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बरोदा मे हार को लेकर सीएम मनोहरलाल ने इशारों इशारों में कही बड़ी बात

चंडीगढ़ । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल सोनीपत के बरोदा में भाजपा-जजपा गठबंधन की हार से ज्यादा विचलित नहीं हैं। विभिन्न तर्कों के आधार पर उन्होंने कहा, बरोदा उपचुनाव में हम हार कर भी जीते हैं। वह कहते हैं कि भाजपा कि बरोदा में गठबंधन के प्रत्याशी योगेश्वर दत्त की हार नहीं बल्कि जीत हुई
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बरोदा मे हार को लेकर सीएम मनोहरलाल ने इशारों इशारों में कही बड़ी बात

चंडीगढ़ । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल सोनीपत के बरोदा में भाजपा-जजपा गठबंधन की हार से ज्यादा विचलित नहीं हैं। विभिन्न तर्कों के आधार पर उन्होंने कहा, बरोदा उपचुनाव में हम हार कर भी जीते हैं। वह कहते हैं कि भाजपा कि बरोदा में गठबंधन के प्रत्याशी योगेश्वर दत्त की हार नहीं बल्कि जीत हुई है। मनोहरलाल ने बरोदा उपचुनाव को लेकर इशारों में अपने गठबंधन साथी जननायक जनता पार्टी को लेकर भी बड़ी बात कही।

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बरोदा उपचुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से एक्‍सक्‍लुसिव बातचीत

मनोहर लाल यह भी मानते हैं कि उनकी सहयोगी पार्टी जजपा के पूरे वोट भाजपा को नहीं पड़े। ऐसा कभी हुआ भी नहीं करता कि पूरे वोट मिल जाएं, लेकिन यदि भाजपा को जजपा के पूरे वोट मिल जाते तो हमारी जीत तय थी। मुख्यमंत्री से बरोदा उपचुनाव के नतीजों समेत विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश।

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 बरोदा उपचुनाव के नतीजों को कैसे देखते हैं। भाजपाजजपा गठबंधन के उम्मीदवार योगेश्वर दत्त चुनाव हार गए?

– पहली बात तो आप यह मान लें कि बरोदा में हम चुनाव हारकर भी चुनाव जीते हैं। उसका सीधा संकेत यह है कि इस बार हमें 50 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं। आज तक किसी भी चुनाव में हमें इतने वोट नहीं मिले। यह हमारी नीतियों व गठबंधन के प्रति लोगों के भरोसे की देन है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बरोदा में अपने उम्मीदवार इंदुराज नरवाल की जीत से खासे उत्साहित हैं?

– कांग्रेस ने इस बार बरोदा में छह हजार वोट लूज किए हैं। यह सही बात है कि कांग्रेस चुनाव जीत गई, लेकिन उसका वोट कम हुआ है। कांग्रेस यहां तीन बार से जीतती आ रही है। इस सीट को कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट मानती थी। चौथी बार जीत का अंतर कम हो गया। हमारी पार्टी का कार्यकर्ता उत्साह में है। उसके पूरी जिम्मेदारी के साथ चुनाव लड़ा।

भाजपाजजपा गठबंधन ने विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा। क्या इसका फायदा हुआ? जजपा के वोट आपकी पार्टी को मिल पाए?

– मिलीजुली बातें कही जा सकती हैं। लोगों ने विकास के मुद्दे को ध्यान में रखकर भी वोट दिए। इसी नाते हमारे वोट बैंक में बढ़ोतरी हुई। इस बार मतदान प्रतिशत भी घटा हुआ था, जिसका हमें नुकसान पहुंचा। मतदान बढ़ता तो शायद हम जीतते। एक बार चुनाव लड़ने के बाद जब कोई पार्टी दोबारा चुनाव लड़ती है तो स्वाभाविक तौर पर उसके कहने से पूरे वोट नहीं मिलते। कुछ वोट किसी भी कारण से इधर-उधर हो जाते हैं। हम 37 हजार से 50 हजार पर पहुंचे। इसमें हमारी सहयोगी पार्टी जजपा के वोट भी हैं, लेकिन यह बात भी सही है कि यदि जजपा के पूरे वोट हमें मिल जाते तो हमारे वोट 80 हजार के आसपास हो जाते और हम चुनाव हर हाल में जीतते।

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