पिता की हत्या में पुलिस ने कार्रवाई नहीं की तो IPS बनने की ठानी, एसपी बन दिलाया पिता को इंसाफ

स्पेशल डेस्क। पिता से दुर्व्यवहार हुआ तो एक नौजवान ने 22 लाख की नौकरी छोड़ आईपीएस बनने की ठान ली। आईपीएस नवनीत सिंह सिकेरा की एक वेब सीरीज भोकाल देखी होगी जिसमें वह पिता के दुर्व्यवहार से आहत आईपीएस बनने की ठान लेते हैं। यह कहानी आपको फिल्मी जरूर लग सकती है लेकिन यह वास्तविकता है। हम बात कर रहे हैं गाजियाबाद के एसपी के रूप में तैनात आईपीएस नीरज कुमार की। नीरज कुमार के पिता की 2008 में हत्या कर दी गई थी। केस की पैरवी में नीरज को पुलिस की मदद नहीं मिली। पिता को इंसाफ दिलाने के लिए नीरज ने उसी समय आईपीएस बनने की ठान ली और अपने लक्ष्य को पानी में वह कभी निराश नहीं हुए। आईपीएस बनने के बाद आरोपियों की हेकड़ी भी निकल गई और पुलिस ने भी उनके पिता के केस में आरोपियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की।
नीरज कुमार जालौन के राजापुर गांव के रहने वाले हैं। यहीं से उन्होंने स्कूलिंग की बाद में iit-bhu से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की और एमएनसी कंपनी ज्वाइन कर ली। नोएडा, बेंगलुरु से लेकर यूके तक नीरज ने नौकरी की। पिता की हत्या केस में वह बेंगलुरु में थे। केस की पैरवी शुरू हुई तो पुलिस का रवैया काफी निराशाजनक था। इससे नीरज कुमार बेहद आहत हुए। पुलिस आरोपियों का साथ दे रही थी। इससे नाराज नीरज ने उसी समय आईपीएस बनने की ठानी और नौकरी के साथ उन्होंने आईपीएस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। 2011 में पहले ही प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंच गए लेकिन सफलता नहीं मिली। दूसरे प्रयास में रैंक कम रह गई और तीसरे प्रयास के लिए आवेदन करने तक उम्र अधिक हो चुकी थी। पिता की हत्या के बाद नीरज ही परिवार का इकलौता सहारा थे। भाई बहन की अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए वह नौकरी नहीं छोड़ सकते थे। इसी के चलते नौकरी के साथ तैयारी की कोशिश की। उम्र पूरी होने के कारण नीरज निराश हुए लेकिन तभी 32 साल की आयु के अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं यह नियम आया। इसके बाद नीरज ने अंतिम मौका मानते हुए 22 लाख का सालाना पैकेज छोड़कर और पूरी तैयारी के साथ सफलता हासिल करने के लिए अग्रसर हुए। अगले ही प्रयास में 104 वीं रैंक हासिल कर नीरज कुमार आईपीएस बन गए।