FD से हुई कमाई पर देना होगा इतना टैक्स, इन 3 तरीकों से कर सकते हैं बचत
HR Breaking News (ब्यूरो)। आमतौर पर लोग टैक्स बचाने के लिए एफडी में निवेश करते हैं। लेकिन एफडी से होने वाली कमाई पर भी टैक्स देना होता है। फिकस्ड डिपॉजिट (FD) से मिलने वाले ब्याज पर लगने वाले टैक्स की एक तय सीमा है यदि आपको एक साल में उससे अधिक कमाई होती है तो टैक्स काटा जाता है। फिकस्ड डिपॉजिट से होने वाली कमाई को सालाना आय में जोड़ा जाता है और फिर टैक्स स्लैब (tax slab) के हिसाब से टैकस काटा जाता है।
जानिये कब और कितना कटता है टैक्स
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फिकस्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) से होने वाली कमाई अगर एक तय सीमा से अधिक होती है तो उसपर टैक्स कटता है और यह सीमा सीनियर सिटीजन और सामान्य ग्राहकों के लिए अलग अलग है। अगर आप सीनियर सिटीजन (senior citizen) हैं तो सालाना एफडी से 50 हजार रुपये तक मिलने वाले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता है। वहीं, यदि आप वरिष्ठ नागरिक नहीं है तो एफडी से होने वाली 40 हजार तक कमाई टैक्स फ्री होती है। इसके बाद की ब्याज की कमाई पूरी तरह से टैक्सेबल होगी।
इसलिए यह याद रखना चाहिए कि TDS ब्याज जमा होने के समय काटा जाता है न कि एफडी के मैच्योर होने पर। ऐसे में यदि आपके पास 3 साल के लिए FD है, तो बैंक प्रत्येक वर्ष के अंत में TDS काटेगा। FD मैच्योर होने पर जमाकर्ता को ब्याज और मूलधन दोनों मिलते हैं। इसके अतिरिक्त, DIGCI द्वारा 5 लाख रुपये तक की FD का बीमा किया जाता है। अर्थात, अगर बैंक डूबता है तो डीजीसीआई की तरफ से जमाकर्ता को गारंटी के तौर पर 5 लाख रुपये जरूर मिलेंगे।
FD पर टैक्स की गणना कैसे होती है
एफडी (FD) से होने वाली कमाई को इनकम टैक्स रिटर्न में हर साल आपकी कुल इनकम में जोड़ा जाता है। आपको भले ही उस साल ब्याज का पैसा न मिले और एफडी की मैच्योरिटी पर एकसाथ जोड़ कर बैंक पैसा दे, लेकिन आपको हर साल की आईटीआर में इसे दिखाना होता है। बैंक आपके पर टीडीएस काटते हैं जिसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बाद में एडजस्ट कर देता है।
यदि बैंक एफडी के ब्याज पर टीडीएस (TDS) नहीं काटता है तो ब्याज की कमाई को आपकी कुल कमाई के साथ जोड़ा जाता है और उसी के हिसाब से टैक्स की गणना होती है। हमेशा ध्यान रखें कि हर साल ब्याज की कमाई को आईटीआर में दिखाएं, न कि एफडी के मैच्योर होने का इंतजार करें। एफडी की मैच्योरिटी (Maturity of FD) पर आपके खाते में मोटी रकम आएगी जिसके चलते आप ऊंचे टैक्स स्लैब में आ जाएंगे। हर साल कम-कम ब्याज दिखाएं तो टैक्स की निचले स्लैब में शामिल होंगे।
उदाहरण में समझें -
मान लीजिए भूपेंद्र 20 प्रतिशत टैक्स स्लैब में आते हैं उन्होंने तीन साल की अवधि के लिए एक लाख रुपये की दो एफडी कराई हैं। जिसपर उन्हें 6 प्रतिशत ब्याज (FD Rates)मिलता है। तो हर एफडी पर सालाना भूपेंद्र को 6 हजार रुपये मिलते हैं तो दोनों एफडी का कुल ब्याज 12000 रुपये होगा। यह पैसा 40 हजार रुपये की सीमा से कम है इसलिए बैंक TDS नहीं काटेगा।
वहीं, दूसरा उदाहरण लें। सचिन के पास 10 लाख रुपये की एफडी है। जिसपर उन्हें 6 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलता है। तो एक साल में कुल 60,000 रुपये का ब्याज मिलता है। बैंक पूरे 60,000 रुपये पर 10 प्रतिशत यानी 6000 रुपये पर टीडीएस (TDS) काटेगा। यहां टीडीएस (TDS) की निर्धारित दर 10 प्रतिशत होगी।
यहां जानिये टैक्स बचाने का तरीका -
1. यदि आपकी सालाना आय 2.5 लाख से कम है, तो आप फॉर्म 15G/15H फाइल कर सकते हैं या उसका उपयोग कर सकते हैं। एफडी के ब्याज की कमाई 2.5 लाख से कम है, इसलिए टैक्स के दायरे में यह कमाई नहीं आएगा। फॉर्म 15G/15H फाइल करने से बैंक TDS नहीं काटेगा। ऐसे में आपकी एफडी से होने वाली कमाई टैक्स फ्री हो जाएगी।
2. अगर आप बैंक के अलावा पोस्ट ऑफिस में एफडी (post office FD) कराते हैं तो यहां आप अच्छा खास टैक्स बचा सकते हैं। दरअसल, बैंकों की तुलना में पोस्ट ऑफिस में एफडी कराने पर कम टैक्स काटा जाता है। लेकिन पोस्ट ऑफिस में फिकस्ड डिपॉजिट इंटरेस्ट रेट कम मिलता है। पर आप यहां टैक्स की बचत कर सकते हैं।
3. यदि आप अपने पार्टनर या मां-बाप और बच्चों के नाम से एफडी कराते हैं तो फिकस्ड डिपॉजिट (FD) से होने वाली कमाई पर टैक्स की गणना हर व्यक्ति के लिए उस स्लैब पर की जाती है। जिसमें वे आते हैं। यदि आप अलग-अलग शाखाओं और बैंकों में एफडी खोलते हैं तो भी आप टैक्स की बचत कर सकते हैं।
