home page

wine beer : एक बोतल शराब में कितनी कमाई करती है सरकार, जानिये इसका गणित

ये तो आपने सुना ही होगा कि शराब के जरीए सरकार खूब कमाई करती है, तो आइए आज आपको बताते है कि सरकार एक शराब की बोतल पर आपसे कितना टैक्स ले रही है, जानिए खबर में पूरी जानकारी।

 | 
wine beer : एक बोतल शराब में कितनी कमाई करती है सरकार, जानिये इसका गणित

HR Breaking News (नई दिल्ली)। अगर शराब पर लगे टैक्स (taxes on alcohol) की बात करें तो यह राज्यों की कमाई का सबसे अहम जरिया है. जी हां, जब कोई व्यक्ति एक बोतल शराब खरीदता है तो उसमें आधे से ज्यादा पैसा टैक्स के रुप में सरकार खजाने में चला जाता है. ऐसे में आज समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर शराब पर कितना टैक्स लगता है और किस तरह से वसूला जाता है, साथ ही इसमें ज्यादा मुनाफा किसका होता है…


वैसे तो देश में जीएसटी प्रणाली से टैक्स वसूला जाता है, लेकिन पेट्रोल-डीजल की तरह शराब जीएसटी (liquor gst) से बाहर है. इसलिए राज्य सरकारें अपने-अपने हिसाब से शराब पर टैक्स (tax on liquor) लगाती हैं. आमतौर पर राज्य शराब बनाने और बेचने पर टैक्स लगाते हैं, जो एक्साइज ड्यूटी (excise duty) के नाम पर वसूला जाता है. कई राज्यों ने इसके लिए वैट की व्यवस्था की है. एक्साइज ड्यूटी के अलावा भी शराब पर स्पेशल सेस, ट्रांसपोर्ट फीस, लेबल और रजिस्ट्रेशन जैसे कई चार्ज लगाए गए हैं.


यह व्यवस्था हर राज्य के लिए अलग है. जैसे अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां गाय के लिए अलग सेस लगाया जाता है, जबकि अन्य राज्यों में यह नहीं है. दरअसल, शराब पर लगने वाले टैक्स को एक तरह से समझना मुश्किल है. एक तो सभी राज्य अलग अलग टैक्स लगाते हैं.


दूसरी बात ये है कि टैक्स व्यवस्था हर प्रोडक्ट के हिसाब से चेंज हो जाती है. जैसे- बीयर, व्हिस्की, रम, स्कोच, देशी शराब आदि पर अलग अलग तरह से टैक्स लगाया जाता है. इसमें भी भारत में निर्मित, विदेश में निर्मित (भारत में आयात की गई), इंडिया मेड फॉरेन लिकर, देशी शराब (इसमें भी अलग अलग प्रोडक्ट) के हिसाब से लैबलिंग और एक्साइज ड्यूटी वसूली जाती है. ऐसे में हर शराब पर हर राज्य में अलग टैक्स व्यवस्था है.


अगर औसत अंदाजा लगाया जाए तो अगर आप 1000 रुपये की शराब खरीदते हैं तो इसमें 35 से 50 या इससे ज्यादा तक टैक्स के रुप में पैसा देते हैं. यानी 1000 रुपये की शराब खरीदने पर आपके 1000 रुपये में से 350 से 500 रुपये तक के पैसे दुकानदार या शराब बनाने वाली कंपनी को नहीं बल्कि सरकार के खजाने में जाते है. सरकार पर इतना भारी भरकम टैक्स लगने की वजह से राज्यों को अरबों रुपये की कमाई सिर्फ शराब से ही हो जाती है.