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जब देवीलाल ने कहा था, बूढ़ो मेरे सीएम बनने से पहले मर मत जाना, एक काम करना है

बहादुरगढ़। साल 1987 का चुनाव। प्रदेश की जनता बंसीलाल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से काफी नाराज थी। देवीलाल ने कांग्रेसी सरकार से नाराज चल रही जनता को अपने पक्ष में करने के लिए पहले तो न्याय युद्ध शुरू किया था और चुनाव से ठीक 15-20 दिन पहले न्याय युद्ध के इस संघर्ष को दूसरा
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जब देवीलाल ने कहा था, बूढ़ो मेरे सीएम बनने से पहले मर मत जाना, एक काम करना है

बहादुरगढ़। साल 1987 का चुनाव। प्रदेश की जनता बंसीलाल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से काफी नाराज थी। देवीलाल ने कांग्रेसी सरकार से नाराज चल रही जनता को अपने पक्ष में करने के लिए पहले तो न्याय युद्ध शुरू किया था और चुनाव से ठीक 15-20 दिन पहले न्याय युद्ध के इस संघर्ष को दूसरा रंग दिया था। रावी-ब्यास के पानी और अबोहर फाजिल्का को छोड़कर देवीलाल ने हर मंच से यह कहना शुरू कर दिया था कि मुझे मुख्यमंत्री बनाओ, मैं तुम्हारे सारे कर्जे माफ कर दूंगा।

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नौजवानों को नौकरी या बेरोजगारी भत्ता दे दूंगा। देवीलाल ने उस दौरान हुई चुनावी रैलियों में सिर्फ एक ही बात कहनी शुरू कर दी कि कांग्रेसी कहते हैं कि देवीलाल बहका रहा है, कर्जे माफ नहीं हो सकते। मैं कहता हूं, कैसे नहीं हो सकते। हम विधानसभा में भेड़े चराने थोड़ी ही जा रहे हैं, कानून बनाने जा रहे हैं। चुनाव में जीत हासिल होने पर जैसे ही मैं मुख्यमंत्री पद की शपथ लूंगा। किसी को शिक्षा मंत्री बनाऊंगा, किसी को कृषि मंत्री बनाऊंगा। एक को खजाना मंत्री भी बनाऊंगा और उससे कहूंगा, बताओ फलां गांव के जिम्मे कुल कितना कर्जा है।

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वह कहेगा इतने हजार रुपये। मैं हुक्म दूंगा, इसको माफ करो। वह माफी का हुक्मनामा लिखकर लाएगा और मैं नीचे लिखूंगा दे-वी-ला-ल। चुनावी रैलियों के हर मंच से जब देवीलाल यह बात सादगी सी भाषा में कहने लगे तो उनकी हर बात पर पंडाल में बैठे लोग देवीलाल जिंदाबाद के नारे लगाते थे। उनके नारे को हाथ उठाकर रोकते हुए देवीलाल कहते थे कि देखना….सामने बूढ़े बैठे हैं।

बूढ़ों को पुकारते हुए देवीलाल कहते थे कि मेरे सीएम बनने से पहले मत मर जाना। तुम्हारी पेंशन करनी है। नौजवानों की तरफ इशारा करते देवीलाल कहते कि मैं थारा भी भला करूंगा। या तो रोजगार मिलेगा नहीं तो बेरोजगारी भत्ता जरूर दूंगा। प्रदेश के पहले शिक्षा मंत्री रहे हरद्वारी लाल के सहयोगी रहे गांव छारा निवासी मुकेश उर्फ मटरू बताते हैं कि देवीलाल के इसी भाषण पर प्रदेश की जनता पूरी तरह उनकी मुफीद हो गई थी और 1987 में हुए चुनाव में रिकार्ड सीटों पर उन्हें विजयी बनाया था। प्रदेश की 90 में से 85 विधानसभा सीटों पर देवीलाल की जीत हुई थी और वे मुख्यमंत्री बने थे।

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