आधी आबादी से पूरी दुनिया के ये सवाल… कहां तक है वाजिब? आखिर किसने दिया इन्हें ये पूछने का जन्मसिद्ध अधिकार

HR BREAKING NEWS. कोई चाहे कितना ही पढ़ा लिखा हो, कितने ही बड़े ओहदे पर हो, कुछ सवाल वह हमेशा ही अपने आस पास पुछता, सुनता होगा। यही नही कभी उसने खुद भी इन सवालों को किए जाने के उसके अधिकार के बारे में नही सोचा होगा। जो सवाल आखिर वह कर रहा है इसका अधिकार उन्हें किसने दिया। वहीं महिला की बात की जाए तो वे चाहें कितनी भी बड़ी सैलेब्रिटी बन जाए या चाहे कितनी ही सफल हो जाए आखिर में उन्हें इन सवालों का सामना करना ही पड़ता है।
आपने भी ये देखा होगा, शायद सवाल भी किया होगा पर कभी सोचा नही होगा। क्या सच में कभी सोचा है कि अविवाहित लड़कियों से शादी के बारे में और विवाहित महिलाओं से बच्चों के बारे में सवाल पूछना मानो हर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार है। इन सवालों से कोई नहीं बच पाता चाहे वह गृहिणी हो या कामकाजी, वह बहुत मशहूर खिलाड़ी हो या फिर राजनेता, इन सवालों के शूल सबको चुभाए जाते हैं।
कभी सीधे तो कभी घुमाफिरा कर पुछे जाते हैं ये सवाल…
तो आप सैटल कब हो रही हैं?
आपको याद होगा कि सैलेब्रिटी टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा से इंटरव्यू करते समय टीवी पत्रकार ने उनसे पूछा था कि आप सैटल कब हो रही हैं और बच्चे कब तक प्लान कर रही हैं, तो वे बुरी तरह नाराज़ हो गई थीं। उन्होंने पत्रकार को करारा जवाब भी दिया था, ‘आपको क्या लगता है कि मैं सेटल नहीं हूं? एक महिला के लिए पहले शादी करना और फिर बच्चे…यही सैटल होना है? क्या मैं खेल की दुनिया में इस शीर्ष पर पहुंचने के बाद भी सैटल नहीं हूं? ख़ैर, शादी का अवसर जब आएगा, मैं सबको ख़ुद बता दूंगी।’
‘प्रेगनेंसी के बारे में क्या सोचा?’
‘यह सवाल दुनिया की हर महिला को दुनिया के हर कोने में सताता है।’ सानिया ने बिल्कुल ठीक कहा है कि यह सवाल सिर्फ़ भारत में ही नहीं दुनिया भर में हर महिला से किया जाता है। अमरीकी अभिनेत्री, प्रोड्यूसर और बिजनस वुमन जेनिफर एनिस्टन भी अपनी एक ऑनलाइन पोस्ट में इस बात पर ज़ोरदार नाराज़गी जता चुकी हैं। जब मीडिया ने उनसे बार-बार प्रेगनेंसी और बच्चों के बारे में सवाल पूछे, और तरह-तरह के कयास लगाए तो उन्होंने एक ब्लॉग लिखकर इस पर करारी आपत्ति जताई, ‘पता नहीं क्यों, तमाम उपलब्धियों और सफलताएं हासिल करने के बावजूद महिलाओं को तब तक कामय़ाब नहीं माना जाता, तब तक उनके बच्चे न हो जाएं।’
मिठाई कब खिलाओगी?
जब इतनी सफल सेलेब्रिटीज को कई नहीं छोड़ता, तो आम महिलाओं की क्या स्थिति है इसका अंदाज़ तो आप आसानी से लगा सकते हैं। शादी होते ही हर कोई सुनाने लगता है, ‘भई! अब तो तुम तीन हो जाओगे। अगले साल तक बुला ही लेना।’ दो-चार महीने निकल जाएं तो सास-ससुर या ननद, जेठानी की छोड़िए, अगल- बगल के लोग पूछने लगते हैं, ‘भई! मिठाई-विठाई कब खिला रही हो।’
बुढ़ापे में कौन संभालेगा?
कई बार महिला से मातृत्व के बारे में सवाल पूछने पर जब वो कह देती है कि अभी नहीं सोचा, देखेंगे, तो भी लोग कह देते हैं, ‘ज़्यादा देर मत करना, वरना बुढ़ापे में कौन संभालेगा?’ ऐसे लोगों से पूछा जा सकता है कि अगर बुढ़ापे में संतान ही संभालती है, तो आए दिन अखबारों में बूढ़े मां-बाप के साथ संतान के अत्याचार और उन्हें घर से निकालने की घटनाएं क्यों छपती हैं? क्यों अदालतें संतानों को झिड़क रही हैं मां-बाप को सताने के लिए? और फिर इतने सारे रिटायरमेंट होम और हेल्पिंग एजेसियां क्यों हैं?
निजत्व का हनन है :
महिलाओं को इस सवाल से कोफ्त होने लगती है। विशेष रूप से जो महिला परिवार की सदस्य नहीं है, उससे ऐसे सवाल पूछना निजत्व की सीमा का अतिक्रमण ही माना जाएगा।
शादी करना, कब करना, किससे करना, इंकार-इकरार की वजह उसी तरह महिला का निजी फैसला है, जैसा कि पुरुष का। लेकिन पुरुषों से पुरज़ोर इसरार के साथ ऐसे सवाल कोई नहीं करता।
वहीं किसी महिला का मां बनना या ना बनना उसका निजी मसला है। इससे किसी का कोई लाभ या नुकसान होने वाला नहीं। सवाल पूछने से पहले यह भी सोच लेना चाहिए कि इसके पीछे शारीरिक, आर्थिक, व्यक्तिगत कारण भी हो सकते हैं। परिवार की शुरुआत करना या ना करना पति-पत्नी यानी दो लोगों के बीच का विषय है। परिवार बनता बच्चे से है, जिसके जन्म के लिए मन, शरीर के सारे परिवर्तन औरत के हिस्से में ही आते हैं। तो ऐसे में उसका फैसला सबसे ज़्यादा मायने रखता है और इसको स्वीकार किया जाना चाहिए ना कि सवालों के घेरे में खड़ा करना चाहिए।