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Success Story : 20 बार बिजनेस फेल होने पर भी नहीं मानी हारी, आखिरी में खड़ी कर दी 500 करोड़ की कंपनी, जानें पूरी कहानी...

Happilo CEO Success Story : जो लोग असफलता से नहीं घबराते, वही लोग इतिहास रचते है। विकास डी नाहर की कहानी भी कुछ इसी तरह की हैं। उन्होनें 20 बार फेल होने के बावजूद हार नहीं मानी और महज 10 हजार की पूंजी लगाकर 500 करोड़ रुपये की कंपनी बना दी। जानिए पूरी कहानी नीचें खबर में...
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HR Breaking News (नई दिल्ली)। कहते हैं सफलता से बड़ी उसकी कहानी होती है और हार से बड़ा संघर्ष. कुछ इसी तर्ज पर अपनी दास्‍तां लिखी है विकास डी नाहर ने. उनके सामने संघर्ष, हार और असफलता की एक लंबी फेहरिस्‍त रही लेकिन मजाल है कि विकास का हौसला जरा भी डिगा हो. लाखों की नौकरी को लात मारकर खुद का कुछ करने का जज्‍बा लेकर विकास ने जब कारोबारी सफर शुरू किया तो रास्‍ते कम और गड्ढे ज्‍यादा नजर आए.

आपको जानकर हैरानी होगी कि विकास ने एक-दो नहीं बल्कि 20 बिजनेस आइडिया पर काम किया और उनका हर दांव विफल होता रहा. सफलता तो हजारों को मिलती है, लेकिन विकास की कहानी इसलिए खास है कि बार-बार हार के बावजूद उसका हौसला जरा भी कम नहीं हुआ. आखिरकार संघर्ष ने रंग दिखाया और महज 10 हजार रुपये की पूंजी लगाकर एक सफल बिजनेस को बड़े कारोबार में बदल दिया. आज विकास डी नाहर की कंपनी हैपिलो (Happilo) करीब 500 करोड़ का कारोबार कर रही है.

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हैपिलो के को-फाउंडर और सीईओ विकास डी नाहर (Vikas D. Nahar, co-founder and CEO of Happilo) को शुरुआत से खुद पर भरोसा था. यही कारण है कि लगातार 20 बार आइडिया फेल होने के बावजूद उन्‍होंने बिजनेस करने की जिद नहीं छोड़ी और ड्राई फ्रूट की कंपनी हैपिलो बनाई, जिसमें महज 10 हजार रुपये का निवेश करके करोड़ों की कंपनी बना दी.

परिवार से मिला बिजनेस का जज्‍बा:

विकास डी नाहर को बिजनेस करने का जज्‍बा अपनी फैमिली से ही मिला, क्‍योंकि वे एक किसान परिवार से आते हैं जो कॉफी और काली मिर्च का कारोबार करता था. उन्‍होंने बैंगलोर विश्‍वविद्यालय से साल 2005 में कंप्‍यूटर साइंस में ग्रेजुएशन करने के बाद जैन ग्रुप में बतौर सीनियर इम्‍पोर्ट मैनेजर काम किया. फिर जॉब छोड़ सिम्‍बॉयोसिस यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की और सात्विक स्‍पेशियलिटी फूड में बतौर मैनेजिंग डायरेक्‍टर काम किया. यहां से मिला अनुभव उनके काफी काम आया और फिर नौकरी छोड़ अपना काम शुरू किया. विकास की सफलता ने ही उन्‍हें शार्क टैंक सीजन 2 में जज भी बना दिया, जहां कई सफल उद्यमी पहले से मौजूद हैं.

सिर्फ 2 कर्मचारियों से शुरू की कंपनी:

विकास ने साल 2016 में महज 10 हजार रुपये लगाकर हैपिलो को शुरू किया था. तब उनके पास सिर्फ 2 कर्मचारी थी और इस कंपनी ने ड्राई फ्रूट को ऑनलाइन बेचना शुरू किया. उनका पूरा जोर क्‍वालिटी पर रहता था, जिससे उनके प्रोडक्‍ट को जल्‍द ही ग्राहकों ने हाथोंहाथ ले लिया. अभी हैपिलो अमेजन, फ्लिपकार्ट सहित तमाम ई-कॉमर्स साइट पर अपने प्रोडक्‍ट की बिक्री करती है. उसके प्रोडक्‍ट की रेंज भी बढ़कर 40 तरह के ड्राई फ्रूट तक पहुंच गई है. इतना ही नहीं इस ब्रांड से 60 तरह के मसाले और 100 तरह के चॉकलेट भी मिल रहे हैं. कंपनी महज कुछ साल में ही 500 करोड़ का मार्केट वैल्‍यूएशन पार कर गई है. हालांकि, इससे पहले विकास ने तकनीक और फाइनेंस सहित करीब 20 आइडिया पर काम किया, जहां सिर्फ असलफलता हाथ लगी.