किसानों के पक्ष में Twitter पर ट्रेंड हो रहा #weunitedforfarmers, युवाओं ने सरकार की आईटी सेल को पछाड़ा

नई दिल्ली। देश का किसान सड़क पर है। पंजाब और हरयाणा के किसान नए कृषि कानून के खिलाफ बड़ी संख्या में देश की राजधानी दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं। अब तक लाखों किसान दिल्ली सीमा पर पहुंच चुके हैं। हरियाणा ने पंजाब से सटी अपनी सीमा पर कई अवरोधक लगा थे। परंतु किसान सभी बाधाएं पार कर दिल्ली की सीमा पर पहुंच गए हैं।
अब तक सरकार से किसान संगठनों की छह दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई फाइनल नतीजा नहीं निकला है। किसानों के एक ही मांग है कि इन कानूनों को रद्द किया जाए। वहीं सरकार संसोधन की बात कह रही है इस पर किसान संगठनों का कहना है कि जिस कानून की मूल परिभाषा ही गलत हो उसे रद्द किया जाना चाहिए हमें संसोधन स्वीकार नहीं हैं। दूसरी और ये आंदोलन केवल जमीन पर ही बल्कि सोशल मीडिया पर भी लड़ा जा रहा है। सोशल मीडिया के युग में युवा किसान अपनी बात दमदार तरीके से देश ही नहीं विदेशों में भी पहुंचा रहे हैं। उसी का नतीजा है कि यूएनओ ने भी अब भारत सरकार से जवाब तलब किया है।
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युवा किसानों की ओर से सरकार के आईटी सेल को कड़ी टक्कर मिल रही है। युवा किसानों ने सबसे पहले सोशल मीडिया पर ट्रैक्टर टू ट्वीटर ट्रेंड कराया। इसके बाद गोदी मीडिया भी ट्रेंड कराया गया। वी स्पोर्ट फार्मर भी ट्रेंड कराया गया। वहीं आज युवा किसानों की ओर से #weunitedforfarmers ट्रेंड कराया जा रहा है। इसके तहत अब तक 1.20 लाख ट्वीट किए जा चुके हैं। लोग अलग अलग फोटो डालकर #weunitedforfarmers ट्वीटर पर ट्रेंड करवा रहे हैं।
दूसरी ओर कृषि कानूनों का मुद्दा फिर सुप्रीम कोर्ट में उठा है. शुक्रवार को कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर इन कानूनों को रद्द किए जाने की मांग की है. भारतीय किसान यूनियन भानु गुट की तरफ से तीन किसान बिल को रद्द करने की मांग वाली याचिका दाखिल की गई है. एडवोकेट एपी सिंह ने यह याचिका दाखिल की है. याचिका में तीनों कानूनों को असंवैधानिक करार कर रद्द करने की मांग की गई है.
हालांकि, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने किसान कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. अब यूनियन ने इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. अर्जी में कहा गया है कि ‘ये अधिनियम ‘अवैध और मनमाने’ हैं. इनसे कृषि उत्पादन के संघबद्ध होने और व्यावसायीकरण के लिए मार्ग प्रशस्त होगा.’ याचिकाकर्ता ने कहा है कि ‘कानून असंवैधानिक हैं क्योंकि किसानों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कॉरपोरेट लालच की दया पर रखा जा रहा है.’