home page

सेविंग अकाउंट में पैसे रखने के क्या है लिमिट, जानिये RBI की गाइडलाइन

सरकार अब डीबीटी के माध्यम से योजनाओं से संबंधित राशि का भुगतान सीधे लाभुक के अकाउंट में करती है. हालांकि इन सब के बीच सेविंग अकाउंट खाताधारकों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के एक महत्वपूर्ण गाइडलाइन की जानकारी होना बेहद आवश्यक है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

 | 

HR Breaking News (नई दिल्ली)।  देश में डिजिटल बैंकिंग का प्रचलन बढ़ गया है. अब हर छोटी-मोटी पेमेंट के लिए लोग यूपीआई का उपयोग कर रहे हैं. वहीं अब अगर आपको किसी सरकारी योजना का लाभ लेना है तो आपका बैंक खाता भी होना अनिवार्य है. सरकार अब डीबीटी के माध्यम से योजनाओं से संबंधित राशि का भुगतान सीधे लाभुक के अकाउंट में करती है. हालांकि इन सब के बीच सेविंग अकाउंट खाताधारकों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के एक महत्वपूर्ण गाइडलाइन की जानकारी होना बेहद आवश्यक है नहीं तो आपकी परेशानी बढ़ सकती है.

वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपए से अधिक जमा करने पर बताना होगा आय का स्रोत


कई लोग बैंकों में बचत खाता खोलकर अपने रुपयों को जमा करते हैं. ऐसे में एक वित्तीय वर्ष के दौरान अधिकतम कितनी राशि उनके द्वारा बचत खाता में जमा की जा सकती है इस पर बैंकिंग मामलों के एक्सपर्ट संतोष कुमार ने विशेष जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि सेविंग बैंक अकाउंट में रुपए रखने की कोई सीमा नहीं है लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि एक वित्तीय वर्ष के दौरान बचत खाता में राशि 10 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए. 10 लाख रुपए से अधिक रकम जमा करने पर खाताधारक आयकर के दायरे में आ जाते हैं.

उन्होंने बताया कि किसी भी बैंक के बचत खाता में 10 लाख रुपए से अधिक राशि जमा होने पर रिजर्व बैंक आफ इंडिया के द्वारा तैयार सॉफ्टवेयर मेकैनिज्म से इसकी जानकारी स्वतः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को मिल जाती है. इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया संबंधित बैंक से बचत खाता में जमा किए गए राशि के स्रोत की जानकारी मांगती है. तब बैंक के द्वारा खाताधारक से इससे संबंधित फॉर्मेट में आवश्यक जानकारी मांगी जाती है. यदि ग्राहक के द्वारा उपलब्ध कराए गए आय के स्रोत से आरबीआई (RBI) संतुष्ट नहीं होता है तो इसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दी जाती है.

इतना लग सकता है टैक्स


एक्सपर्ट संतोष कुमार ने आगे बताया कि नियम के अनुसार यदि आयकर विभाग खाता धारक के द्वारा उपलब्ध कराए गए आय के स्रोत से संबंधित जानकारी से संतुष्ट नहीं होती है और जांच में गड़बड़ी पाई जाती है तो जमा राशि पर 60% टैक्स, 25% सरचार्ज और 4 प्रतिशत सेस लग सकता है.