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UNICEF की नौकरी छोड़ स्कूल के आइडिए से शुरू किया करोड़ों का कारोबार, पढ़िए इस महिला की कहानी

बॉलीवुड की एक फिल्म का डायलॉग है कि कोई धंधा छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। हालांकि, पैसे, जमीन स्टार्टअप, बिजनेस जैसे शब्दों से  अक्सर महिलाओं को दूर रखा जाता है। लेकिन बिहार की राजधानी पटना की शाजिया कैसर इन्हीं शब्दों से अपनी सफलता की सीढ़ियां चढ़ती जा रही हैं। 
 
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UNICEF की नौकरी छोड़ स्कूल के आइडिए से शुरू किया करोड़ों का कारोबार, पढ़िए इस महिला की कहानी

HR Breaking News (डिजिटल डेस्क)। बिहार की सिल्क सिटी भागलपुर में जन्मी शाजिया के पास फिजियोथेरेपी की डिग्री है और उन्होंने डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ के साथ काम किया है. साल 2014 में उन्होंने स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया. आज उनकी रिवाइवल शू लॉन्ड्री (Revival Shoe Laundry) बिहार में अपनी तरह की पहली सर्विस है.   

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बॉलीवुड की एक फिल्म का डायलॉग है कि कोई धंधा छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता. हालांकि, पैसे, जमीन स्टार्टअप, बिजनेस जैसे शब्दों से  अक्सर महिलाओं को दूर रखा जाता है. लेकिन बिहार की राजधानी पटना की शाजिया कैसर (Shazia Qaiser) इन्हीं शब्दों से अपनी सफलता की सीढ़ियां चढ़ती जा रही हैं. उन्होंने ये सीढ़ी मैले-कुचले जूतों के दम पर पार की है. शाजिया कैसर को बिहार की पहली शू लॉन्ड्री शुरू करने के लिए जाना जाता है.  39 वर्षीय शाजिया कैसर ने इसकी शुरुआत 2014 में की थी. उनकी रिवाइवल शू लॉन्ड्री (Revival Shoe Laundry) बिहार में इस तरह की पहली सर्विस है.   


बिहार की सिल्क सिटी भागलपुर में जन्मी शाजिया के पास फिजियोथेरेपी की डिग्री है और उन्होंने डब्ल्यूएचओ (WHO) और यूनिसेफ (UNICEF) के साथ काम किया है. वे  बताती हैं कि साल 2014 में उन्होंने स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया. इसकी शुरुआत उन्होंने अपनी सेविंग्स से की. इसके लिए उन्होंने सबसे पहले इस करियर  में 1 लाख रुपये का इन्वेस्टमेंट किया था. हालांकि, आज शाजिया अपने आप में एक बड़ा नाम हैं. 

कैसे आया शू लॉन्ड्री का आईडिया?

शाजिया कहती हैं, "जब में स्टूडेंट लाइफ में थी तभी से ये आईडिया मेरे दिमाग में था. लेकिन मैं उस वक्त उसको लेकर उतनी सीरियस नहीं थी. मैंने बस मजाक में कहा था, वो सच हो जाएगा ये मुझे भी नहीं पता था. मेरी शादी काफी जल्दी हो गई थी. उस वक्त मैं अपने फिजियोथेरपी के फर्स्ट ईयर में ही थी. उसके बाद जब मेरे बच्चे हुए और मैं  जॉब कर रही थी तब मुझे ये अहसास हुआ कि परिवार को और बच्चों को एक ही समय पर टाइम देना काफी मुश्किल हो रहा है.

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 ऐसे में तब लगा कि मुझे अपना बिजनेस शुरू करना है. मेरा कोई बिजनेस का बैकग्राउंड नहीं था इसलिए मेरे मन में ख्याल आया कि कुछ ऐसा शुरू करना चाहिए जिसमें कोई जज न करे और ज्यादा अवसर मिलें. जब मैंने सर्च किया तो पता चला कि हर तरह का सर्विस सेंटर है, लेकिन फुटवियर (Footwear Service Center) या लेदर वियर या इस तरह के आइटम्स को लेकर कोई सर्विस सेंटर नहीं है. ऐसे में मुझे लगा कि मैं कोशिश करती हूं. और अगर इसका भविष्य हुआ तो ये चल जाएगा. तो बस मैंने कोशिश की और उसका नतीजा सबके सामने है.”  

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घरवालों का रहा पूरा साथ 

शाजिया कहती हैं, “दरअसल, मैं किसी भी हार जीत के लिए पहले से तैयार थी. मुझे पता था कि कुछ न कुछ करेंगे तो अड़चन आएगी ही, उससे लड़कर ही आपको आगे बढ़ना है. मैं एक करियर छोड़कर दूसरे में कदम रख रही थी. इस दौरान महिला होने के नाते हमारे सामने परिवार वालों की जिम्मेदारी भी होती है.

ऐसे में मैंने परिवार वालों को समझाया कि अगर मैं बिजनेस करती हूं तो फिर मेरी टाइमिंग फिक्स नहीं होगी, मैं एक घंटा लेट भी जाउंगी या अपने हिसाब से काम के टाइम को एडजस्ट कर सकूंगी. रही बात शू इंडस्ट्री चुनने की तो लोगों ने काफी बातें बनाई. कई ने कहा कि आप अपना क्लिनिक खोल लो, पार्ट टाइम कर लो  आदि. लेकिन हर इंसान के अपने ख्वाब होते हैं. मैंने उनकी बातों को तवज्जो नहीं दीं, मुझे बस ये पता था कि मेरे घरवालों का साथ मेरे पास है.”

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मुश्किलों भरा रहा सफर 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, आंत्रप्रेन्योरशिप (Entrepreneurship)  में भारतीय महिलाओं के सामने धन की कमी सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है. मास्टर कार्ड ऑफ वीमेन आंत्रप्रेन्योरशिप इंडेक्स 2021 के अनुसार, देश बिजनेस में महिलाओं की प्रगति में सबसे खराब स्थान पर है. महिला उद्यमी ज्यादातर   खुद के बचाए पैसे पर ज्यादा निर्भर करती हैं. ठीक ऐसा ही हाल शाजिया का भी था. शाजिया बताती हैं कि रिवाइवल शू लॉन्ड्री की शुरुआत उन्होंने अपनी सेविंग्स से की थी. इसके लिए उन्होंने सबसे पहले इस करियर में 1 लाख रुपये का इन्वेस्टमेंट किया था. 

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हालांकि, शाजिया आगे ये भी कहती हैं कि उनके हिसाब से आसान और मुश्किल केवल सोच होती है. लेकिन वे ये जरूर मानती हैं कि एक महिला होने के तौर पर उनका ये सफर आम सफर से थोड़ा मुश्किल रहा. वे कहती हैं, “शुरुआती  तौर पर अक्सर लोग ये सोचते हैं कि ये तो एक महिला है ये क्या कर सकती है. लोग पुरुषों पर अधिक यकीन करते हैं. वहीं मैं खुद ऐसी कम्युनिटी से आती हूं जो अभी भी महिलाओं के जॉब करने को लेकर बहुत खुली हुई नहीं है. ऐसे में एक बात ये भी है कि ये उनकी सोच है. मुझे पता है मैं क्या कर रही हूं और मुझे कहां तक कैसे  जाना है.” 

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नया करियर शुरू कर रही थी तब क्या ख्याल आया?

शाजिया कहती हैं, “मेरा शुरू से ये मानना था कि जब हम जेंडर (Gender) की बात करते हैं, समानता की बात करते है  तो अगर हम करियर भी चुन रहे हैं तो उसमें जेंडर कहां से आ गया. संजीव कपूर फेमस शेफ हैं, जबकि खाना बनाने को अक्सर महिलाओं से जोड़ दिया जाता है. तो फिर हम  क्यों जेंडर देखें? मैं क्यों सोचूं कि फुटवियर इंडस्ट्री (Footwear Industry) केवल पुरुषों की है और महिलाएं नहीं कर सकती हैं. तब मुझे लगा कि मुझे अपने आप को लिमिट नहीं रखना है. मुझे बस खुद को स्किल्ड करना था, उसके बारे में सीखना था, जानना था. क्योंकि यही सब चीजें आपको आगे बढ़ाती हैं. मैं इस करियर की शुरुआत कर रही थी तो मेरे दिमाग में था कि मुझे आने वाली महिलाओं के लिए एक रास्ता तैयार करना है. तो वो मुझे काफी एक्साइटेड लगा.”

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कई लोगों को मिल रहा है रोजगार 

शाजिया बताती हैं कि जब उन्होंने शू लॉन्ड्री शुरू की थी तब वे केवल 3 लोग थे. लेकिन आज 17 लोग डायरेक्ट हैं और 5 इनडायरेक्ट   उनके साथ बिजनेस में शामिल हैं. भविष्य को लेकर क्या प्लान हैं इसको लेकर शाजिया कहती हैं, “रिवाइवल एक ऐसा ब्रांड बने कि देश में चल रहे बड़े-बड़े फुटवियर  ब्रांड उनके साथ पार्टनरशिप करें. रिवाइवल उन ब्रांड्स का सर्विस पार्टनर बने. और हम चाहते हैं कि पूरे देश में हर जिले में हमारा सेंटर पहुंचे. साथ ही जो इस फील्ड में आगे आना चाहते हैं उनकी मदद भी हम करें.”    

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शाजिया नया बिजनेस शुरू करने को लेकर कहती हैं, “आप कुछ भी करना चाहते हैं तो उसमें पूरा टाइम दीजिए. बिजनेस का कोई फिक्स फॉर्मूला नहीं होता है. किसी भी चीज को इंटरनली समझ जाएंगे और आपको समझ आएगा कि एक्सपेरिमेंट करने से ही आप आगे बढ़ सकते हैं. जब तक कुछ ट्राई नहीं करेंगे तब तक कैसे कुछ नया निकल पाएगा. अगर आपने ये कर लिया तो दुनिया की कोई ताकत आपको किसी भी फील्ड में आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है.”   

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इस तरह ले सकते हैं इस सर्विस का फायदा 

रिवाइवल शू लॉन्ड्री के मुताबिक, “रिवाइवल जूते और चमड़े के सामान के लिए भारत का पहला सर्विस सेंटर (First Service Center of India) है. यह साल 2016 में शुरू हुआ है. रिवाइवल में मरम्मत, सफाई, स्वच्छता और जूते और अन्य उत्पादों जैसे जैकेट, बैग, सोफा, कालीन,  कुर्सियों आदि को नया रूप दिया जाता है. ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से या कॉल से या फिर व्हाट्सएप से इनसे जुड़ा जा सकता है.” आपको बता दें, रिवाइवल जूते, जैकेट और प्रीमियम बैग के मुफ्त पिकअप और ड्रॉप की सुविधा भी देता. इसके लिए ऑनलाइन या फोन कॉल और व्हाट्सएप के माध्यम से पिकअप के लिए अपॉइंटमेंट बुक कर  सकते हैं.