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Success Story : घर वालों ने छोड़ा साथ, लॉन लेकर की पढ़ाई, बने पायलट

Gender Equality : आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने 21वीं सदी में होते हुए अपने ट्रांसजेंडर होने पर समाज के बहुत तानें सहे हैं। लम्बे समय तक मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के शिकार होकर इन्होंने कड़ी मेहनत और संघर्ष के साथ सफलता प्राप्त की है।
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HR Breaking News (नई दिल्ली) : पायलट बनना बचपन से ही मेरा सपना था। मेरे घर वालों ने प्राइवेट पायलट का कोर्स करने के लिए मुझे जोहान्सबर्ग भेजा। घरवालों ने कर्ज लेकर स्काइलार्क एविएशन एकेडमी जोहान्सबर्ग में मेरा दाखिला करवाया था। वहां मैंने साल भर का कोर्स किया। लेकिन जब मैं वहां से प्राइवेट पायलट का लाइसेंस लेकर लौटा, और यह खबर सुर्खियों में छपी, तो मेरे लिए मुश्किलें पैदा हो गईं। 

मैंने कभी अपने घरवालों को नहीं बताया कि मैं ट्रांसजेंडर हूं, क्योंकि मेरे हाव-भाव और व्यवहार से वे सभी जानते थे। उसके बाद मेरे घर वालों ने मुझे लगभग एक साल तक घर में कैद करके रख दिया और मेरा मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न किया गया। मैं केरल के त्रिशुर जिले का रहने वाला हूं। तब मेरी उम्र मात्र उन्नीस साल थी। 

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घर छोड़कर भागने पर हुए मजबूर


इन सबसे परेशान होकर मुझे घर छोड़कर भागना पड़ा और भागकर मैं एर्नाकुलम चला गया, जहां सौभाग्य से मेरी मुलाकात अपने जैसे ही एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति से हुई। तब मुझे यह एहसास हुआ कि अपनी तरह का मैं अकेला व्यक्ति नहीं हूं, बल्कि और भी लोग हैं, जिन्हें अपनी पहचान के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

 जूस की दुकान पर किया काम

मेरे पास न रहने का ठिकाना था और न ही कोई सामान, इसलिए मैं रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड में कहीं भी सो जाता था। आजीविका कमाने के लिए मैं जूस की दुकान पर काम करने लगा। धीरे-धीरे मैंने कई एविएशन एकेडमी में अंशकालिक फैकल्टी के रूप में पढ़ाना शुरू कर दिया। लेकिन मेरी लैंगिक पहचान के कारण कोई भी मुझे अच्छा वेतन देने के लिए तैयार नहीं था। 

बाल कल्याण मंत्रालय से आया फोन

चूंकि मेरी कहानी मीडिया में सुर्खियों में प्रकाशित हुई थी, इसलिए सरकारी विभाग के लोगों की नजर में भी मैं आ गया था। एक दिन बाल कल्याण मंत्रालय की ओर से मेरे पास एक फोन आया और मुझे सुझाया गया कि मैं बेहतर जीवन और गरिमापूर्ण नौकरी के लिए सामाजिक न्याय विभाग का दरवाजा खटखटाऊं।

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अपनी तरह का पहला व्यक्ति बनना


उसके बाद तो मेरी खुशी की सीमा ही नहीं रही। मैंने सामाजिक न्याय विभाग के सचिव से संपर्क किया। उन्होंने मुझे सुझाया कि मैं उच्च अध्ययन के लिए किसी बेहतर एविएशन एकेडमी में दखिला करवाऊं, ताकि मुझे व्यावसायिक विमान चालक का लाइसेंस मिल सके और मैं अपने सपने पूरे कर सकूं। 

तेईस लाख से ज्यादा की मिली स्कॉलरशिप

विमानों का पायलट बनने के लिए व्यावसायिक लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होता है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के नियमों के मुताबिक, अभ्यर्थी को दो हजार घंटे विमान उड़ाने का सबूत पेश करना पड़ता है। यह सुनकर मैं बहुत उत्साहित हुआ, लेकिन मेरे सामने सबसे बड़ी बाधा थी फीस की। जब मैंने अपनी इस समस्या का उनसे जिक्र किया, तो उन्होंने मुझे सुझाया कि ट्रांसजेंडर जस्टिस बोर्ड के माध्यम से मैं स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करूं। मैंने उनके बताए अनुसार आवेदन कर दिया, जो स्वीकृत भी हो गया। केरल सरकार ने मुझे अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए तेईस लाख से ज्यादा रुपये दिए हैं। अगले कुछ ही हफ्तों में मैं राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन ऐंड टेक्नोलॉजी में दाखिला करवा कर प्रशिक्षण लेने वाला हूं। वहां तीन साल का कोर्स है। अगर मैंने यह कोर्स सफलतापूर्वक पूरा कर लिया, तो मैं देश का पहला ट्रांसजेंडर पायलट बन जाऊंगा। मैं देश की सबसे बेहतरीन विमान कंपनी में काम करना चाहता हूं। 

 

अपने समुदाय के लोगों के लिए बना प्रेरणा

मैं अपनी तरह का पहला व्यक्ति बनना चाहता हूं, ताकि मेरे समुदाय के दूसरे लोग भी प्रेरणा लेकर आगे बढ़ सकें। ट्रांसजेंडर समुदाय के अन्य लोगों के लिए मैं कहना चाहूंगा कि आप जो भी संघर्ष कर रहे हैं, निर्भयता पूर्वक करें, क्योंकि आपकी सहायता और आर्थिक मदद के लिए सरकार खड़ी है। और अगर कुछ नहीं हुआ, तो इतना समझ लें कि आप अकेले नहीं हैं।