success story : कभी मांज बर्तन साफ किए मेज, 18 रुपये कमाई से किया 300 करोड़ का सफर
HR Breaking News (नई दिल्ली)। अगर आप दक्षिण भारतीय खाने के शौकीन हैं तो आपने सागर रत्ना रेस्टोरेंट का नाम जरूर सुना होगा. देशभर में सागर रत्ना के 100 से अधिक रेस्टोरेंट हैं. इसकी स्थापना 1986 में हुई थी. इसके संस्थापक हैं जयराम बनान. एक समय पर रेस्टोरेंट में बर्तन मांजने वाले बनान ने कैसे 300 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी खड़ी कर दी यह कहानी कोई फिल्म बनाने के लिए काफी है.
बनान जब 13 साल के थे तो स्कूल में फेल हो गए थे. तब वह कर्नाटक के उड्डपी में रहते थए. वह अपने पिता से बहुत डरते थे और फेल वाला रिजल्ट लेकर घर जाने से बेहतर उन्होंने घर छोड़ना समझा. उन्होंने ऐसा ही किया और 1967 में वह कर्नाटक से मुंबई पहुंचे. उन्हें यहां एक रेस्टोरेंट में बर्तन धोने का काम मिला. इसके लिए उनकी सैलरी 18 रुपये प्रति माह तय की गई.
बर्तन धोने से मैनेजर तक:
बानन ने काम छोटा या बड़ा समझकर नहीं किया. उन्होंने काम को काम की तरह देखा और खूब मेहनत की. धीरे-धीरे उन्हें मेज साफ करने का काम दिया, फिर वेटर बना दिया गया. इसके बाद उन्हें मैनेजर बना दिया गया. जो लड़का 18 रुपये प्रतिमाह पर बर्तन मांज रहा था अब वह 200 रुपये महीना पर रेस्टोरेंट का मैनेजर बन गया. उन्होंने अभी चैन की सांस नहीं ली. उन्हें इससे बहुत आगे जाना था. वह 1974 में मुंबई से दिल्ली गए. वह दिल्ली अपना काम करने के मन से ही पहुंचे थे.
कैंटीन से शुरुआत:
उन्होंने सबसे पहला काम सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड में शुरू किया. यहां उन्होंने अपनी कैंटीन लगाई. काम की शुरुआत के लिए उन्होंने अपने पास रखी जो भी जमापूंजी थी लगा दी. कुछ पैसे दोस्तों से भी उधार लिए. सागर के नाम से पहला रेस्टोरेंट 1986 में दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी में खुला. रेस्टोरेंट की पहले दिन की कमाई करीब 408 रुपये रही. दिल्ली में ही अगला रेस्टोरेंट 4 साल बाद खुला. इस बार रेस्टोरेंट का नाम सागर रत्ना रखा गया. यही नाम आज तक जारी है. उन्होंने इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह नॉर्थ के डोसा किंग के नाम से मशूहर हो गए. आज देशभर में सागर रत्ना के 100 से अधिक रेस्टोरेंट हैं. उनका कारोबार का सालाना टर्नओवर आज 300 करोड़ रुपये है.