिकार, मकान मालिक की नहीं चलेगी मनमर्जी

भारत में करोड़ों लोग दूसरे शहरों में किराए पर मकान लेकर रहते हैं. लेकिन इनमें से ज्यादातर लोग एक किराएदार के तौर पर अपने अधिकारों के बारे में नहीं जानते हैं. हम यहां आपको किराएदार के अधिकारों के साथ-साथ किराए पर मकान लेने से जुड़े नियमों के बारे में बता रहे हैं.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

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HR Breaking News (नई दिल्ली)। अगर आप भी किराए पर मकान लेकर घर से दूर कहीं रहते हैं तो यह खबर आपके काम की है. किराए पर लिए गए मकान के लिए आपको रेंट एग्रीमेंट कराना बेहद जरूरी है. यह लैंडलॉर्ड और किराएदार दोनों के बीच बनाया जाने वाला एक डॉक्यूमेंट होता है. इसमें दोनों पार्टियों से जुड़ी हर तरह की जानकारियां दर्ज होती है. इनमें से दोनों को ही डॉक्यूमेंट में मेंशन किए गए नियमों का पालन करना जरूरी होता है.

 
एक किराएदार के रूप में आपके कई ऐसे अधिकार होते हैं जिनका प्रयोग आप जरूरत पड़ने पर कर सकते हैं. अगर आप इन अधिकारों से अवगत रहते हैं तो आप कई तरह की परेशानियों से बच सकते हैं. हम यहां आपको रेंट अग्रीमेंट और इंडियन रेंट रेगुलेशन से जुड़ी कुछ बातों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, आइए जानते हैं.


किराएदार के क्या है अधिकार?


अगर आप किराए पर मकान लेते हैं तो मकान मालिक को कुछ सुविधाएं अनिवार्य रूप से आपको उपलब्ध करानी चाहिए. इनमें जरूरी सेवाओं के अलावा सिक्योरिटी और एकांत का अधिकार जैसी बातें शामिल हैं. साथ ही आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि कोई भी मकान मालिक बिना किसी ठोस कारण के किराएदार को मकान से बाहर नहीं कर सकता है. किराए पर मकान लेते समय आपको अपने मकान मालिक से एक लिखित समझौता कर लेना चाहिए ताकि किसी भी तरह का विवाद होने पर उसकी शिकायत की जा सके.

इंडियन रेंट रेगुलेशन के क्या है नियम?


भारत में बड़ी संख्या मकान किराए पर लिए और दिए जाते हैं. भारत में रेंटल हाउसिंग इतना पॉपुलर है कि कई राज्य भविष्य को ध्यान में रखते हुए रेंटल पॉलिसीज लाने की तैयारी कर रहे हैं. केंद्र सरकार के मॉडल टेनेंसी एक्ट के मुताबिक किराएदार को रेंट एग्रीमेंट साइन करना बेहद जरूरी है. भारत में किराए के घरों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने मॉडल टेनेंसी एक्ट लागू किया है. इसके जरिए प्रोसेस को किराएदार और मकानमालिक दोनों के लिए फायदेमंद बनाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं.


किरायानामा बनाना ही नहीं रजिस्ट्रेशन भी है जरूरी


किराए पर मकान लेने वाले कई लोग किराएनामा बनवाने और उसके रजिस्ट्रेशन को इतना सीरियस नहीं लेते हैं. कई बार किराएदार और मकान मालिक दोनों ही कुछ पैसे बचाने के लिए एक मौखिक समझौता कर लेते हैं. वहीं कई बार ऐसा भी होता है कि किरायानामा बनवाने के बावजूद फीस से बचने के लिए उसका रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाता है. ऐसा करने पर आपको रिस्क तो रहता ही है साथ ही इसे गैर-कानूनी गतिविधि के तौर पर देखा जाता है. ऐसे में अगर कोई विवाद होता है तो दोनों पार्टियों के लिए यह परेशानी उत्पन्न कर सकता है.